Milk Price Hike: देश के दो बड़े डेयरी ब्रांड्स अमूल और मदर डेयरी ने दूध की कीमतों में बढ़ोतरी का एलान किया है. बढ़ती गर्मी और कच्चे माल की लागत में इजाफे के चलते कंपनियों ने अपने मुख्य दूध उत्पादों की कीमतों में बदलाव किया है. जिसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा.
अमूल ने बढ़ाए दूध के दाम, 1 मई से लागू
गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) जो अमूल ब्रांड का संचालन करता है, ने 1 मई 2025 से अमूल गोल्ड, अमूल ताजा, बफैलो मिल्क और स्लिम एंड ट्रिम जैसे उत्पादों के दाम में ₹2 प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है. कंपनी के अनुसार यह वृद्धि औसतन 3-4% है, जो कि मौजूदा खाद्य महंगाई दर से कम है.
उत्पादन लागत बढ़ी, किसानों को मिले बेहतर रेट
GCMMF का कहना है कि यह निर्णय इसलिए लिया गया ताकि दूध उत्पादक किसानों को उनकी लागत के अनुसार उचित मूल्य मिल सके और पूरी सप्लाई चेन को संतुलित किया जा सके. कंपनी का यह भी तर्क है कि यदि किसानों को सही दाम नहीं मिलेगा, तो उत्पादन प्रभावित होगा और भविष्य में आपूर्ति पर संकट खड़ा हो सकता है.
मदर डेयरी ने भी बढ़ाए अपने दूध उत्पादों के रेट
30 अप्रैल 2025 को मदर डेयरी ने भी दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों में अपने दूध उत्पादों की कीमतों में बदलाव किया.
- टोंड दूध ₹54 से ₹56
- फुल क्रीम दूध ₹68 से ₹69
- डबल टोंड दूध ₹49 से ₹51
- गाय का दूध ₹57 से ₹59
कंपनी ने बताया कि खरीद मूल्य में ₹4-5 प्रति लीटर की वृद्धि के चलते यह कदम उठाना जरूरी हो गया था.
गर्मी और लू का असर दूध उत्पादन पर
मदर डेयरी के मुताबिक, गर्म हवाएं और लू जैसी मौसमी परिस्थितियों के कारण दूध उत्पादन पर असर पड़ा है. इससे दूध की आपूर्ति में गिरावट और लागत में बढ़ोतरी देखी जा रही है. जिसका नतीजा अब बढ़ी हुई उपभोक्ता कीमतों के रूप में सामने आया है.
उपभोक्ताओं की जेब पर असर
दूध जैसी आवश्यक वस्तु के दाम बढ़ने का सबसे ज्यादा असर मध्य वर्ग और निम्न आय वर्ग के परिवारों पर पड़ता है. दूध केवल पीने तक सीमित नहीं है. बल्कि इसका उपयोग चाय, दही, पनीर, मिठाइयों और अन्य घरेलू व्यंजनों में भी होता है. ऐसे में दैनिक बजट पर सीधा प्रभाव देखने को मिलेगा.
किसानों को मिल सकता है इसका लाभ
हालांकि उपभोक्ताओं के लिए यह मूल्य वृद्धि चिंताजनक हो सकती है. लेकिन इसका एक पहलू यह भी है कि इससे दूध उत्पादक किसानों को अधिक रिटर्न मिल सकता है. अमूल और मदर डेयरी दोनों ही मानते हैं कि यदि किसानों को सही दाम मिलेगा. तभी वे उत्पादन बनाए रख सकेंगे और पूरी आपूर्ति श्रृंखला संतुलित रह सकेगी.