Ration Card Salt Distribution: झारखंड के 65 लाख गरीब परिवारों को रियायती दर पर राशन के साथ नमक भी मुहैया कराया जाता है. लेकिन बीते 6 महीनों से यह सुविधा बंद है. दिसंबर 2023 में आखिरी बार 33% लाभुकों को 1 किलो नमक मिला था. तब से अब तक नमक की आपूर्ति पूरी तरह ठप है. जिससे लाभुकों में नाराजगी और असंतोष फैल रहा है.
हर महीने राशन के साथ मिलता है 1 रुपये किलो नमक
नमक वितरण योजना को झारखंड सरकार ने वित्तीय वर्ष 2011-12 में शुरू किया था. इस योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) से जुड़े गरीब परिवारों को हर महीने एक किलो फ्री-फ्लो रिफाइंड आयोडीन युक्त नमक महज 1 रुपये प्रति किलो की दर से दिया जाना था. 2022-23 में इस योजना का दायरा बढ़ाते हुए इसे राज्य खाद्य सुरक्षा अधिनियम (SFSA) से जुड़े लाभुकों तक भी पहुंचाया गया.
दिसंबर के बाद नहीं बंटी एक भी किलो नमक
राज्य में नमक वितरण की स्थिति दिसंबर 2023 के बाद से पूरी तरह से बाधित है. उस दौरान पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) की दुकानों से केवल 33 प्रतिशत राशन कार्डधारियों को ही नमक मिल पाया था. इसके बाद जनवरी 2024 से अब तक किसी भी लाभुक को नमक नहीं मिला.
जुलाई से दोबारा मिलने की संभावना
सरकार ने अब नमक वितरण बहाल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. JSFC (Jharkhand State Food Corporation) ने जनवरी से जून 2025 के लिए नमक की आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से टेंडर प्रक्रिया शुरू की है. योजना के मुताबिक:
- जनवरी से मार्च (2024-25 के Q4) और
- अप्रैल से जून (2025-26 के Q1)
इन दो तिमाहियों के लिए कुल 39,000 मीट्रिक टन नमक की खरीद की जाएगी. जून में पूरी प्रक्रिया पूरी होने की संभावना है और इसके बाद जुलाई से नमक का वितरण फिर से शुरू हो सकता है.
हर महीने 6500 मीट्रिक टन नमक की जरूरत
झारखंड में योजना को सफलतापूर्वक चलाने के लिए हर महीने लगभग 6,500 मीट्रिक टन नमक की आवश्यकता होती है. PDS दुकानों पर राशन वितरण के साथ-साथ नमक की सप्लाई भी सुनिश्चित की जाती है. लेकिन बीते 6 महीनों से सरकारी खरीदी और सप्लाई चेन में रुकावट के कारण यह योजना ठप हो गई है.
सरकार की तरफ से क्या है नई तैयारी?
झारखंड सरकार ने स्पष्ट किया है कि टेंडर प्रक्रिया पूरी होते ही वितरण शुरू कर दिया जाएगा. खाद्य आपूर्ति विभाग से मिली जानकारी के अनुसार नमक की खेप जून के अंतिम सप्ताह तक पहुंच सकती है और जुलाई से लाभुकों को 1 रुपये प्रति किलो की दर से नमक मिलना शुरू हो जाएगा.
लाभुकों में बढ़ रही नाराजगी
6 महीने से नमक न मिलने के कारण गरीब परिवारों में नाराजगी का माहौल है. कई लाभुकों का कहना है कि सरकार सिर्फ घोषणाएं करती है, वितरण में लापरवाही बरती जाती है. ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग, जिनकी आमदनी बेहद सीमित है. उनके लिए सस्ता नमक भी बड़ी राहत का साधन है.
क्या है अधिकारियों की दलील?
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि नमक की आपूर्ति में देरी बजट, टेंडर और लॉजिस्टिक कारणों से हुई है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि अब सारी प्रक्रियाएं ट्रैक पर हैं और जल्द ही वितरण सामान्य हो जाएगा. साथ ही भविष्य में ऐसी समस्या न हो इसके लिए योजना की मॉनिटरिंग भी की जा रही है.