Women Pension Scheme 2025: दिल्ली सरकार की ओर से चलाई जा रही महिला पेंशन योजना में बड़ा खुलासा सामने आया है। हाल ही में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाए गए डोर-टू-डोर सत्यापन अभियान के बाद यह सामने आया कि 60,000 से अधिक महिलाएं योजना के लिए अपात्र थीं, लेकिन उन्हें अब तक पेंशन मिल रही थी।
4.25 लाख लाभार्थियों का हुआ था सत्यापन
इस योजना का मकसद विधवा, तलाकशुदा, अलग रह रही और निराश्रित महिलाओं को ₹2,500 मासिक वित्तीय सहायता देना है। विभाग ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से करीब 4.25 लाख लाभार्थियों का व्यापक स्तर पर सत्यापन कराया। इस प्रक्रिया में कई गड़बड़ियां सामने आईं, जिनमें विवाहित महिलाओं द्वारा खुद को तलाकशुदा बताना, स्थायी आय होते हुए भी पेंशन लेना, या पंजीकृत पते पर न रहना जैसे मामले शामिल हैं।
अपात्रों की पेंशन तत्काल प्रभाव से बंद
जिन महिलाओं को अपात्र पाया गया है, उनकी पेंशन तत्काल प्रभाव से रोक दी गई है, जबकि सत्यापित लाभार्थियों को पेंशन फिर से शुरू कर दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि अब केवल वही महिलाएं इस योजना का लाभ उठा सकेंगी, जो वास्तव में पात्र हैं।
किन कारणों से अपात्र पाई गईं महिलाएं?
सत्यापन के दौरान जो प्रमुख कारण सामने आए, वे इस प्रकार हैं:
- पुनर्विवाहित महिलाएं, जिन्होंने तलाक का दावा किया था
- वेतन पाने वाली महिलाएं, जिनके पास स्थायी रोजगार था
- महिलाएं जो अब दिल्ली में पंजीकृत पते पर नहीं रहतीं
- नकली दस्तावेजों के आधार पर पेंशन प्राप्त करने वाली महिलाएं
योजना की शुरुआत और उद्देश्य
इस योजना की शुरुआत 2007-08 में की गई थी। इसका उद्देश्य था कि आर्थिक रूप से कमजोर विधवाओं और बेसहारा महिलाओं को नियमित आय का स्रोत प्रदान किया जाए, जिससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।
वर्तमान पात्रता मानदंड
वर्तमान में इस योजना के अंतर्गत आवेदन करने के लिए ये मानदंड तय हैं:
- महिला की उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए
- वह कम से कम 5 वर्षों से दिल्ली की निवासी हो
- उसका परिवार 1 लाख रुपये वार्षिक आय से अधिक का न हो
कितनी महिलाएं अब ले रही हैं लाभ?
सत्यापन के बाद करीब 3.65 लाख महिलाएं इस योजना के तहत नियमित पेंशन प्राप्त कर रही हैं। ये वे महिलाएं हैं जो पात्रता मानदंडों पर खरी उतरी हैं। इसके अलावा, 60,000 महिलाओं का नाम बेनिफिशियरी सूची से हटा दिया गया है।
योजना पर कितना खर्च कर रही है सरकार?
दिल्ली सरकार इस योजना पर हर साल लगभग ₹1,140 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। यह राशि 3.65 लाख से अधिक लाभार्थियों को मासिक पेंशन के रूप में दी जा रही है।