Water Tariff Hike: हरियाणा सरकार गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे शहरों में पानी की दरें बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है. फिलहाल जहां न्यूनतम मासिक पानी का बिल ₹48 है. उसे बढ़ाकर ₹115 तक करने की योजना पर काम चल रहा है. यह फैसला जल संरक्षण और खर्च की भरपाई के उद्देश्य से लिया जा रहा है.
पेयजल रेट बढ़ाने की पृष्ठभूमि
गुरुवार को मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव अरुण कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में हुई एक अहम बैठक में इस विषय पर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. इसमें बताया गया कि हरियाणा में पानी की दरें कई राज्यों से काफी कम हैं, जिनमें चंडीगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, केरल और चेन्नई शामिल हैं. कम दरों की वजह से पानी का दुरुपयोग भी बढ़ रहा है.
पानी शोधित करने की लागत भी ज्यादा
गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (GMDA) और पब्लिक हेल्थ विभाग ने जानकारी दी कि उन्हें प्रति किलोलीटर पानी शोधित करने में क्रमशः ₹11 और ₹13.69 का खर्च आता है. वहीं बोरवेल से जल आपूर्ति की जाए तो यह खर्च ₹8 प्रति किलोलीटर है.
वर्तमान में कहां कितनी दरें लागू हैं?
गुरुग्राम और मानेसर नगर निगम कॉलोनियों में एक रुपये प्रति किलोलीटर के हिसाब से पानी की आपूर्ति कर रहे हैं. जबकि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) के सेक्टरों में चार रुपये प्रति किलोलीटर की दर से शुल्क लिया जा रहा है. इस असमानता को देखते हुए अब एक समान टैरिफ संरचना लागू करने की योजना है.
सभी विभागों से मांगे गए सुझाव
प्रधान सचिव ने सभी संबंधित विभागों से सात दिन के भीतर पेयजल दरों को लेकर सुझाव मांगे हैं. इन सुझावों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार कर आखिरी फैसला लिया जाएगा कि दरों में कितना इजाफा किया जाए.
बैठक में शामिल रहे वरिष्ठ अधिकारी
बैठक में हरियाणा वाटर रिसोर्सिज अथॉरिटी की अध्यक्ष केसनी आनंद अरोड़ा, GMDA के CEO श्यामल मिश्रा, और अन्य प्रमुख विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे. सभी ने जल स्रोतों के कुशल उपयोग और आर्थिक स्थायित्व के लिए रेट रिवाइज़ की जरूरत पर बल दिया.
मुख्यमंत्री पहले ही दे चुके हैं निर्देश
24 अप्रैल को हुई मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता वाली बैठक में यह साफ निर्देश दिए गए थे कि सभी क्षेत्रों के लिए पेयजल दरों को एक समान किया जाए. इस बैठक में शहरी निकाय विभाग, HSVP, नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग और HSIIDC के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.
मुख्यमंत्री का फोकस ‘यूनिफॉर्म टैरिफ स्ट्रक्चर’ लागू करने पर है, ताकि सेक्टर और कॉलोनी दोनों जगहों में बराबर दरें लागू हों और कोई भेदभाव न रहे.
क्यों जरूरी है दरों में बढ़ोतरी?
- शोधित पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए खर्च बढ़ रहा है.
- वर्तमान दरें पानी की लागत को कवर नहीं कर पा रहीं.
- कम दरों की वजह से पानी का बेतरतीब उपयोग हो रहा है.
- बढ़ते शहरीकरण के चलते जल संसाधनों पर दबाव भी बढ़ रहा है.