Smart Prepaid Meter: अब सरकारी स्कूलों और दफ्तरों में भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं. पहले जहां बिजली के पोस्टपेड बिल के आधार पर भुगतान होता था. अब नए सिस्टम के तहत जितनी बिजली खपत होगी. उतना ही भुगतान करना पड़ेगा. यह व्यवस्था आम उपभोक्ताओं की तरह ही होगी. लेकिन इसके लिए प्रिविलेज मोड का इस्तेमाल किया जाएगा.
क्या है प्रिविलेज मोड और कैसे करेगा काम?
प्रिविलेज मोड का मतलब है कि रिचार्ज खत्म होने पर भी बिजली आपूर्ति तुरंत बंद नहीं की जाएगी. आम उपभोक्ताओं के मीटर में जैसे ही रिचार्ज खत्म होता है। बिजली सप्लाई रुक जाती है. लेकिन सरकारी स्कूलों और दफ्तरों में लगाए गए मीटर में रिचार्ज खत्म होने के बाद भी तीन महीने तक बिजली मिलती रहेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि सरकारी भुगतान आमतौर पर बजट आवंटन आने पर ही किया जाता है.
स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य और अब तक की स्थिति
बिजली विभाग ने इस योजना के तहत कुल 2,826 सरकारी संस्थानों में स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य रखा है. अब तक करीब 2,423 मीटर लगाए जा चुके हैं. बाकी मीटरों के इंस्टॉलेशन का काम तेजी से किया जा रहा है. यह कदम सरकारी खपत को ट्रैक करने और बिलिंग को पारदर्शी बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है.
सौर ऊर्जा से भी होगी बचत
सरकारी दफ्तरों में सिर्फ स्मार्ट मीटर ही नहीं, बल्कि सौर ऊर्जा संयंत्र (सोलर प्लांट) भी लगाए जा रहे हैं. इससे न केवल बिजली की खपत में कमी आएगी. बल्कि बिजली बिल भी घटेगा. यह पहल पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा बचत की दिशा में भी एक प्रभावी कदम है.
विभाग की योजना
विद्युत कार्यपालक अभियंता मनीष शाक्य ने बताया कि उपभोक्ताओं को राहत देने और राजस्व वसूली को सुधारने के लिए विभाग द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. स्मार्ट मीटर लगाना इन उपायों का एक हिस्सा है. इससे बिल भुगतान का अनुशासन बढ़ेगा और बिजली चोरी पर भी लगाम लगेगी. साथ ही सरकारी दफ्तरों में बिलिंग प्रक्रिया डिजिटल और पारदर्शी बन सकेगी.