सीएनजी भरवाते टाइम गाड़ी में क्यों नही बैठना चाहिए, जाने इसके पीछे की असली वजह CNG Filling

CNG Filling: आजकल बढ़ती पेट्रोल-डीजल की कीमतों और कम मेंटेनेंस की वजह से कई लोग CNG (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) वाली गाड़ियां खरीदना पसंद करते हैं. यह कारें ना सिर्फ जेब पर हल्की होती हैं बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहतर मानी जाती हैं. लेकिन इसके साथ ही CNG कारों को लेकर कुछ महत्वपूर्ण सुरक्षा नियम भी होते हैं जिन्हें जानना हर यूज़र के लिए जरूरी है.

हाई प्रेशर में भरी जाती है CNG

CNG एक सामान्य गैस नहीं बल्कि हाई प्रेशर गैस होती है जिसे लगभग 200 से 250 बार प्रेशर पर गाड़ियों में भरा जाता है. इतनी अधिक दबाव वाली गैस को जब गाड़ी में लगे सिलेंडर में डाला जाता है तो गाड़ी पर अतिरिक्त दबाव बनता है.

अगर उस वक्त कार के अंदर लोग बैठे हों तो उनका वजन और गैस के प्रेशर का दबाव मिलकर सिलेंडर पर तनाव बढ़ा सकता है. इससे गैस लीक होने की संभावना और यहां तक कि ब्लास्ट होने का भी खतरा बढ़ सकता है.

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CNG है ज्वलनशील

CNG एक बेहद ज्वलनशील गैस है. अगर गैस भरते समय नोजल ठीक से फिट नहीं हुआ या कहीं से लीकेज हो गई तो उससे निकलने वाली गैस चिंगारी से मिलते ही भयानक आग पकड़ सकती है.

इसलिए इंजन बंद करना और सभी यात्रियों को कार से बाहर निकालना अनिवार्य होता है. CNG पंप पर साफ निर्देश भी लगे होते हैं कि भरते समय कार में कोई न बैठे और मोबाइल जैसी चीजों का इस्तेमाल न हो.

गैस की गंध से हो सकते हैं स्वास्थ्य संबंधी नुकसान

CNG गैस में एक विशेष प्रकार की गंध मिलाई जाती है ताकि लीकेज को सूंघकर पहचाना जा सके. हालांकि यह गंध किसी के लिए सामान्य हो सकती है लेकिन कई लोगों को इससे सिर दर्द उल्टी चक्कर और सांस की तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

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अगर किसी व्यक्ति को एलर्जी या अस्थमा जैसी समस्या है तो यह और भी खतरनाक हो सकता है. इसलिए CNG भरवाते समय बाहर रहना स्वास्थ्य की दृष्टि से भी जरूरी होता है.

ओवरफिलिंग से बढ़ता है धमाके का खतरा

CNG सिलेंडर की एक निश्चित भरने की क्षमता (Capacity) होती है. अगर इसमें ओवरफिलिंग हो गई यानी उसकी क्षमता से अधिक गैस भर दी गई तो सिलेंडर के अंदर का दबाव बहुत अधिक बढ़ जाता है.

यह स्थिति बहुत खतरनाक हो सकती है जिससे सिलेंडर में ब्लास्ट तक हो सकता है. इसलिए विश्वसनीय और प्रशिक्षित पंप स्टाफ से ही गैस भरवाना और ओवरफिलिंग से बचना जरूरी है.

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पेट्रोल और डीजल में क्यों नहीं होता ऐसा नियम?

कई लोग सोचते हैं कि जब पेट्रोल या डीजल भरवाते समय कार के अंदर बैठ सकते हैं तो CNG में क्यों नहीं? इसका जवाब है –
पेट्रोल-डीजल पंप पर ईंधन ग्रेविटी से भरता है उसमें कोई हाई प्रेशर सिस्टम नहीं होता. साथ ही वो गैस नहीं होते जिससे ब्लास्ट या लीक का खतरा कम होता है.

CNG के मामले में तेज प्रेशर गैस की प्रकृति और ज्वलनशीलता की वजह से खतरा कई गुना अधिक होता है.

CNG भरवाते समय इन जरूरी बातों का रखें ध्यान

  • इंजन पूरी तरह बंद करें.
  • सभी यात्री कार से बाहर निकलें.
  • CNG नोज़ल की फिटिंग की पुष्टि करें.
  • ओवरफिलिंग से बचें.
  • विश्वसनीय और अधिकृत पंप से ही गैस भरवाएं.
  • मोबाइल या कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग न करें.
  • गैस भरते समय स्टाफ की निगरानी में रहें.

CNG कार खरीदने से पहले क्या जानें?

CNG कार खरीदने से पहले इन बातों का ध्यान रखें:

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  • सिलेंडर की क्वॉलिटी BIS सर्टिफाइड होनी चाहिए.
  • फिटिंग ISI मार्क वाली और अनुभवी मैकेनिक से करवाएं.
  • बूटस्पेस और माइलेज को ध्यान में रखें.
  • रेगुलर लीकेज और वॉल्व जांच करवाते रहें.

आजकल कई कंपनियां CNG कारें ऐसे डिज़ाइन कर रही हैं जिनमें बूट स्पेस की समस्या नहीं होती और ड्राइविंग एक्सपीरियंस भी अच्छा मिलता है. लेकिन सेफ्टी के मामले में कोई समझौता न करें.

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