Summer Vacation: अप्रैल का महीना शुरू होते ही उत्तर भारत के राज्यों हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में गर्मी ने जिस तरह से तेवर दिखाए हैं. उसने आम जनता के साथ-साथ प्रशासन को भी चिंता में डाल दिया है. इस बार का तापमान सामान्य से कहीं अधिक बढ़ चुका है और 45 डिग्री सेल्सियस को पार करना आम बात हो गई है. यह केवल मौसम की मार नहीं. बल्कि जलवायु परिवर्तन की एक गंभीर चेतावनी है.
गर्मी की छुट्टियों पर मंडराता सवाल
हर साल गर्मी की छुट्टियां जून में शुरू होती हैं. लेकिन इस बार भीषण गर्मी के कारण स्कूलों की छुट्टियों को पहले घोषित करने की चर्चा जोरों पर है. हरियाणा में सामान्यतः 1 जून से 30 जून तक स्कूल बंद रहते हैं. लेकिन इस बार गर्मी का प्रकोप इतना अधिक है कि सरकारी स्तर पर मई में ही छुट्टियां घोषित करने पर विचार चल रहा है. यह निर्णय छात्रों और शिक्षकों दोनों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जरूरी हो गया है. ऐसे समय में जब तापमान जानलेवा हो सकता है. शिक्षा से ज्यादा जरूरी बच्चों की सेहत बन जाती है.
गर्मी की छुट्टियां सिर्फ आराम नहीं
छुट्टियों को केवल मस्ती या खेल के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए. तेज गर्मी में छुट्टियां बच्चों के शरीर और दिमाग को राहत देने का माध्यम बनती हैं. जब पारा 45 डिग्री पार कर जाए, तो बच्चों के लिए कक्षा में बैठना न केवल मुश्किल, बल्कि खतरनाक भी हो सकता है. हीट स्ट्रोक, डीहाइड्रेशन और थकान जैसे खतरे हर समय बने रहते हैं. इसलिए समय से पहले छुट्टियां देना बच्चों को इन खतरों से बचाने का एक कारगर तरीका बन सकता है.
जलवायु परिवर्तन ने बिगाड़ा मौसम चक्र
अब मौसम वही नहीं रहा जो पहले हुआ करता था. जलवायु परिवर्तन ने मौसम के पैटर्न को इतना बदल दिया है कि पारंपरिक छुट्टियों का शेड्यूल अब बेमानी लगने लगा है. अप्रैल में ही तापमान जून जैसी गर्मी का एहसास दिला रहा है. इसलिए जरूरत है कि स्कूलों और शिक्षा विभागों को अब लचीला और मौसमी निर्णय लेने वाला ढांचा अपनाना चाहिए. छात्रों के हित को प्राथमिकता देते हुए कैलेंडर में बदलाव अब केवल विकल्प नहीं. बल्कि आवश्यकता बन गया है.
छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों और स्कूल स्टाफ की सेहत भी जरूरी
गर्मी का असर सिर्फ छात्रों पर ही नहीं. बल्कि शिक्षकों और अन्य स्टाफ पर भी पड़ता है. लगातार गर्मी में काम करने से मानसिक थकान और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ सकती हैं. इसलिए स्कूलों को चाहिए कि क्लासरूम्स में ठंडक की व्यवस्था, पर्याप्त पानी, और आरामदायक समय सारिणी जैसे कदम उठाएं. लेकिन जब मौसम बेहद असहनीय हो जाए. तब समय पर छुट्टियां ही सबसे सुरक्षित विकल्प बनती हैं.
छुट्टियां पहले घोषित करने से छात्रों का पढ़ाई पर नहीं पड़ेगा असर
यह भ्रम है कि गर्मियों की छुट्टियां पहले कर देने से छात्रों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ेगा. आज के समय में ऑनलाइन लर्निंग, असाइनमेंट्स और प्रोजेक्ट आधारित पढ़ाई के जरिए यह अंतर आसानी से पूरा किया जा सकता है. इसके साथ ही स्कूल छुट्टियों से पहले एडवांस रिवीजन और कार्यपत्रक (वर्कशीट्स) देकर छात्रों को आगे की पढ़ाई के लिए तैयार कर सकते हैं. इससे बच्चों की सेहत भी सुरक्षित रहेगी और पढ़ाई भी नहीं रुकेगी.