Summer Vacation: राजस्थान सरकार ने शिक्षा सत्र 2025-26 के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. भजनलाल सरकार ने इस बार फिर से शिक्षा सत्र की शुरुआत 1 जुलाई से करने का निर्णय लिया है. यह बदलाव एक दशक बाद किया गया है. क्योंकि बीते 10 वर्षों से शिक्षा सत्र मई के महीने में ही शुरू हो जाता था.
इस फैसले के साथ राज्य का शिक्षा विभाग फिर से पुराने ढर्रे पर लौट आया है. जहां गर्मी की छुट्टियों के बाद जुलाई में स्कूल खुलते थे. शिक्षा विशेषज्ञों से लेकर शिक्षक संगठनों तक ने इस फैसले की सराहना की है.
शिविरा पंचांग ने किया बदलाव का संकेत
हालांकि इस फैसले की अब तक कोई अलग से आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी नहीं की गई है. लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से जारी “शिविरा पंचांग” में स्पष्ट रूप से इस बदलाव का उल्लेख किया गया है.
शिविरा पंचांग के अनुसार ग्रीष्मावकाश 17 मई से 30 जून 2025 तक रहेगा और नया सत्र 1 जुलाई से शुरू होगा. जून का पूरा महीना ग्रीष्मकालीन अवकाश दर्शाया गया है, जो पहले के वर्षों में नहीं होता था. पहले कभी 18 जून तो कभी 23 जून तक ही अवकाश घोषित किया जाता था.
नया सत्र, नया सिस्टम और शिक्षकों के लिए राहत
1 जुलाई से सत्र की शुरुआत से सबसे अधिक राहत राज्य के 4 लाख से अधिक शिक्षकों को मिली है. अब शिक्षकों को भी 30 जून तक पूर्ण अवकाश मिलेगा. जबकि पहले उन्हें छुट्टी के बीच स्कूल वापस बुला लिया जाता था.
इस बदलाव के कारण अब शिक्षक भी गर्मियों में लंबी यात्रा या पारिवारिक योजना बना सकते हैं. सोशल मीडिया पर शिक्षकों ने इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए “धन्यवाद भजनलाल” हैशटैग चलाया है.
क्यों हुआ था पहले बदलाव?
साल 2015-16 में भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान शिक्षा सत्र को अप्रैल-मई में शिफ्ट कर दिया गया था. इसका उद्देश्य निजी स्कूलों से तालमेल बैठाना था, क्योंकि प्राइवेट स्कूल एक अप्रैल से ही सत्र शुरू कर देते हैं.
सरकारी स्कूलों में भी यही फॉर्मेट अपनाकर एकरूपता लाने की कोशिश की गई थी. लेकिन गर्मी के मौसम में यह प्रयोग ज्यादा कारगर साबित नहीं हुआ. खासकर सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते.
गर्मियों में मिलेगा आराम, नहीं होगी पढ़ाई की चिंता
शिविरा पंचांग में स्पष्ट रूप से मई-जून के दौरान कक्षाएं और परीक्षाएं न रखने का संकेत दिया गया है. यानी इन महीनों में न तो पढ़ाई होगी और न ही परीक्षा का दबाव रहेगा.
17 मई तक सभी कक्षाओं के वार्षिक परीक्षा परिणाम, प्रगति पत्र वितरण और अन्य प्रशासनिक कार्य पूरे कर लिए जाएंगे. इसके बाद सभी शिक्षक और छात्र 1 जुलाई को स्कूल में वापस लौटेंगे.
शिक्षा व्यवस्था को फिर से व्यवस्थित करने की कोशिश
- राज्य सरकार का यह कदम शिक्षा व्यवस्था को अधिक व्यावहारिक और अनुकूल बनाने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है.
- प्रशासन को साल भर की शैक्षणिक गतिविधियों की योजना बेहतर तरीके से बनाने का समय मिलेगा.
- इससे छात्रों को पर्याप्त छुट्टियों के साथ मनोवैज्ञानिक राहत मिलेगी.
- शिक्षकों को काम और जीवन के बीच संतुलन बनाने का अवसर मिलेगा.