AC कोच हमेशा ट्रेन के बीच में क्यों लगे होते है, जाने क्या है असली कारण Indian Railways

Indian Railways: भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े और व्यस्ततम रेलवे नेटवर्कों में शामिल है. हर दिन लाखों लोग रेलगाड़ियों के माध्यम से यात्रा करते हैं. देश के सुदूर गांवों से लेकर बड़े-बड़े महानगरों तक को जोड़ने में इंडियन रेलवे की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है. यह सिर्फ एक परिवहन व्यवस्था नहीं बल्कि हर आम आदमी की ज़िंदगी से जुड़ी एक मजबूत कड़ी है.

यही कारण है कि रेलवे के हर फैसले और बदलाव के पीछे कोई न कोई तकनीकी, सुरक्षा या यात्री सुविधा से जुड़ी सोच होती है. इन्हीं में से एक खास व्यवस्था है ट्रेनों में एसी कोच को हमेशा बीच में लगाने की. आइए समझते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है.

एसी कोच को ट्रेन के बीच में लगाने के पीछे की सोच

अगर आपने ध्यान दिया हो, तो आपने देखा होगा कि किसी भी मेल, एक्सप्रेस, राजधानी या शताब्दी जैसी ट्रेनों में एसी कोच आमतौर पर ट्रेन के मध्य भाग में लगाए जाते हैं. यानी इंजन के बाद जनरल डिब्बे, फिर स्लीपर कोच और उनके बीचोंबीच होते हैं एसी कोच. इसके पीछे कई तकनीकी और यात्रियों से जुड़ी बातें होती हैं.

यह भी पढ़े:
July Bank Holidays 2025 अगले महीने में 13 दिन बंद रहेंगे बैंक, बैंक छुट्टियों की पूरी लिस्ट हुई जारी July Bank Holidays 2025

रेलवे ने भले ही इस बारे में कोई आधिकारिक बयान न दिया हो. लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यह व्यवस्था यात्रियों की सुविधा, प्रवेश-निकास की सहजता और संतुलन बनाए रखने के लिए अपनाई जाती है.

एसी कोच के यात्रियों के लिए सुविधा

एसी कोच में सफर करने वाले यात्री अधिकतर आरक्षित टिकट लेकर चलते हैं और अपेक्षाकृत उच्च किराया देते हैं. इसलिए रेलवे कोशिश करता है कि उन्हें यात्रा के दौरान कम भीड़ और अधिक सुविधा मिले.

ट्रेन के शुरू और अंत में जनरल कोच होते हैं. जहां अक्सर काफी भीड़ होती है. अगर एसी कोच भी इन्हीं के पास लगाए जाएं तो उतरते-चढ़ते समय टकराव और अव्यवस्था हो सकती है. लेकिन अगर एसी कोच बीच में होते हैं तो यात्री भीड़ से दूर रहकर जल्दी से अपने कोच तक पहुंच सकते हैं. जिससे उन्हें अधिक आरामदायक अनुभव होता है.

यह भी पढ़े:
Gold Silver Rate 23 June 2025 अचानक धड़ाम से गिरी सोने की कीमत, जाने 1 तोला सोने का ताजा भाव Gold Silver Price Today

स्टेशन डिज़ाइन का भी है बड़ा योगदान

भारत के ज़्यादातर रेलवे स्टेशनों पर मुख्य प्रवेश और निकास द्वार प्लेटफॉर्म के बीचोंबीच होते हैं. ऐसे में अगर एसी कोच भी ट्रेन के मध्य भाग में होते हैं, तो यात्रियों को स्टेशन पर पहुंचते ही अपने कोच तक आसानी से पहुंचने में मदद मिलती है. न तो उन्हें प्लेटफॉर्म के एकदम किनारे तक जाना पड़ता है और न ही लंबी दूरी चलनी पड़ती है.

उतरते समय भी यही होता है – यात्री जल्दी से स्टेशन के मुख्य द्वार तक पहुंच जाते हैं. इससे अव्यवस्था और भीड़भाड़ की स्थिति काफी हद तक टल जाती है.

