New Instructions To Schools: देशभर के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा फैसला लिया गया है. अब स्कूल परिसर में जंक फूड और एनर्जी ड्रिंक बेचना पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है. यदि किसी स्कूल की कैंटीन या परिसर में इन हानिकारक खाद्य और पेय पदार्थों की बिक्री होती है, तो कैंटीन मालिक के साथ-साथ स्कूल के इंचार्ज पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.
इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने सख्ती दिखाते हुए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों – सेकेंडरी और एलीमेंटरी – को पत्र जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह कदम छात्रों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में बेहद अहम माना जा रहा है.
विद्यार्थियों की सेहत बनी विभाग की प्राथमिकता
फूड असिस्टेंट कमिश्नर रजिंदर पाल सिंह ने जानकारी दी कि विद्यार्थियों की सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थों की बिक्री को रोकना समय की जरूरत है. उन्होंने कहा कि विभाग समय-समय पर छात्रों की सेहत को ध्यान में रखकर विशेष कदम उठाता रहा है और यह निर्णय भी उसी कड़ी का हिस्सा है.
उन्होंने बताया कि विभाग को यह शिकायतें मिली थीं कि कई स्कूलों में कैंटीनों के ज़रिए चिप्स, कोल्ड ड्रिंक, पिज़्ज़ा, बर्गर, एनर्जी ड्रिंक जैसे जंक फूड बच्चों को बेचे जा रहे हैं. यह उत्पाद लंबे समय तक सेवन करने पर बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं, जैसे मोटापा, सुस्ती, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी, और पाचन संबंधी दिक्कतें.
सिर्फ कैंटीन मालिक ही नहीं, स्कूल इंचार्ज भी होंगे जिम्मेदार
स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि स्कूल कैंपस में अगर जंक फूड या एनर्जी ड्रिंक बिकते पाए जाते हैं तो सिर्फ कैंटीन संचालक ही नहीं. बल्कि स्कूल प्रबंधन और इंचार्ज भी दोषी माने जाएंगे.
यह नियम इसलिए लाया गया है ताकि स्कूल अपने परिसर में होने वाली हर गतिविधि पर निगरानी रखें और बच्चों के हित में काम करें. बच्चों की सेहत से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और यदि कोई संस्था इस आदेश की अवहेलना करती है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
जांच के लिए बनेंगी विशेष टीमें
फूड असिस्टेंट कमिश्नर ने यह भी बताया कि इस प्रतिबंध को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए तीन जांच टीमों का गठन किया जा रहा है. ये टीमें विभिन्न स्कूलों में जाकर कैंटीनों की नियमित जांच करेंगी और यह सुनिश्चित करेंगी कि कोई भी स्कूल या कैंटीन संचालक प्रतिबंधित खाद्य सामग्री न बेचे.
औचक निरीक्षण के दौरान यदि किसी भी स्कूल में प्रतिबंधित सामग्री पाई जाती है तो विभाग सीधे कार्रवाई करेगा, जिसमें जुर्माना, लाइसेंस रद्द करना या कानूनी प्रक्रिया भी शामिल हो सकती है.
अभिभावकों से की गई सहयोग की अपील
स्वास्थ्य विभाग ने सिर्फ स्कूल प्रबंधन को ही नहीं, बल्कि अभिभावकों से भी सहयोग की अपील की है. रजिंदर पाल सिंह ने कहा कि अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को टिफिन में जंक फूड की जगह फल, सलाद, ड्राई फ्रूट्स और अन्य पोषणयुक्त चीजें दें.
अभिभावक अपने बच्चों की डाइट में बदलाव लाकर उनके स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं. स्कूल और घर दोनों स्तर पर यह बदलाव लाना जरूरी है ताकि बच्चों की खाने की आदतें सुधरें और वे मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहें.
जंक फूड के दुष्प्रभाव
विशेषज्ञों का कहना है कि जंक फूड और एनर्जी ड्रिंक्स में पोषण की मात्रा बहुत कम होती है. जबकि इनमें फैट, शुगर और केमिकल की मात्रा अधिक होती है.
- बच्चों का वजन तेजी से बढ़ता है, जिससे मोटापे की समस्या होती है.
- ध्यान और एकाग्रता में कमी आने लगती है.
- हाइपरएक्टिविटी और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है.
- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और लिवर संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है.
इन कारणों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है ताकि स्कूल के वातावरण को और ज्यादा स्वस्थ और सकारात्मक बनाया जा सके.
स्वस्थ बच्चा, सफल पढ़ाई
रजिंदर पाल सिंह ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि यदि बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तो वे पढ़ाई में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे. यह फैसला केवल स्वास्थ्य को सुधारने के लिए नहीं, बल्कि बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता और मानसिक विकास को भी बेहतर बनाने की दिशा में एक कदम है. उन्होंने कहा, “बच्चे देश का भविष्य हैं, और उनका शरीर और दिमाग दोनों स्वस्थ रहेंगे तभी वे जीवन में आगे बढ़ पाएंगे.”