Sugarcane Farmers: उत्तर प्रदेश सहित देशभर के गन्ना किसानों को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत दी है. वर्ष 2025-26 के शुगर सीजन (अक्टूबर 2025 से शुरू) के लिए सरकार ने गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) बढ़ाकर ₹355 प्रति क्विंटल कर दिया है. यह बढ़ोतरी मौजूदा सत्र की तुलना में ₹15 अधिक है.
सीएम योगी ने प्रधानमंत्री का जताया आभार
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस फैसले को गन्ना किसानों के हित में ऐतिहासिक निर्णय बताया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि किसान बंधुओं की समृद्धि और आत्मनिर्भरता ही मोदी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है.
2024-25 में था ₹340
वर्तमान 2024-25 सत्र के लिए एफआरपी ₹340 प्रति क्विंटल निर्धारित था. जिसे अब 4.41% बढ़ाकर ₹355 कर दिया गया है. यह मूल्य केंद्र सरकार द्वारा तय किया गया न्यूनतम अनिवार्य मूल्य होता है. जिसे चीनी मिलों द्वारा किसानों को देना कानूनी रूप से अनिवार्य होता है.
केंद्र सरकार ने CCEA बैठक में लिया फैसला
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक में यह अहम निर्णय लिया गया. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि यह एफआरपी 10.25% रिकवरी रेट पर लागू होगा.
अधिक रिकवरी पर मिलेगा अतिरिक्त बोनस
यदि गन्ने से चीनी की रिकवरी 10.25% से अधिक होती है, तो हर 0.1% अतिरिक्त चीनी पर ₹3.46 प्रति क्विंटल अतिरिक्त भुगतान मिलेगा. वहीं अगर रिकवरी कम होती है तो उतनी ही दर से एफआरपी में कटौती होगी. लेकिन न्यूनतम ₹329.05 प्रति क्विंटल का भुगतान हर हाल में किया जाएगा.
उत्पादन लागत से दोगुना है नया एफआरपी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार गन्ने की औसत उत्पादन लागत ₹173 प्रति क्विंटल है. ऐसे में 355 रुपये का एफआरपी, उत्पादन लागत से 105.2% अधिक है. यह बढ़ोतरी किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने की दिशा में अहम कदम है.
पांच करोड़ किसानों को होगा सीधा लाभ
भारत में लगभग 5 करोड़ गन्ना किसान और उनके आश्रित साथ ही 5 लाख से अधिक चीनी मिल श्रमिक इस निर्णय से सीधे लाभान्वित होंगे. इसके अलावा खेतिहर मजदूर, ट्रांसपोर्टर और अन्य सहायक सेवाओं से जुड़े लोगों की आजीविका को भी मजबूती मिलेगी.
CACP और राज्य सरकारों की सिफारिश पर तय हुआ मूल्य
यह मूल्य कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों और राज्य सरकारों तथा अन्य हितधारकों से सलाह के बाद तय किया गया है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि किसानों को उचित मूल्य और न्यूनतम सुरक्षा प्रदान की जा सके.