Education Department Action: हरियाणा में पीटीआई (फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर) और फाइन आर्ट्स टीचर्स की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नौकरी से हटाया गया और अब सरकार सरकारी लोन की वसूली के लिए तैयार हो गई है. शिक्षा निदेशालय हरियाणा ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) को पत्र भेजकर बकाया लोन की सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं.
नौकरी के दौरान लिया गया था सरकारी लोन
ज्यादातर शिक्षक, जो 2010 में नियुक्त हुए थे. शिक्षको ने अपनी सेवा के दौरान सरकारी योजनाओं या विभागीय सुविधा के तहत लोन लिया था. लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत उनकी नियुक्ति रद्द हुई, तो उन्होंने लोन की अदायगी बंद कर दी. अब सरकार ने वसूली की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी है. जिससे इन पूर्व शिक्षकों की आर्थिक परेशानी और बढ़ सकती है.
2010 की भर्ती में सामने आई थी गड़बड़ी
हरियाणा में साल 2010 में पीटीआई और फाइन आर्ट्स टीचर्स की एक बड़ी भर्ती हुई थी. जिसे बाद में भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं के चलते सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया. इसके बाद सैकड़ों शिक्षक पदमुक्त हो गए थे. अब इन्हीं पदमुक्त शिक्षकों से सरकार वित्तीय देनदारी वसूलने जा रही है.
शिक्षा निदेशालय ने जारी किया सख्त पत्र
शिक्षा निदेशालय, हरियाणा ने हाल ही में सभी जिलों के DEO को पत्र भेजकर निर्देशित किया है कि वे उन सभी पूर्व शिक्षकों की जानकारी जुटाएं जिन्होंने लोन लिया था. पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बकाया लोन वसूली के लिए उचित कदम उठाए जाएं और रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जाए.
लोन न चुकाने से सरकारी नुकसान
शिक्षकों द्वारा लोन की किस्तें न भरने से सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है. ये लोन अधिकतर सरकारी बैंक या सहकारी संस्थानों से लिए गए थे. जिन्हें अब तक चुकता नहीं किया गया है. इससे न केवल सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ा है. बल्कि वित्तीय प्रणाली में असंतुलन भी उत्पन्न हुआ है.
कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी संभव
सूत्रों के अनुसार, यदि पूर्व शिक्षकों ने निर्धारित समय सीमा में लोन नहीं चुकाया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है. इसके तहत वसूली नोटिस, संपत्ति कुर्की या बैंक अकाउंट सील जैसे कदम उठाए जा सकते हैं. राज्य सरकार अब इस पूरे मामले को गंभीरता से ले रही है.
पीड़ित शिक्षकों की प्रतिक्रिया
पीटीआई और फाइन आर्ट्स शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों का कहना है कि, “हम पहले ही न्यायिक निर्णयों के कारण नौकरी गंवा चुके हैं, अब हम पर आर्थिक बोझ डाला जा रहा है. यह हमारे लिए दोहरी सजा जैसा है. सरकार को मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और राहत देनी चाहिए.”
शिक्षा क्षेत्र में जवाबदेही का बढ़ता दायरा
यह मामला दर्शाता है कि अब शिक्षा क्षेत्र में जवाबदेही और वित्तीय पारदर्शिता पर अधिक जोर दिया जा रहा है. सरकार भर्ती की प्रक्रिया से लेकर सेवा समाप्ति और वित्तीय व्यवहारों तक सभी पक्षों पर निगरानी बनाए हुए है.