Education Department: पंजाब में इन दिनों तापमान तेजी से बढ़ रहा है और आगामी दिनों में हीट वेव (लू) के खतरे की आशंका जताई जा रही है. इसी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने छात्रों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है. डायरैक्टर जनरल स्कूल एजुकेशन, पंजाब ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (सेकंडरी और एलीमेंट्री) तथा स्कूल प्रमुखों को खास दिशा-निर्देश जारी किए हैं. ये गाइडलाइन्स राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), नई दिल्ली द्वारा तैयार की गई हैं और छात्रों को लू से बचाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही हैं.
एनडीएमए की गाइडलाइन्स का पालन अनिवार्य
शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को साफ हिदायत दी है कि एनडीएमए द्वारा जारी ‘हीट वेव की रोकथाम और प्रबंधन संबंधी दिशा-निर्देश’ का पूरी तरह से पालन किया जाए. स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि सुबह की सभा (Morning Assembly), फिजिकल एजुकेशन पीरियड्स या सामान्य पढ़ाई के दौरान बच्चों को इन गाइडलाइन्स के बारे में जागरूक किया जाए. इसके अलावा, स्कूल प्रबंधन को आवश्यक तैयारियां करने और छात्रों को समय-समय पर लू से बचाव के तरीके समझाने के निर्देश दिए गए हैं.
तेज धूप से बचाव के लिए बच्चों के लिए जरूरी सावधानियां
बढ़ते तापमान को देखते हुए बच्चों को सुबह 11 बजे से दोपहर 4 बजे तक तेज धूप में बाहर खेलने या घूमने से रोकने के लिए कहा गया है. इस समय के दौरान धूप सबसे तेज होती है, जिससे हीट स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है. स्कूलों को सलाह दी गई है कि बच्चों के आउटडोर खेलों और अन्य बाहरी गतिविधियों का समय सुबह जल्दी या शाम को रखा जाए.
पानी पीने की आदत जरूरी, निर्जलीकरण से बचाएं
गर्मी के दिनों में प्यास न लगने पर भी बच्चों को बार-बार पानी पीने के लिए प्रेरित करना चाहिए. इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती और गर्मी का असर कम पड़ता है. नींबू पानी, नारियल पानी या ओआरएस (ORS) का सेवन भी काफी फायदेमंद होता है. स्कूलों को बच्चों के लिए साफ और ठंडे पानी की पर्याप्त व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं.
हल्के और ढीले कपड़ों का करें चयन
स्कूल प्रबंधन को सलाह दी गई है कि बच्चों को सूती, हल्के रंग और ढीले कपड़े पहनने के लिए प्रेरित करें. इससे शरीर को राहत मिलती है और पसीने के वाष्पीकरण से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है. साथ ही, बच्चों के सिर को धूप से बचाने के लिए टोपी, छतरी या हल्के कपड़े का उपयोग करने की भी सलाह दी गई है. आंखों को तेज धूप से बचाने के लिए सनग्लासेस का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.
पीटी और खेल गतिविधियों पर लगाम
गर्मी के तीव्र समय में स्कूलों को पीटी पीरियड और अन्य शारीरिक अभ्यासों को सीमित करने के निर्देश दिए गए हैं. ऐसे समय में भारी शारीरिक गतिविधि से बच्चों में डीहाइड्रेशन (पानी की कमी) और थकावट का खतरा बढ़ सकता है. इसके बजाय, बच्चों को हल्की फिजिकल एक्टिविटीज करवाई जा सकती हैं जो शरीर को थकाए बिना ऊर्जा बढ़ाने में मदद करें.
ठंडे और पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाएं
स्कूलों और अभिभावकों को सलाह दी गई है कि बच्चों को ठंडी छाछ, दही, तरबूज, खीरा जैसे फल और हाइड्रेटिंग फूड्स अधिक मात्रा में दें. ये खाद्य पदार्थ शरीर को ठंडक देते हैं और ऊर्जा बनाए रखते हैं. बच्चों को जंक फूड या मसालेदार खाना खाने से बचाने की भी सलाह दी गई है, क्योंकि यह शरीर को अधिक गर्म कर सकता है.
भीड़भाड़ और बंद जगहों से बनाएं दूरी
बच्चों को अत्यधिक भीड़भाड़ वाले, बिना वेंटिलेशन वाले स्थानों पर रखने से बचने के लिए कहा गया है. ऐसे स्थानों पर गर्मी और घुटन का असर तेजी से बढ़ सकता है, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है. स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि कक्षाओं में वेंटिलेशन की समुचित व्यवस्था हो और यदि संभव हो तो क्लासरूम में कूलर या पंखों का सही प्रबंध किया जाए.
लू के लक्षण पहचानें और तुरंत उपचार करें
अगर किसी बच्चे को अत्यधिक पसीना आ रहा हो, चक्कर आ रहे हों, कमजोरी महसूस हो रही हो या उल्टी जैसी समस्या हो रही हो, तो उसे तुरंत छांव में लाना चाहिए. इसके बाद उसे पानी या ओआरएस पिलाकर नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. स्कूलों में प्राथमिक उपचार (First Aid) की सुविधा सुनिश्चित करने और स्टाफ को भी ऐसे मामलों से निपटने के लिए प्रशिक्षित करने के निर्देश दिए गए हैं.
बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता, प्रशासन सख्त
डायरैक्टर जनरल स्कूल एजुकेशन ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इन गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए. यदि किसी स्कूल द्वारा लापरवाही बरती जाती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को सबसे पहली प्राथमिकता देने पर जोर दिया गया है.