ट्रेन की गति और संतुलन के लिए जरूरी

एक और बड़ी वजह है ट्रेन की संतुलन व्यवस्था. ट्रेन में एसी कोचों का वजन सामान्य डिब्बों की तुलना में अधिक होता है, क्योंकि उनमें अतिरिक्त सुविधाएं जैसे एसी यूनिट्स, हेवी बोगी फ्रेम आदि होते हैं. इसलिए उन्हें ट्रेन के केंद्र में रखना तकनीकी रूप से बेहतर होता है.

यह भी पढ़े:
Brick Kiln Closure 2025 इस राज्य में 7 महीने बंद रहेंगे ईंट भट्टे, ईंट कीमतों में हो सकती है भारी बढ़ोतरी Brick Kiln Closure 2025

जब कोई ट्रेन तेज गति से चलती है या मोड़ लेती है. तब भारी कोचों का बीच में होना ट्रेन के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है. इससे पटरी से उतरने की आशंका भी कम होती है और पूरी ट्रेन में कंपन और झटके भी कम महसूस होते हैं.

जनरल डिब्बे ट्रेन के शुरू और अंत में क्यों लगाए जाते हैं?

अगर आपने कभी जनरल डिब्बे में यात्रा की हो तो आप जानते होंगे कि वहां हमेशा भीड़ सबसे ज्यादा होती है. इसलिए रेलवे इन डिब्बों को ट्रेन के शुरुआती और आखिरी हिस्से में लगाता है, ताकि स्टेशन पर चढ़ने और उतरने वाले यात्री दोनों छोरों पर फैल जाएं और प्लेटफॉर्म पर जाम की स्थिति न बने.

अगर जनरल कोच बीच में लगा दिए जाएं तो पूरे प्लेटफॉर्म पर अव्यवस्था फैल सकती है. जिससे अन्य कोच के यात्रियों को चढ़ने-उतरने में परेशानी हो सकती है.

यह भी पढ़े:
Haryana Roadways Recruitment हरियाणा रोडवेज में अप्रेंटिस पदों पर भर्तियां, आवेदन की आखिरी तारीख है 24 जून Haryana Roadways Recruitment

फुल एसी ट्रेनों में भी कोच की व्यवस्था खास होती है

राजधानी, शताब्दी और वंदे भारत जैसी फुल एसी ट्रेनों में भी कोच की संख्या और पोजिशनिंग एक विशेष डिजाइन के अनुसार की जाती है. इंजन के बाद एसी जनरेटर कोच, फिर फर्स्ट एसी, सेकंड एसी, थर्ड एसी और उसके बाद कैटरिंग या पैंट्री कोच होते हैं. यह व्यवस्था इस तरह बनाई जाती है कि प्रत्येक क्लास के यात्रियों को समुचित सुविधा, कैटरिंग एक्सेस और सुरक्षा मिल सके. साथ ही ट्रेन का कुल भार और गति का संतुलन भी बना रहे.

यात्रियों के अनुभव से जुड़ा मामला

भारतीय रेलवे वर्षों से यात्रियों के व्यवहार और फीडबैक के आधार पर अपनी सेवाओं और डिब्बों की पोजिशनिंग में सुधार करता आया है. यात्रियों को कम दूरी पर अपने कोच मिलने, प्लेटफॉर्म पर भीड़ कम होने, ट्रेन के झटके कम महसूस होने जैसी बातें छोटे-छोटे लेकिन बहुत प्रभावी अनुभव बन जाते हैं. इसलिए भले ही यह बदलाव तकनीकी ना लगे. लेकिन यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ही इनका निर्माण और क्रम तय किया जाता है.

यह भी पढ़े:
Haryana Group D Recruitment हरियाणा में ग्रुप D की 7596 भर्तियों का ऐलान, सरकारी नौकरी का सुनहरा मौका Haryana Group D Recruitment

Leave a Comment

Whatsapp ग्रुप से जुड़े