New Expressway: भारत में सड़कों का जाल लगातार तेजी से फैल रहा है. अब सरकार एक ऐसा एक्सप्रेसवे बनाने जा रही है, जो न केवल देश के उत्तर और पश्चिम को जोड़ेगा. बल्कि रेगिस्तान की रेत के बीच से गुजरते हुए एक अनोखा अनुभव भी देगा. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) इस मेगा प्रोजेक्ट – अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे – को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है. यह एक्सप्रेसवे भारत के सबसे बड़े और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में से एक थार रेगिस्तान से होकर गुजरेगा.
क्या है अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे की खासियत?
इस एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 1,257 किलोमीटर होगी और यह 6 से 8 लेन का अत्याधुनिक राजमार्ग होगा. इस परियोजना पर लगभग ₹80,000 करोड़ की लागत आने की संभावना है. इसकी सबसे खास बात यह है कि यह राजस्थान के उन हिस्सों से होकर गुजरेगा, जहां सिर्फ रेत ही रेत है. एनएचएआई ने इसकी डिजाइन को इस प्रकार तैयार किया है कि यह ऊंचे तापमान, धूलभरे तूफानों और थार के दुर्गम भौगोलिक हालात को भी झेल सके.
थार के दिल से गुजरेगा एक्सप्रेसवे
इस एक्सप्रेसवे का सबसे चुनौतीपूर्ण और खास हिस्सा राजस्थान में स्थित होगा, जहां यह 655 किलोमीटर की लंबाई तक केवल रेत के बीच से होकर गुजरेगा. यह मार्ग हनुमानगढ़, बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर और जालोर जैसे जिलों को छुएगा. इस इलाके में सड़क बनाना तकनीकी रूप से बेहद मुश्किल होता है. लेकिन सरकार ने इसे एक इंजीनियरिंग चमत्कार में बदलने की ठानी है.
सफर होगा आसान और तेज़
वर्तमान में अमृतसर से जामनगर पहुंचने में सड़क मार्ग से लगभग 26 घंटे का समय लगता है. लेकिन इस एक्सप्रेसवे के पूरा होने के बाद यह सफर केवल 12 से 13 घंटे में तय किया जा सकेगा. यानी सफर का आधे से भी ज्यादा समय बचेगा. इससे व्यापारियों, ट्रांसपोर्ट कंपनियों और यात्रियों सभी को राहत मिलेगी.
रणनीतिक रूप से भी बेहद अहम है यह सड़क
इस एक्सप्रेसवे का निर्माण पाकिस्तान बॉर्डर के बेहद करीब किया जा रहा है. जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. यह न सिर्फ आम नागरिकों और व्यापारियों के लिए उपयोगी होगा. बल्कि देश की सुरक्षा रणनीति में भी एक मजबूत आधार प्रदान करेगा. आपातकालीन परिस्थितियों में सेना के लिए तेज मूवमेंट सुनिश्चित करना इसका एक अहम पक्ष होगा.
गुजरात से जम्मू-कश्मीर तक सीधी कनेक्टिविटी
यह एक्सप्रेसवे दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे से भी जुड़ा रहेगा, जिससे भारत के पश्चिमी हिस्से गुजरात से लेकर उत्तरी भाग जम्मू-कश्मीर तक सीधी कनेक्टिविटी मिल सकेगी. इससे धार्मिक पर्यटन, विशेष रूप से अमृतसर और वैष्णो देवी जाने वाले श्रद्धालुओं को बड़ी सुविधा मिलेगी.
रेगिस्तान में सड़क बनाना कैसे है चुनौतीपूर्ण?
थार जैसे इलाके में सड़क बनाना आसान नहीं है. यहां तापमान गर्मियों में 50 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है और रेत का बार-बार उड़ना, धूलभरी आंधियां, कमजोर मिट्टी, ये सभी इस प्रोजेक्ट को बेहद जटिल बना देते हैं. यही कारण है कि इस सड़क की डिजाइन में विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. ताकि रेत हटे बिना सड़क लंबे समय तक स्थिर बनी रहे.
स्थानीय विकास को भी मिलेगा बढ़ावा
जहां यह एक्सप्रेसवे गुजर रहा है. वहां के कई ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है. लेकिन अब इस सड़क से आसपास के गांवों और कस्बों में व्यापारिक गतिविधियां बढ़ेंगी. छोटे कारोबार, होटल, ढाबे, पेट्रोल पंप जैसी सुविधाएं विकसित होंगी. जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे.
दिसंबर 2025 तक हो सकता है उद्घाटन
सरकारी सूत्रों की मानें तो दिसंबर 2025 तक इस एक्सप्रेसवे का उद्घाटन संभव है. इसका निर्माण कई चरणों में चल रहा है और राजस्थान वाले हिस्से पर तेजी से काम किया जा रहा है. NHAI की कोशिश है कि तय समयसीमा के भीतर इसे पूरा कर जनता को सौंपा जाए.