Camel Milk Curd: दूध से दही जमाना भारतीय रसोई का सामान्य हिस्सा है. हम सभी जानते हैं कि गाय और भैंस के दूध से दही आसानी से जम जाता है. लेकिन जब बात ऊंटनी के दूध की आती है तो दही जमाना एक मुश्किल काम हो जाता है. इसके पीछे केवल एक नहीं बल्कि कई वैज्ञानिक कारण हैं. जिनके बारे में जानना जरूरी है.
ऊंटनी के दूध में दही जमाने वाले बैक्टीरिया की कमी
दही जमाने की प्रक्रिया में सबसे जरूरी भूमिका निभाते हैं – लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया. यही बैक्टीरिया दूध में लैक्टोज को तोड़कर उसे लैक्टिक एसिड में बदलते हैं जिससे दूध फटता और गाढ़ा होकर दही बनता है. ऊंटनी के दूध में इन लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया की मात्रा बेहद कम होती है जिसकी वजह से यह प्रक्रिया आसानी से नहीं हो पाती.
प्रोटीन स्ट्रक्चर में फर्क बनाता है बाधा
ऊंटनी के दूध में मौजूद कैसीन प्रोटीन का स्ट्रक्चर गाय या भैंस के दूध के कैसीन से अलग होता है.
- ऊंटनी के दूध में कैसीन की मात्रा 1.9% से 2.3% होती है
- जबकि गाय के दूध में यह मात्रा 2.4% से 2.8% के बीच होती है.
कैसीन प्रोटीन दही जमने में जेल की तरह बांधने का काम करता है. इसकी कम मात्रा और अलग संरचना की वजह से ऊंटनी के दूध में ये बंधन नहीं बन पाते और दही नहीं जमता.
लैक्टोज की कम मात्रा भी बनती है कारण
ऊंटनी के दूध में लैक्टोज यानी दूध की प्राकृतिक शर्करा की मात्रा कम होती है.
लैक्टोज वही तत्व है जो लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया को पोषण देता है और उसे सक्रिय बनाता है. जब लैक्टोज की मात्रा कम हो तो बैक्टीरिया उतनी तेजी से काम नहीं कर पाते और दही जमने की प्रक्रिया अधूरी रह जाती है.
अधिक नमक भी बनाता है रुकावट
ऊंटनी के दूध में नमक की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होती है. नमक का उच्च स्तर बैक्टीरिया के विकास को धीमा या रोक सकता है जिससे दही जमने में मुश्किल आती है. यह एक प्राकृतिक बाधा है जो ऊंटनी के दूध को दही बनाने के लिहाज से कम अनुकूल बनाती है.
तापमान के प्रति अधिक स्थिरता
- ऊंटनी का दूध अत्यधिक गर्मी में भी अपनी गुणवत्ता बनाए रखता है यानी यह तापमान में बदलाव से जल्दी प्रभावित नहीं होता.
- दही जमाने के लिए सामान्य तापमान पर दूध में बदलाव की आवश्यकता होती है जिससे बैक्टीरिया सक्रिय हो सकें.
- लेकिन ऊंटनी का दूध उष्ण तापमान में स्थिर रहता है जिससे दही बनने की प्रक्रिया नहीं हो पाती.
क्या ऊंटनी के दूध से दही बनाना असंभव है?
नहीं असंभव नहीं है लेकिन साधारण तरीकों से नहीं बन सकता.
इसका मतलब यह है कि यदि वैज्ञानिक रूप से विशेष तरह के स्टार्टर कल्चर और नियंत्रित तापमान का उपयोग किया जाए तो ऊंटनी के दूध को भी दही में बदला जा सकता है.
हालांकि घरेलू स्तर पर यह प्रक्रिया ज्यादा जटिल और खर्चीली होती है इसलिए आमतौर पर ऊंटनी के दूध से दही नहीं जमाया जाता.
ऊंटनी के दूध के स्वास्थ्यवर्धक फायदे
हालांकि इसका दही नहीं जमता लेकिन ऊंटनी का दूध अपने आप में एक पौष्टिक अमृत माना जाता है. यह कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है:
मस्तिष्क की सेहत में सहायक:
ऊंटनी के दूध में मौजूद प्रोटीन और पोषक तत्व ब्रेन सेल्स को मजबूत करने में मदद करते हैं. यह विशेष रूप से मेमोरी पावर को बढ़ाने में उपयोगी हो सकता है.
हड्डियों के लिए फायदेमंद:
इसमें कैल्शियम की उच्च मात्रा पाई जाती है जिससे हड्डियों को मजबूती मिलती है. यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है.
विटामिन और मिनरल्स का खजाना:
ऊंटनी का दूध विटामिन B C D आयरन मैग्नीशियम और जिंक जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है जो प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं.
डायबिटीज में सहायक:
कुछ शोधों में यह भी सामने आया है कि ऊंटनी के दूध में मौजूद इंसुलिन जैसे तत्व ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं.
बच्चों और एलर्जी वालों के लिए भी सुरक्षित विकल्प
ऊंटनी का दूध उन लोगों के लिए एक विकल्प बन सकता है जिन्हें गाय या भैंस के दूध से एलर्जी होती है. यह दूध कम एलर्जेनिक होता है और डायजेस्ट करना आसान होता है.