Goverment Action: हरियाणा में शिक्षा के अधिकार (RTE) कानून के तहत गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में मुफ्त दाखिला दिया जाना अनिवार्य है. लेकिन कई स्कूल इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं. इसको लेकर अब हरियाणा सरकार एक्शन मोड में आ गई है. शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने साफ किया है कि जो भी स्कूल गरीब बच्चों को दाखिला नहीं देंगे. उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी.
शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने दिए सख्त निर्देश
हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं कि RTE नियमों का पालन न करने वाले स्कूलों की पहचान की जाए और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. मंत्री ने कहा कि गरीब बच्चों का हक छीना नहीं जाएगा और सरकार इसे लेकर बिल्कुल भी ढिलाई नहीं बरतेगी.
एडमिशन की डेट तीसरी बार बढ़ी
शिक्षा विभाग ने स्कूलों के रवैये को देखते हुए RTE के तहत आवेदन की आखिरी तारीख को तीसरी बार बढ़ा दिया है. पहले 14 अप्रैल फिर 21 अप्रैल और अब इसे बढ़ाकर 25 अप्रैल 2025 कर दिया गया है. अब इच्छुक अभिभावक अपने बच्चों का ऑनलाइन आवेदन 25 अप्रैल तक कर सकते हैं.
किन बच्चों को मिलेगा RTE के तहत फायदा?
मौलिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार RTE योजना का लाभ खासतौर पर निम्नलिखित वर्गों के बच्चों को मिलेगा:
- HIV प्रभावित बच्चे
- विशेष जरूरत वाले (दिव्यांग) बच्चे
- युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं के बच्चे
- आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के बच्चे
इन सभी बच्चों को नजदीकी प्राइवेट स्कूलों में मुफ्त दाखिला दिया जाएगा.
कितनी सीटें हैं गरीब बच्चों के लिए आरक्षित?
हरियाणा सरकार ने स्पष्ट किया है कि स्कूलों को अपनी कुल एडमिशन सीटों में से कम से कम 25 प्रतिशत सीटें RTE के तहत आरक्षित करनी होंगी. इनमें:
- 8% अनुसूचित जाति (SC)
- 4% पिछड़ा वर्ग (BC-A)
- 2.5% पिछड़ा वर्ग (BC-B)
- बाकी EWS और विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए होंगी.
ये आरक्षण स्कूल की सबसे पहली कक्षा (जैसे नर्सरी या पहली) में ही लागू होगा और वहीं से ही आवेदन स्वीकार किए जाएंगे.
पोर्टल तीसरी बार खोला गया
हरियाणा में वर्तमान में कुल 10701 प्राइवेट स्कूल हैं. इनमें से 3134 स्कूलों ने अभी तक RTE के तहत आरक्षित सीटों का डेटा पोर्टल पर अपडेट नहीं किया है. ऐसे स्कूलों की जानकारी अब शिक्षा विभाग इकट्ठा कर रहा है और इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
क्यों जरूरी है RTE कानून का पालन?
RTE कानून यानी शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में लागू हुआ था. इसका मकसद 6 से 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराना है. इससे गरीब और पिछड़े वर्गों के बच्चों को भी अच्छे स्कूलों में पढ़ने का मौका मिलता है. यदि कोई स्कूल इस कानून का पालन नहीं करता है, तो यह न सिर्फ कानून की अवहेलना है. बल्कि सामाजिक अन्याय भी है.
शिक्षा विभाग की कार्रवाई से स्कूलों में मचा हड़कंप
सरकार की सख्ती के बाद से कई प्राइवेट स्कूलों में हड़कंप मच गया है. अब तक जो स्कूल आरटीई के तहत दाखिले को टालते रहे हैं. उन्हें जल्द ही विभाग से नोटिस मिल सकता है. यदि फिर भी कोई स्कूल दाखिला नहीं देता है या फर्जीवाड़ा करता है, तो उसकी मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.
क्या बोले शिक्षा मंत्री?
महिपाल ढांडा ने कहा “हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार है. कोई भी स्कूल यदि गरीब बच्चों को दाखिला नहीं देता है, तो यह बच्चों के हक का हनन है. हम ऐसे स्कूलों को बख्शेंगे नहीं.” मंत्री ने यह भी बताया कि ऑनलाइन पोर्टल की निगरानी खुद विभाग के वरिष्ठ अधिकारी कर रहे हैं और पूरी पारदर्शिता के साथ एडमिशन प्रक्रिया चलाई जा रही है.
अभिभावकों के लिए जरूरी जानकारी
- दस्तावेज: आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र (अगर लागू हो), निवास प्रमाण पत्र, बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र आदि
- आवेदन की अंतिम तिथि: 25 अप्रैल 2025
- आवेदन का माध्यम: ऑनलाइन पोर्टल
- पात्रता: 6 से 14 वर्ष के आर्थिक रूप से कमजोर और आरक्षित वर्ग के बच्चे