Multiple Bank Accounts: अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो आपके लिए एक ही बचत खाता (Saving Account) सबसे उपयुक्त है. इससे न केवल बैंकिंग लेनदेन का प्रबंधन आसान होता है, बल्कि टैक्स से जुड़ी प्रक्रिया भी सुगम बनती है. सभी वित्तीय विवरण एक ही खाते में सहेजने से पारदर्शिता और सुविधा दोनों मिलती है.
कम सेवा शुल्क और ज्यादा फायदा
एक से अधिक बैंक खाते होने पर आपको हर खाते के लिए:
- डेबिट कार्ड AMC (Annual Maintenance Charges)
- SMS सेवा शुल्क
- न्यूनतम शेष राशि की शर्त
जैसे शुल्क चुकाने पड़ते हैं. लेकिन एकल खाता रखने से ये खर्चे कम या एक बार में ही पूरे हो जाते हैं, जिससे बचत अधिक होती है.
RBI नियम भी करते हैं सिंगल अकाउंट का समर्थन
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मुताबिक भी एक बैंक खाता बनाए रखना ज्यादा व्यवहारिक है. इससे:
- सेवा शुल्क में बचत होती है
- खातों का नियंत्रण बेहतर रहता है
- न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना आसान होता है
निष्क्रिय खातों से बढ़ता है जालसाजी का खतरा
अगर आपके पास एक से ज्यादा खाते हैं, तो पुराने नौकरी वाले बैंक अकाउंट निष्क्रिय हो सकते हैं. ये खाते:
- जालसाजी के सबसे आसान लक्ष्य होते हैं
- नियमित निगरानी के अभाव में धोखाधड़ी का शिकार बन सकते हैं
इसलिए ऐसे खातों को बंद करना या एक ही खाता सक्रिय रखना ज्यादा सुरक्षित विकल्प है.
CIBIL स्कोर पर पड़ सकता है सीधा असर
अधिक बैंक खाते होने से उनमें न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना मुश्किल हो सकता है. अगर किसी खाते में यह राशि नहीं रहती तो:
- बैंक पेनल्टी चार्ज करता है
- यह जानकारी आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज हो सकती है
- इससे CIBIL स्कोर गिर सकता है, जो लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए बाधा बन सकता है
हर खाते पर दोगुना सेवा शुल्क
हर सेविंग अकाउंट के साथ जुड़ा होता है:
- डेबिट कार्ड चार्ज
- SMS अलर्ट फीस
- ऑनलाइन बैंकिंग सुविधा शुल्क
अगर आपके पास 3 खाते हैं, तो ये सारे चार्ज तीन गुना हो जाते हैं. वहीं एक ही खाता रखने से यह खर्च बहुत कम हो जाता है.
निवेश पर असर डालता है अतिरिक्त न्यूनतम बैलेंस
बैंकों की न्यूनतम शेष राशि की शर्त के चलते आपकी बड़ी राशि सिर्फ खाते में पड़ी रह जाती है. जैसे:
- यदि 3 खातों में हर एक का न्यूनतम बैलेंस ₹20,000 है, तो ₹40,000 तक की राशि आपके निवेश के योग्य नहीं रह जाती
- जबकि यही राशि डेट फंड्स या एफडी में लगाकर 8% तक रिटर्न पाया जा सकता है
- सेविंग अकाउंट में इसका आधा यानी लगभग 4% ही मिलता है
TDS और इनकम टैक्स में बढ़ सकती है उलझन
बचत खाते में ₹10,000 तक के ब्याज पर टैक्स छूट मिलती है. लेकिन अगर:
- गलती से ऐसा नहीं करने पर यह आयकर धोखाधड़ी के अंतर्गत आ सकता है, जो गंभीर कानूनी परेशानी बन सकता है
- आपके सभी खातों का कुल ब्याज ₹10,000 से ज्यादा हो जाता है
- तो बैंक TDS काट सकता है और आपको ITR में ब्याज की सही रिपोर्टिंग करनी होगी