Full Form Of LKG And UKG: हर साल की तरह इस बार भी नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है. स्कूलों में छोटे बच्चों के LKG (एलकेजी) और UKG (यूकेजी) में दाखिले को लेकर अभिभावकों में उत्साह देखा जा रहा है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि आज भी कई माता-पिता और छात्र-छात्राओं को LKG और UKG की फुल फॉर्म और असली उद्देश्य की जानकारी नहीं है. उन्हीं सवालों का आसान और स्पष्ट जवाब देते है.
LKG और UKG की फुल फॉर्म क्या होती है?
बहुत से अभिभावक इन शब्दों का प्रयोग तो करते हैं. लेकिन इनके मतलब को लेकर भ्रमित रहते हैं. आइए जानते हैं इनका पूरा नाम:
- LKG की फुल फॉर्म होती है: Lower Kindergarten (लोअर किंडरगार्टन)
- UKG की फुल फॉर्म होती है: Upper Kindergarten (अपर किंडरगार्टन)
इन दोनों कक्षाओं को आमतौर पर प्री-प्राइमरी शिक्षा का हिस्सा माना जाता है. जहां बच्चों को स्कूलिंग की दुनिया से पहला परिचय कराया जाता है.
LKG और UKG कक्षा का उद्देश्य क्या होता है?
LKG और UKG की कक्षाएं 3 से 6 वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए होती हैं. इन कक्षाओं में शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ किताबें पढ़ाना नहीं होता, बल्कि:
- बच्चों को समझने और बोलने की क्षमता विकसित करना
- आंख, हाथ और मस्तिष्क के बीच तालमेल बैठाना
- खेल-खेल में पढ़ाई के जरिए शिक्षा को रोचक बनाना
- आत्मविश्वास और सामाजिक व्यवहार को मजबूत करना
- आगे की शिक्षा के लिए मानसिक रूप से तैयार करना
इन कक्षाओं में आमतौर पर रंग भरना, पजल हल करना, कहानी सुनाना, कविता बोलना, चित्र पहचानना और ग्रुप एक्टिविटी जैसे साधनों से बच्चों की बुनियादी योग्यता को बढ़ाया जाता है.
एलकेजी और यूकेजी में बच्चों की आयु सीमा क्या होनी चाहिए?
बच्चे की उम्र के अनुसार एलकेजी और यूकेजी में एडमिशन की एक सामान्य गाइडलाइन होती है:
- LKG (Lower Kindergarten): आमतौर पर 3.5 से 4 साल की उम्र में
- UKG (Upper Kindergarten): लगभग 4.5 से 5 साल की उम्र में
यह उम्र स्कूलों और राज्यों के अनुसार थोड़ी अलग हो सकती है, लेकिन अधिकतर संस्थान इसी मानक को अपनाते हैं. सही उम्र में दाखिला होने से बच्चे को पढ़ाई के साथ सहज जुड़ाव होता है.
क्यों जरूरी है प्री-प्राइमरी शिक्षा?
प्री-प्राइमरी शिक्षा यानी LKG और UKG किसी भी बच्चे के शैक्षिक जीवन की नींव होती है. अगर यह नींव मजबूत हो, तो बच्चा आगे चलकर कठिन विषयों को भी आसानी से समझ सकता है. इस उम्र में बच्चे का दिमाग बेहद सक्रिय और ग्रहणशील होता है. यही वजह है कि उन्हें खेल-खेल में पढ़ाई के जरिए सीखने की आदत डाली जाती है.
एलकेजी और यूकेजी में क्या-क्या सिखाया जाता है?
इन कक्षाओं में बच्चों को ऐसी गतिविधियों में शामिल किया जाता है. जिससे उनका संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक विकास होता है. कुछ प्रमुख विषय और क्रियाएं:
- अंग्रेजी वर्णमाला (A-Z) और हिंदी वर्णमाला (अ-अ: तक) की पहचान
- गिनती सीखना (1-50 तक)
- आकार, रंग और वस्तुओं की पहचान
- गायन, कविता, कहानी सुनना
- चित्र बनाना, रंग भरना और क्राफ्ट एक्टिविटी
- सामूहिक खेल और टीमवर्क
- शिष्टाचार और व्यक्तिगत स्वच्छता की सीख
क्या है भारत में LKG और UKG का महत्व?
भारत में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 (NEP 2020) के तहत अब प्री-प्राइमरी शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया है. नई नीति के अनुसार 3 से 8 वर्ष की उम्र को फाउंडेशनल स्टेज माना गया है और इस समय में बच्चे को LKG, UKG के जरिए स्कूली शिक्षा की मजबूत बुनियाद दी जाती है.
यह जरूरी है कि अभिभावक केवल स्कूल की ब्रांडिंग पर न जाएं. बल्कि यह देखें कि स्कूल में बच्चों के सीखने का माहौल, गतिविधियां और व्यवहारिक ज्ञान पर कितना ध्यान दिया जा रहा है.
एलकेजी और यूकेजी में बच्चों को मानसिक दबाव न दें
इस स्तर पर बच्चों से उम्मीदों का बोझ डालना ठीक नहीं है. कई बार अभिभावक चाहते हैं कि बच्चा छोटी उम्र में ही सब कुछ जान जाए. लेकिन यह सोच बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकती है. इस समय का उद्देश्य सीखने की रुचि और आत्मविश्वास को बढ़ाना होना चाहिए. न कि परीक्षा और रैंक की दौड़ शुरू कर देना.