Income Tax Department: भारत की आर्थिक संरचना को मजबूत बनाने में आयकर विभाग (Income Tax Department) की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है. हर साल सरकार को मिलने वाला इनकम टैक्स का राजस्व देश के इंफ्रास्ट्रक्चर शिक्षा स्वास्थ्य रक्षा और अन्य विकास कार्यों में इस्तेमाल होता है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति या संस्था इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में कोई हेर-फेर करता है या जानकारी छिपाता है तो आयकर विभाग सख्त कार्रवाई कर सकता है.
टैक्स भरना और ITR फाइल करना है अनिवार्य
सरकार ने एक तय सीमा से ऊपर की आय वालों के लिए टैक्स भरना अनिवार्य कर रखा है. इसके लिए सभी को हर साल आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करनी होती है. रिटर्न फाइल करते समय यह ज़रूरी है कि आप अपनी पूरी आय का सही-सही विवरण दें और कोई भी जानकारी न छुपाएं.
कई बार लोग जानबूझकर या अनजाने में गलत या अधूरी जानकारी दे देते हैं जिसका परिणाम उन्हें वर्षों बाद भुगतना पड़ सकता है.
ITR स्क्रूटनी: हर डिटेल की होती है जांच
ITR भरने के बाद आयकर विभाग उसकी गहन जांच यानी ‘स्क्रूटनी’ (Scrutiny) करता है. यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने के लिए होती है कि टैक्सपेयर ने अपनी आय और देय टैक्स की जानकारी सही-सही दी है या नहीं.
अगर स्क्रूटनी में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो डिपार्टमेंट नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांग सकता है. और यदि जवाब संतोषजनक न हो तो अतिरिक्त टैक्स जुर्माना और कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है.
नोटिस आ सकता है घर तक
अगर कोई व्यक्ति स्क्रूटनी में फंस जाता है तो इनकम टैक्स नोटिस सीधे उसके पते पर भेजा जा सकता है. यह नोटिस कई कारणों से आ सकता है जैसे:
- गलत ITR फाइलिंग
- आय का गलत विवरण
- बैंक या अन्य वित्तीय लेन-देन का गैर-मेल खाते होना
- टैक्स चोरी या छूट में हेरफेर
यह नोटिस कभी-कभी बहुत पुराने वर्षों के लिए भी आ सकता है जो टैक्सपेयर्स के लिए चौंकाने वाली बात होती है.
कितने साल पुराने टैक्स रिटर्न पर भेजा जा सकता है नोटिस?
तीन साल तक का सामान्य नियम
आयकर विभाग पिछले तीन असेसमेंट ईयर (Assessment Years) के टैक्स रिटर्न की जांच कर सकता है. यदि इन तीन वर्षों में रिटर्न में कोई त्रुटि या गड़बड़ी पाई जाती है तो विभाग नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांग सकता है.
दस साल पुराने मामलों में भी नोटिस संभव
आश्चर्य की बात यह है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में आयकर विभाग दस साल पुराने मामलों पर भी नोटिस भेज सकता है. हालांकि इसके लिए कुछ सख्त शर्तें हैं:
- विभाग के पास पक्के सबूत होने चाहिए कि टैक्स चोरी हुई है.
- मामला 50 लाख रुपये से अधिक की टैक्स चोरी का हो.
- सबूतों के आधार पर आयकर अधिकारी सेक्शन 148 के तहत ITR को दोबारा खोल सकते हैं.
सेक्शन 148: आयकर विभाग को मिलते हैं विशेष अधिकार
इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 148 (Section 148) के तहत असेसिंग ऑफिसर (Assessing Officer) को अधिकार प्राप्त है कि वह पुराने मामलों में भी ITR की पुनः जांच कर सके. इसके तहत अधिकारी:
- टैक्सपेयर्स से नई जानकारी मांग सकता है
- पुराने दस्तावेजों की जांच कर सकता है
- स्क्रूटनी या री-असेसमेंट शुरू कर सकता है
- अगर जरूरत पड़ी तो नोटिस भेजकर कार्रवाई भी कर सकता है
लेकिन यह सब केवल तभी संभव है जब टैक्स चोरी के पक्के प्रमाण हों.
हाईकोर्ट का भी आया है स्पष्ट फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने नवंबर 2023 में एक मामले में स्पष्ट किया था कि:
“अगर टैक्स चोरी की राशि 50 लाख रुपये से अधिक है तो आयकर विभाग को अधिकार है कि वह 10 साल पुराने टैक्स रिटर्न को फिर से खोले और नोटिस भेजे.”
इस फैसले से साफ है कि बड़ी टैक्स गड़बड़ियों पर विभाग लंबे समय बाद भी कार्रवाई कर सकता है.
टैक्सपेयर्स के लिए क्या है जरूरी सावधानी?
यदि आप टैक्सपेयर हैं तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें:
- जिन्हें टैक्स में छूट मिलती है वो भी दस्तावेजों के साथ सही विवरण दें
- हर साल ITR समय पर और सही तरीके से भरें
- सभी स्रोतों से हुई आय को ईमानदारी से घोषित करें
- ब्याज डिविडेंड किराया जैसी साइड इनकम को भी ना छुपाएं
- बैंक स्टेटमेंट और फॉर्म 26AS मिलान जरूर करें