Bank License Canceled: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज एक बड़ा फैसला लेते हुए जालंधर स्थित इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है. यह कदम बैंक की खराब वित्तीय स्थिति और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के मद्देनजर उठाया गया है. आरबीआई ने स्पष्ट कहा है कि बैंक के पास न तो पर्याप्त पूंजी थी और न ही कमाई की क्षमता. जिसके चलते इसे चालू रखना संभव नहीं था.
क्यों रद्द हुआ बैंक का लाइसेंस?
रिजर्व बैंक के मुताबिक इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक न तो बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 की आवश्यक शर्तों को पूरा कर पा रहा था और न ही अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारने के संकेत दे रहा था. बैंक के पास पर्याप्त पूंजी नहीं थी और लगातार घाटे के चलते इसकी कमाई की क्षमता भी बुरी तरह प्रभावित हो चुकी थी. आरबीआई ने यह भी कहा कि बैंक का चालू रहना उसके जमाकर्ताओं के हितों के लिए नुकसानदेह था.
जमाकर्ताओं को मिलेगी सुरक्षा
बैंक के लाइसेंस रद्द होने के बाद सबसे बड़ा सवाल जमाकर्ताओं के पैसे को लेकर खड़ा हुआ. लेकिन राहत की बात यह है कि भारतीय डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत हर जमाकर्ता को अधिकतम 5 लाख रुपये तक की बीमा राशि का दावा करने का अधिकार होगा.
बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार 97.79 प्रतिशत जमाकर्ता अपनी पूरी जमा राशि की वसूली कर सकेंगे. यानी बैंक के लगभग सभी ग्राहकों को उनकी जमा पूंजी वापस मिल जाएगी, जो कि एक बड़ी राहत की खबर है.
कितनी राशि का किया गया भुगतान?
31 जनवरी 2025 तक, डीआईसीजीसी ने इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक के जमाकर्ताओं को 5.41 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया था. अब शेष बीमित जमाओं का भुगतान भी प्रक्रिया के तहत किया जाएगा. आरबीआई ने कहा है कि जमाकर्ताओं को अपनी जमा बीमा दावा प्रक्रिया पूरी कर डीआईसीजीसी से संपर्क करना होगा. ताकि उन्हें जल्दी से जल्दी उनका पैसा वापस मिल सके.
बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह बंद
लाइसेंस रद्द होने के बाद इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक अब किसी भी प्रकार की बैंकिंग गतिविधि नहीं कर सकेगा. इसमें नए जमा स्वीकार करना, पुराने जमा लौटाना, ऋण देना या किसी भी तरह की बैंकिंग सेवा प्रदान करना शामिल है. बैंक को पूरी तरह से बंद करने और परिसमापन की प्रक्रिया पंजाब सरकार के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के आदेशानुसार शुरू कर दी गई है.
परिसमापक की नियुक्ति
पंजाब सरकार के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार ने बैंक को बंद करने के साथ-साथ इसके लिए एक परिसमापक (Liquidator) नियुक्त करने का आदेश भी जारी किया है. परिसमापक का काम बैंक की संपत्ति का आकलन करना, उसे बेचना और उससे प्राप्त धनराशि से जमाकर्ताओं तथा अन्य देनदारों को भुगतान करना होगा. यह प्रक्रिया पूरी तरह से कानून के तहत संचालित होगी और इसमें पारदर्शिता का विशेष ध्यान रखा जाएगा.
जमाकर्ताओं के लिए जरूरी जानकारी
जिन जमाकर्ताओं की राशि इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक में जमा है, उन्हें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- डीआईसीजीसी द्वारा तय अधिकतम 5 लाख रुपये तक की बीमा राशि के लिए दावा करना.
- बैंक या डीआईसीजीसी द्वारा जारी आधिकारिक सूचना पर नजर बनाए रखना.
- अपने सभी दस्तावेज, जैसे पासबुक, एफडी प्रमाणपत्र और पहचान पत्र तैयार रखें.
- अगर किसी भी तरह की सहायता की जरूरत हो तो डीआईसीजीसी की हेल्पलाइन से संपर्क करें.
क्या है डीआईसीजीसी?
डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) भारतीय रिजर्व बैंक की एक सहायक इकाई है, जो जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए कार्य करती है. अगर किसी बैंक का लाइसेंस रद्द हो जाता है या वह दिवालिया हो जाता है, तो डीआईसीजीसी हर जमाकर्ता को अधिकतम 5 लाख रुपये तक की बीमा सुरक्षा प्रदान करता है. इसमें बचत खाता, चालू खाता, फिक्स्ड डिपॉजिट और रिकरिंग डिपॉजिट जैसी सभी जमाएं शामिल होती हैं.