Vivah Muhurat 2025: अगर आपने इस साल शादी का प्लान किया है, तो अब ज्यादा वक्त नहीं बचा. हिंदू पंचांग के अनुसार 8 जून से 15 नवंबर 2025 तक विवाह के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं रहेगा. यानी इस अवधि में विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाएंगे. यदि आप शादी की योजना बना रहे हैं तो गुरु ग्रह के अस्त होने से पहले विवाह कर लें, नहीं तो नवंबर तक इंतजार करना होगा.
14 अप्रैल से शुरू हुआ था शुभ विवाह योग
इस साल विवाह मुहूर्तों की शुरुआत 14 अप्रैल 2025 से हुई थी. अप्रैल और मई में कई शुभ मुहूर्त थे जिनमें विवाह समारोह पूरे धूमधाम से संपन्न हुए. लेकिन अब जैसे-जैसे गुरु ग्रह के अस्त होने की तिथि (12 जून) करीब आ रही है, शुभ मुहूर्त खत्म होते जा रहे हैं.
क्यों रुक जाते हैं विवाह मुहूर्त?
हिंदू ज्योतिष के अनुसार विवाह जैसे शुभ कार्य गुरु और शुक्र ग्रह की शुभ स्थिति में ही किए जाते हैं. यदि ये ग्रह अस्त या अशुभ स्थिति में होते हैं तो विवाह मुहूर्त अशुभ या निषेध माने जाते हैं. इस साल 12 जून से गुरु ग्रह अस्त हो जाएगा. जिसकी वजह से विवाह योग 9 जुलाई तक पूर्ण रूप से बंद रहेगा. इसके बाद चातुर्मास शुरू हो जाएगा, जो और भी बड़ा ब्रेक लेकर आता है.
चातुर्मास में क्यों नहीं होते विवाह?
चातुर्मास की शुरुआत 6 जुलाई 2025 को देवशयनी एकादशी से होगी और यह 1 नवंबर 2025 को समाप्त होगा. इस चार महीने की अवधि में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं. इसलिए इस समय को मांगलिक कार्यों के लिए अनुचित माना जाता है. नतीजतन न केवल विवाह बल्कि गृह प्रवेश, मुंडन, यज्ञोपवित जैसे अन्य शुभ कार्य भी नहीं किए जाते.
जून से पहले बचे हैं केवल कुछ ही शुभ मुहूर्त
यदि आप चाहते हैं कि इस ब्रेक से पहले शादी हो जाए, तो आपके पास अब मई और जून में बची कुछ तारीखें ही हैं.
मई में विवाह के शुभ मुहूर्त:
- 20 मई
- 22 मई
- 23 मई
- 24 मई
- 27 मई
- 28 मई
जून में विवाह के अंतिम शुभ मुहूर्त:
- 1 जून
- 2 जून
- 4 जून
- 5 जून
- 7 जून
- 8 जून (अंतिम तिथि)
इन तारीखों के बाद अगला विवाह योग 15 नवंबर 2025 के बाद ही शुरू होगा.
विवाह मुहूर्त देखने से पहले क्या ध्यान रखें?
जब भी विवाह की तारीख तय करें, इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- गुरु और शुक्र ग्रह की स्थिति शुभ होनी चाहिए
- तिथि, नक्षत्र और वार एक-दूसरे के अनुकूल हों
- कुंडली मिलान और ग्रह गोचर की स्थितियों को देखकर निर्णय लें
- पंडित या ज्योतिषी की राय से मुहूर्त तय करना श्रेष्ठ रहता है
क्यों जरूरी है शुभ मुहूर्त में शादी करना?
हिंदू धर्म में विवाह एक पवित्र संस्कार है. जिसे सही ग्रह-नक्षत्रों और तिथियों में करना बेहद जरूरी माना जाता है. यदि विवाह अशुभ काल में होता है, तो इसे दाम्पत्य जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाला माना जाता है. इसलिए शुभ मुहूर्त में ही विवाह करने की परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है.
नवंबर से फिर शुरू होंगे विवाह के दिन
1 नवंबर 2025 के बाद चातुर्मास समाप्त होते ही विवाह योग फिर से शुरू हो जाएंगे. इसके बाद साल के अंत तक एक और वेडिंग सीजन देखने को मिलेगा. जो लोग इस वर्ष के अंतिम महीनों में विवाह की योजना बना रहे हैं. वे नवंबर–दिसंबर के शुभ मुहूर्तों में आयोजन कर सकते हैं.