NGT Vehicle Ban: नोएडा और गाजियाबाद के सड़कों पर दौड़ रहे पुराने वाहनों के लिए बुरी खबर है. नवंबर 2025 से इन दोनों जिलों में 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों को ईंधन नहीं मिलेगा. इसके लिए प्रशासन ने एएनपीआर (ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन) सिस्टम लागू करने की योजना शुरू कर दी है, जो एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गाजियाबाद और नोएडा के पेट्रोल पंपों पर तैयार किया जा रहा है.
एनजीटी के निर्देशों पर सख्ती
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने पुराने वाहनों के कारण बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वर्षों पहले दिशा-निर्देश जारी किए थे कि दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहन सड़कों पर नहीं चलने चाहिएं. अब प्रशासन ने इस निर्देश को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए पेट्रोल पंपों पर टेक्नोलॉजी आधारित निगरानी व्यवस्था लागू करने की शुरुआत कर दी है.
गाजियाबाद और नोएडा में शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
एनसीआर के आठ जिलों में यह सिस्टम सबसे पहले गाजियाबाद और नोएडा में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जा रहा है. योजना के तहत गाजियाबाद के 111 पेट्रोल पंपों और नोएडा के 101 पंपों पर एएनपीआर कैमरे लगाए जाएंगे. यह कैमरे वाहनों की नंबर प्लेट को स्कैन करेंगे और जैसे ही किसी पुराने वाहन की पहचान होगी. घोषणा प्रणाली से वाहन का नंबर बोला जाएगा और ईंधन देने से मना कर दिया जाएगा.
कैसे काम करेगा ANPR सिस्टम?
ANPR (Automatic Number Plate Recognition) कैमरा एक उन्नत तकनीक है जो वाहनों की नंबर प्लेट को पढ़कर उन्हें डेटाबेस से मिलाता है. जैसे ही कोई पुराना वाहन (10 या 15 साल से अधिक पुराना) पंप पर आएगा. कैमरा उसकी नंबर प्लेट को पहचान लेगा और घोषणा सिस्टम के जरिए पंप कर्मचारी को जानकारी दे देगा कि यह वाहन ईंधन के लिए योग्य नहीं है. इससे मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं रहेगी और सिस्टम स्वत: पुराने वाहनों की पहचान कर लेगा.
बजट में देरी से टला जून का लक्ष्य, अब अक्टूबर तक होगा पूरा
पहले इस योजना को जून 2025 तक पूरी तरह लागू करने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन शासन स्तर पर बजट मिलने में देरी के कारण अब इसे अक्टूबर तक पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. यानी नवंबर से पहले इस सिस्टम को पूरी तरह चालू कर दिया जाएगा.
आंकड़े चौंकाने वाले
गाजियाबाद और नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) में कुल 5,70,993 पुराने वाहन अभी भी सड़कों पर दौड़ रहे हैं. जिनमें से गाजियाबाद में अकेले 3,64,588 वाहन अवैध रूप से चलते पाए गए हैं. ये वाहन न सिर्फ प्रदूषण फैला रहे हैं. बल्कि सड़क सुरक्षा के लिए भी खतरा बन चुके हैं.
प्रशासन के सामने चुनौती
ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि अगर ये वाहन जब्त किए जाते हैं, तो उन्हें रखने के लिए कोई स्थान नहीं है. बढ़ती संख्या और संसाधनों की कमी के कारण इन वाहनों को सड़क से हटाना आसान नहीं है. इसी वजह से सरकार ने ईंधन आपूर्ति बंद करने का विकल्प चुना है.
क्या यह कदम करेगा प्रदूषण पर लगाम?
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह व्यवस्था सफल होती है तो अन्य जिलों में भी इसे तेजी से लागू किया जा सकता है. इससे प्रदूषण में कमी, ट्रैफिक नियंत्रण, और सड़कों पर सुरक्षित ड्राइविंग जैसी समस्याओं में सुधार आने की उम्मीद है.