Indian Railway: भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े और व्यस्ततम रेलवे नेटवर्कों में से एक है. हर दिन लाखों यात्री इसकी मदद से देशभर में यात्रा करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वंदे भारत एक्सप्रेस और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी कई मशहूर प्रीमियम ट्रेनों का सीधा मालिकाना हक भारतीय रेलवे के पास नहीं है?
किसके पास है वंदे भारत और शताब्दी ट्रेनों का मालिकाना हक?
वंदे भारत, शताब्दी एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस जैसी सुपरफास्ट ट्रेनों का असली मालिक भारतीय रेलवे नहीं. बल्कि एक दूसरी सरकारी कंपनी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इन प्रीमियम ट्रेनों का मालिकाना हक भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) के पास है.
IRFC क्या है और इसकी भूमिका क्या है?
IRFC यानी Indian Railway Finance Corporation एक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी है. इसका मुख्य कार्य भारतीय रेलवे की विभिन्न परिसंपत्तियों की फाइनेंसिंग करना और स्वामित्व बनाए रखना है. वंदे भारत और शताब्दी जैसी ट्रेनों के साथ-साथ इंजन, कोच और वैगन भी IRFC के स्वामित्व में आते हैं.
रेलवे संपत्तियों के खर्च का जिम्मा भी IRFC पर
IRFC न केवल इन ट्रेनों और अन्य संपत्तियों का मालिक है. बल्कि इनके वित्तीय खर्चों का भी वहन करता है. इसका मतलब है कि ट्रेन बनाने से लेकर उनके परिचालन तक में जो भी बड़ी लागत आती है. उसे IRFC द्वारा फाइनेंस किया जाता है.
भारतीय रेलवे को लीज पर मिलती हैं ट्रेनें
IRFC द्वारा संचालित व्यवस्था के तहत इंजन, कोच, वैगन और कई ट्रेनें भारतीय रेलवे को लीज पर दी जाती हैं. यानी रेलवे इन संसाधनों का उपयोग तो करता है लेकिन वास्तविक स्वामित्व IRFC के पास ही रहता है.
कितनी संपत्ति है IRFC के स्वामित्व में?
रिपोर्ट्स के अनुसार, IRFC के पास भारतीय रेलवे की लगभग 80% यात्री और मालगाड़ियों का स्वामित्व है. इन संपत्तियों को भारतीय रेलवे को आमतौर पर 30 साल की लीज पर दिया जाता है. इसका अर्थ है कि रेलवे लंबे समय तक इन ट्रेनों का संचालन करता है. लेकिन तकनीकी रूप से इनका मालिक IRFC ही बना रहता है.