Lal Dora Ownership Scheme: हरियाणा सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक बड़ा और राहत भरा फैसला लिया है. अब लाल डोरा सीमा के अंतर्गत आने वाली गैर-मालिकाना संपत्तियों पर लोगों को कानूनी मालिकाना हक मिलेगा. यह पहल सरकारी नीति के तहत संपत्ति को वैध रूप देने और निवासियों को उनका अधिकार दिलाने के उद्देश्य से शुरू की गई है.
करनाल नगर निगम ने मांगे आवेदन
इस योजना को प्रभावी बनाने के लिए करनाल नगर निगम ने भी पहल शुरू कर दी है. उन लोगों से आवेदन मांगे गए हैं जो अब तक लाल डोरा नीति के तहत संपत्ति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन नहीं कर पाए. नगर निगम आयुक्त डॉ. वैशाली शर्मा ने जानकारी दी है कि सभी पात्र नागरिक आगामी विशेष शिविर में आकर आवेदन कर सकते हैं.
23 मई को लगेगा विशेष कैंप
शिविर का आयोजन 23 मई को शुक्रवार के दिन किया जाएगा. यह कैंप सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक वार्ड नंबर 15 के कोट मोहल्ला की चौपाल में लगाया जाएगा. यह एक सुनहरा अवसर है उन नागरिकों के लिए जिनकी संपत्ति लाल डोरा क्षेत्र में आती है और जो कानूनी स्वामित्व प्राप्त करना चाहते हैं.
प्रमाण पत्र से होगा संपत्ति का रिकॉर्ड वैध
आयुक्त डॉ. वैशाली शर्मा के अनुसार, संपत्ति प्रमाण पत्र जारी होने के बाद संबंधित संपत्ति का रिकॉर्ड राजस्व विभाग में अपलोड कर दिया जाएगा. इसके बाद संबंधित संपत्ति की रजिस्ट्री भी संभव हो सकेगी. यानी अब लाल डोरा क्षेत्र की संपत्तियों को पूरी तरह से वैध स्वरूप मिल जाएगा.
आवेदन प्रक्रिया और जरूरी दस्तावेज
यदि आप इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, तो आवेदन करते समय आपको कुछ जरूरी दस्तावेज साथ लेकर आने होंगे:
- राजस्व प्राधिकारी द्वारा विधिवत सत्यापित शपथ पत्र
- पिछले 10 वर्षों के बिजली और पानी के बिल
- ईपीआईसी (मतदाता पहचान पत्र)
- ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट (यदि हो)
- GST पंजीकरण प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)
- पिछले 10 वर्षों के कब्जे का प्रमाण – संपत्ति कर की रसीदें
इन सभी दस्तावेजों का सत्यापन कैंप में ही किया जाएगा. सही पाए जाने पर जल्द ही प्रमाण पत्र जारी कर दिए जाएंगे.
क्या है ‘लाल डोरा’ की परिभाषा?
लाल डोरा क्षेत्र वह होता है जो गांव की आबादी के अंदर आता है. लेकिन लंबे समय से कानूनी स्वामित्व दर्ज नहीं हो पाया है. ऐसे क्षेत्रों में मकान और संपत्तियां होती तो हैं, लेकिन उनके मालिकों के पास रजिस्ट्री या वैध दस्तावेज नहीं होते. इस नई नीति का उद्देश्य इन संपत्तियों को कानूनी दर्जा देना है.
सरकार की नीति से मिलेगा स्थायित्व और अधिकार
यह योजना केवल कानूनी प्रक्रिया को आसान बनाने तक सीमित नहीं है. बल्कि इसका मकसद है कि ग्रामीणों को संपत्ति पर उनका कानूनी अधिकार मिले. इसके साथ ही विकास योजनाओं, ऋण सुविधा और संपत्ति की वैधता में भी सुधार होगा.