केवल रजिस्ट्री से नहीं बनते आप प्रॉपर्टी के मालिक! जरुर करवा लेना म्यूटेशन Property Ownership Documents

Property Ownership Documents: भारत में जब कोई व्यक्ति मकान या जमीन खरीदता है, तो वह सबसे पहले रजिस्ट्री कराने की प्रक्रिया को पूरा करता है. अधिकतर लोग यह मान लेते हैं कि रजिस्ट्री हो जाने के बाद वे उस संपत्ति के असली और कानूनी मालिक बन गए हैं. लेकिन हकीकत यह है कि सिर्फ रजिस्ट्री से मालिकाना हक पूर्ण नहीं होता. इसके लिए जरूरी होता है एक और प्रक्रिया, जिसे कहते हैं म्यूटेशन.

रजिस्ट्री क्या है और क्यों होती है जरूरी?

रजिस्ट्री का मतलब होता है किसी संपत्ति को एक मालिक से दूसरे के नाम पर कानूनी रूप से ट्रांसफर करना. यह प्रक्रिया भारतीय पंजीकरण अधिनियम (Indian Registration Act) के अंतर्गत होती है और इसके तहत संपत्ति की खरीद-बिक्री का वैध रिकॉर्ड तैयार किया जाता है.

  • अगर संपत्ति की कीमत ₹100 से अधिक है, तो रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होता है.
  • यह प्रक्रिया स्थानीय सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में की जाती है.
  • रजिस्ट्री के दौरान स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क भी देना होता है.

हालांकि रजिस्ट्री यह साबित करती है कि संपत्ति का कानूनी हस्तांतरण हुआ है. लेकिन इससे आपको सरकारी रिकॉर्ड में मालिक का दर्जा नहीं मिलता. इसके लिए म्यूटेशन जरूरी है.

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म्यूटेशन क्या होता है और क्यों है जरूरी?

म्यूटेशन (Mutation) का अर्थ है, खरीदी गई संपत्ति के मालिक के नाम को सरकारी रिकॉर्ड (नगर निगम या राजस्व विभाग) में दर्ज करवाना. इसे हिंदी में नामांतरण या दाखिल-खारिज भी कहा जाता है.

  • इससे आपकी संपत्ति संबंधित जानकारी राजस्व रिकॉर्ड में अपडेट हो जाती है.
  • यह प्रक्रिया संपत्ति के मालिकाना हक को वित्तीय और कानूनी तौर पर मजबूत करती है.
  • भविष्य में प्रॉपर्टी टैक्स, लोन आवेदन, बंटवारा या विवाद निपटान में यह रिकॉर्ड काम आता है.

म्यूटेशन न करवाने के संभावित नुकसान

यदि आपने रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन नहीं करवाया, तो आपको कई कानूनी और वित्तीय परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है:

  • प्रॉपर्टी टैक्स नोटिस पुराने मालिक के नाम पर आते रहेंगे.
  • संपत्ति को बेचना मुश्किल हो सकता है क्योंकि रिकॉर्ड में आप मालिक नहीं माने जाएंगे.
  • यदि पुराने मालिक पर कर्ज या कानूनी विवाद हो, तो आपकी संपत्ति भी फंस सकती है.
  • सरकारी दस्तावेजों में नाम दर्ज न होने पर कानूनी अधिकार अधूरे रह जाते हैं.

म्यूटेशन की प्रक्रिया कैसे पूरी करें?

म्यूटेशन कराने के लिए आपको नगर पालिका, नगर निगम या तहसील कार्यालय में आवेदन करना होता है. नीचे दी गई प्रक्रिया अपनाएं:

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जरूरी दस्तावेज

  • रजिस्ट्री की कॉपी
  • स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन का रसीद
  • विक्रय अनुबंध (Sale Deed)
  • खरीदार का पहचान पत्र (आधार/वोटर ID)
  • पासपोर्ट साइज फोटो

आवेदन और सत्यापन

  • संबंधित विभाग से म्यूटेशन फॉर्म प्राप्त करें और सभी दस्तावेज संलग्न करके जमा करें.
  • संबंधित अधिकारी दस्तावेजों की जांच और फील्ड सत्यापन करते हैं.
  • जांच पूरी होने के बाद म्यूटेशन सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. जिसमें अब आप सरकारी रिकॉर्ड में मालिक होते हैं.
  • यह प्रक्रिया आमतौर पर 7 दिन से लेकर 30 दिन तक का समय ले सकती है.

प्रॉपर्टी खरीदते समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान

कानूनी स्थिति की जांच करें

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  • संपत्ति पर कोई विवाद, केस या लोन तो नहीं है?
  • मालिकाना हक स्पष्ट है या नहीं?

गिरवी और लोन क्लियरेंस

  • यह सुनिश्चित करें कि संपत्ति पर कोई भी ऋण या बैंक लोन बकाया नहीं है.

वैध दस्तावेज की पुष्टि

  • खसरा, खतौनी, बिल्डिंग परमिट, बिजली-पानी बिल, आदि की गहराई से जांच करें.

रजिस्ट्री के बाद तुरंत म्यूटेशन कराएं

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  • म्यूटेशन में देर करने से कानूनी विवाद या टैक्स संबंधी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं.

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