Traffic Challan: भारत में न्यायिक प्रक्रिया अक्सर लंबी और खर्चीली मानी जाती है, लेकिन लोक अदालतें इस व्यवस्था को सरल और किफायती बनाने की एक अनूठी पहल हैं। लोक अदालत का मकसद है कि आम नागरिक बिना कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाए, बिना वकील की फीस दिए अपने मामूली विवादों को सुलझा सकें।
ट्रैफिक चालान माफ करवाने का बड़ा मौका न करें अनदेखी
अगर आपके ऊपर किसी भी वजह से ट्रैफिक चालान कट गया है और आप उसे न तो समय पर भर पाए हैं और न ही गलती मानते हैं, तो लोक अदालत आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है।
- यहां आप अपने चालान को चुनौती दे सकते हैं।
- मामूली उल्लंघनों पर चालान की रकम कम हो जाती है या कई बार पूरी तरह माफ भी कर दी जाती है।
- इससे न सिर्फ पैसे की बचत होती है, बल्कि कानूनी कार्रवाई से भी राहत मिलती है।
क्या है लोक अदालत गांव की पंचायत का आधुनिक रूप
लोक अदालत को आप गांव की पंचायत का आधुनिक रूप मान सकते हैं, जहां दोनों पक्षों की सहमति से विवादों का समाधान किया जाता है।
- भारत में यह अदालतें न्याय व्यवस्था के बोझ को कम करने के लिए शुरू की गई थीं।
- यह अदालतें राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के दिशा-निर्देशों के अनुसार लगाई जाती हैं।
- यहां सुनवाई के लिए आपको वकील रखने की जरूरत नहीं होती।
10 मई 2025 को लगेगी साल की दूसरी लोक अदालत
अगर आप अपने ट्रैफिक चालान का निपटारा लोक अदालत में करवाना चाहते हैं तो आपके लिए अगली तारीख है- 10 मई 2025।
- रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया अदालत लगने से कुछ दिन पहले शुरू हो जाती है।
- आपको अपने चालान की कॉपी और पहचान पत्र के साथ समय से रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
- अदालत वाले दिन आपने जो समय चुना है, उस वक्त आपको पहुंचना जरूरी है।
लेट पहुंचने पर आपका नंबर मिस हो सकता है, इसलिए समय का विशेष ध्यान रखें।
दिल्ली की किन-किन अदालतों में लगती हैं लोक अदालतें ?
लोक अदालतें भारत के लगभग सभी जिलों में लगाई जाती हैं। दिल्ली में यह अदालतें निम्नलिखित कोर्ट परिसरों में आयोजित होती हैं:
- द्वारका कोर्ट
- कड़कड़डूमा कोर्ट
- पटियाला हाउस कोर्ट
- रोहिणी कोर्ट
- राउज एवेन्यू कोर्ट
- साकेत कोर्ट
- तीस हजारी कोर्ट
आपके चालान का निपटारा जिस क्षेत्र में हुआ है, उसी क्षेत्र की अदालत में जाना होगा।
किन ट्रैफिक मामलों में मिल सकती है राहत ?
लोक अदालत में मुख्यतः सामान्य ट्रैफिक उल्लंघन के मामलों की सुनवाई होती है, जैसे:
- बिना हेलमेट ड्राइव करना
- सीट बेल्ट न लगाना
- रेड लाइट जम्प करना
- गलत जगह पार्किंग
- तय स्पीड लिमिट से ज्यादा तेज गाड़ी चलाना
अगर आपकी गाड़ी किसी आपराधिक गतिविधि या दुर्घटना में शामिल नहीं है, तो लोक अदालत में आपका चालान माफ या कम हो सकता है।
किन मामलों में लोक अदालत नहीं कर सकती मदद ?
हर ट्रैफिक केस का निपटारा लोक अदालत में नहीं होता। नीचे बताए गए मामलों में लोक अदालत की सीमा तय है:
- अगर चालान पहले ही रेगुलर कोर्ट में भेज दिया गया है।
- यदि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन गंभीर हो या मामला दुर्घटना से जुड़ा हो।
- अगर चालान काटे जाने के तीन महीने के अंदर भुगतान नहीं किया गया, तो ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित हो सकता है।
- वाहन जब्त किया जा सकता है या मालिक को जेल भी हो सकती है।
लोक अदालत से मिलता है कोर्ट फीस वापसी का भी लाभ
अगर कोई केस अदालत में पहले से लंबित है और आप उसका निपटारा लोक अदालत में करवा लेते हैं, तो कोर्ट फीस वापस मिल जाती है।
- लोक अदालत में फैसला अंतिम माना जाता है।
- इसके खिलाफ किसी अन्य अदालत में अपील नहीं की जा सकती।
- यह प्रक्रिया त्वरित, निष्पक्ष और कम खर्चीली होती है।
लोक अदालत में मामला कैसे दर्ज करें ?
ट्रैफिक चालान लोक अदालत में लाने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाएं:
- अपने चालान की कॉपी तैयार रखें।
- संबंधित कोर्ट परिसर में जाकर लोक अदालत रजिस्ट्रेशन काउंटर पर आवेदन करें।
- चालान नंबर, वाहन नंबर और आधार कार्ड दिखाकर स्लॉट बुक करें।
- तय तारीख और समय पर अदालत में पहुंचें।
- ट्रैफिक अधिकारी और न्यायाधीश की उपस्थिति में मामला सुलझाया जाएगा।
ट्रैफिक चालान से राहत का आसान रास्ता है लोक अदालत
ट्रैफिक चालान को लेकर कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है। लोक अदालत एक ऐसा मंच है जहां आप बिना वकील के भी न्याय पा सकते हैं, और ट्रैफिक चालान जैसे मामलों में समझौते से राहत मिल सकती है।