Marriage Culture: दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में शादी से जुड़ी परंपराएं समय, संस्कृति और समाज के अनुसार भिन्न होती हैं। भारत में जहां शादी एक पवित्र संस्कार माना जाता है और शादी की पहली रात को दो लोगों के बीच निजी पल माना जाता है, वहीं अफ्रीका के कुछ जनजातीय इलाकों में ऐसी परंपरा देखने को मिलती है जो पहली बार सुनने में अजीब लग सकती है।
यहां पर शादी की पहली रात यानी सुहागरात पर दुल्हन की मां नवविवाहित जोड़े के साथ उसी कमरे में रहती है और कई बार उनके साथ एक ही बिस्तर पर भी सोती है। इस परंपरा का उद्देश्य न तो अनैतिक है और न ही किसी प्रकार की हस्तक्षेप की भावना है। बल्कि इसके पीछे छुपा होता है अनुभव, मार्गदर्शन और पारिवारिक सामाजिक संरचना।
दुल्हन की मां निभाती है गुरु जैसी भूमिका
अफ्रीका की कुछ विशेष जनजातियों में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। माना जाता है कि शादी की पहली रात दो लोगों के जीवन का एक नया अध्याय होता है। ऐसे में अनुभवहीन और पहली बार एक-दूसरे के साथ रहने वाले नवविवाहित जोड़े को सही मार्गदर्शन देना जरूरी होता है।
इस परंपरा के अनुसार दुल्हन की मां उस रात न सिर्फ साथ रहती है। बल्कि बेटी और दामाद को बताती है कि वैवाहिक जीवन में आपसी समझ, प्रेम, आदर और शारीरिक संबंधों को कैसे निभाया जाता है।
अगर मां ना हो, तो कोई बुजुर्ग महिला निभाती है ये भूमिका
इन इलाकों में यदि किसी कारणवश लड़की की मां नहीं है, तो उसकी जगह पर परिवार या समुदाय की किसी बुजुर्ग महिला को यह जिम्मेदारी दी जाती है। यह महिला अनुभवी होती है और कई बार पारिवारिक रिश्तेदार या पड़ोसी भी हो सकती है।
इसका उद्देश्य केवल यह होता है कि नए जोड़े को मार्गदर्शन दिया जा सके ताकि वे वैवाहिक जीवन की शुरुआत बेहतर तरीके से कर सकें। इस बुजुर्ग महिला को आमतौर पर बहुत सम्मान दिया जाता है और उसकी बातों को गंभीरता से लिया जाता है।
क्या करती है दुल्हन की मां उस रात?
यह परंपरा दिखने में भले ही अजीब लगे। लेकिन इसमें कोई अशोभनीय बात नहीं होती। दुल्हन की मां या बुजुर्ग महिला शादीशुदा जोड़े के पास बैठती है, कभी-कभी एक ही बिस्तर पर भी होती है। लेकिन उसका मकसद केवल देखरेख और सुझाव देना होता है।
वह उन्हें यह सिखाती है कि वैवाहिक जीवन में एक-दूसरे का सम्मान कैसे करें। मनमुटाव से कैसे बचें, और निजी रिश्तों में समझदारी कैसे बनाए रखें। साथ ही महिला यह भी देखती है कि दोनों में कोई परेशानी तो नहीं हो रही।
दुल्हन की मां सबको बताती है पहली रात का अनुभव
इन जनजातियों में यह भी प्रथा है कि दुल्हन की मां अगली सुबह बाकी महिलाओं को यह बताती है कि पहली रात कैसी रही। हालांकि यह बात बाहर से सुनने में हैरानी वाली लग सकती है। लेकिन वहां की सामाजिक संरचना में यह पूरी तरह सामान्य और स्वीकार्य माना जाता है।
इस परंपरा के तहत यदि किसी प्रकार की समस्या सामने आती है, तो समुदाय उस पर विचार करता है और नवविवाहितों को जरूरी सलाह या सहयोग देता है।
समाज की सामूहिक जिम्मेदारी की मिसाल है ये प्रथा
अफ्रीका के इन क्षेत्रों में विवाह को केवल दो व्यक्तियों के बीच का संबंध नहीं माना जाता। बल्कि यह दो परिवारों और पूरे समुदाय की जिम्मेदारी होता है। यह परंपरा इस बात की ओर इशारा करती है कि शादी के बाद नवविवाहित अकेले नहीं होते। बल्कि पूरा समाज उनके साथ खड़ा होता है।
दुल्हन की मां का साथ रहना इसलिए जरूरी माना जाता है ताकि नवदंपती को भावनात्मक और मानसिक सहारा मिल सके।
संस्कृति में छुपा है गहरा अर्थ
जहां आधुनिक समाज में शादी के बाद जोड़े को पूरी निजता दी जाती है। वहीं इन जनजातीय समाजों में सामूहिक देखरेख और मार्गदर्शन को प्राथमिकता दी जाती है। यह परंपरा बताती है कि हर संस्कृति का अपना नजरिया होता है और हर परंपरा के पीछे कोई न कोई सामाजिक सोच होती है।
इसका यह मतलब नहीं कि सभी जगह इसे अपनाया जाए। लेकिन यह जानना दिलचस्प है कि दुनिया के किसी कोने में शादी को इस रूप में भी देखा जाता है।