RBI New Guidelines: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AEPS) के तहत कैश निकालने जैसी सुविधाएं देने वाले टचपॉइंट ऑपरेटरों (ATO) के लिए सख्त नियम लागू करने का ऐलान किया है। इन नए दिशानिर्देशों के पीछे मुख्य उद्देश्य है – ग्राहकों की सुरक्षा को बढ़ाना, बैंकिंग सिस्टम में धोखाधड़ी को रोकना और AEPS सिस्टम में पारदर्शिता बनाए रखना।
क्यों जरूरी हुए AEPS नियमों में बदलाव
पिछले कुछ महीनों में AEPS सिस्टम के जरिए पहचान की चोरी, क्लोनिंग, और अनधिकृत लेनदेन जैसी घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। ग्राहकों की पहचान से समझौता कर कई जगहों पर पैसे की धोखाधड़ी की खबरें सामने आई हैं। RBI का मानना है कि अगर टचपॉइंट ऑपरेटरों की जांच-पड़ताल और निगरानी सख्ती से नहीं की गई, तो यह ग्रामीण और कम जागरूक क्षेत्रों के बैंकिंग ग्राहकों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
बैंकों को दिए गए निर्देश
RBI ने अपने नए आदेश में स्पष्ट किया है कि AEPS सेवाएं देने से पहले अधिग्रहण करने वाले बैंक को हर टचपॉइंट ऑपरेटर (ATO) की ठोस और पूर्ण जांच करनी होगी। ये जांच बिल्कुल वैसी ही होगी जैसी किसी ग्राहक को जोड़ते समय की जाती है। अगर कोई ATO पहले से बैंक के व्यवसाय उप-एजेंट के रूप में KYC प्रक्रिया से गुजर चुका है, तो उसे दोबारा जांच की आवश्यकता नहीं होगी।
तीन महीने निष्क्रिय ATO को दोबारा सक्रिय करने से पहले होगी जांच
नए नियमों के मुताबिक, यदि कोई AEPS टचपॉइंट ऑपरेटर लगातार तीन महीनों तक निष्क्रिय रहता है, तो उसे दोबारा सक्रिय करने से पहले बैंक को उसका KYC सत्यापन फिर से करना होगा। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि निष्क्रियता की आड़ में किसी बाहरी व्यक्ति द्वारा सिस्टम में घुसपैठ न हो।
आरबीआई ने आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) टचपॉइंट संचालकों की उचित जांच के संबंध में निदेश जारी किए
— ReserveBankOfIndia (@RBI) June 27, 2025
RBI issues directions on Due Diligence of Aadhaar Enabled Payment System (AePS) Touchpoint Operatorshttps://t.co/entVBvDmvq
RBI के निर्देश कब से होंगे लागू
RBI द्वारा जारी सभी नए दिशा-निर्देश 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होंगे। बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे इस तारीख से पहले अपने सभी AEPS टचपॉइंट ऑपरेटरों की पुन: समीक्षा, सत्यापन और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी कर लें।
AEPS में बढ़ रही है फ्रॉड की घटनाएं
RBI ने अपनी अधिसूचना में यह भी बताया है कि AEPS प्रणाली को लेकर लगातार फ्रॉड और पहचान की चोरी से जुड़ी शिकायतें मिल रही थीं। खासकर ग्रामीण और सेमी-अर्बन क्षेत्रों में अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे ग्राहकों के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आईं, जिनके बायोमेट्रिक डेटा का गलत इस्तेमाल कर उनके खाते से पैसे निकाल लिए गए।
नियमों के तहत RBI को किस कानून का आधार मिला
RBI ने यह स्पष्ट किया है कि इन नए दिशानिर्देशों को भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 10(2) और धारा 18 के तहत लागू किया गया है। इसके अनुसार, RBI को देश में चल रही किसी भी भुगतान प्रणाली की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का अधिकार प्राप्त है।
AEPS टचपॉइंट ऑपरेटर कौन होते हैं
AEPS टचपॉइंट ऑपरेटर वे व्यक्ति या संस्थान होते हैं जो ग्रामीण या दूरदराज क्षेत्रों में ग्राहकों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करते हैं, जैसे:
- अंगूठा लगाकर पैसा निकालना (Biometric Cash Withdrawal)
- बैलेंस जांचना
- लघु लेनदेन करना
- मिनी स्टेटमेंट निकालना
ये ऑपरेटर मुख्य रूप से Business Correspondents (BCs) या Customer Service Points (CSPs) के रूप में काम करते हैं और ग्रामीण बैंकिंग नेटवर्क की रीढ़ माने जाते हैं।
बैंकों के लिए जरूरी क्या है
अब बैंकों को निम्नलिखित कदम उठाने होंगे:
- प्रत्येक AEPS ऑपरेटर का पूरी तरह KYC सत्यापन करना
- निष्क्रिय ATO को दोबारा एक्टिव करने से पहले दोबारा जांच
- ATO की गतिविधियों पर नियमित निगरानी रखना
- ATO के साथ कोई अनुबंध करने से पहले उसे ग्राहक जोड़ने जैसी ही प्रक्रियाओं से गुजराना
ग्राहकों को क्या सतर्कता बरतनी चाहिए
ग्राहकों को भी कुछ सावधानियां बरतनी होंगी:
- किसी भी संदिग्ध ट्रांजैक्शन की तुरंत रिपोर्ट करें
- केवल विश्वसनीय ऑपरेटर से ही लेनदेन करें
- अंगूठा लगाते समय स्क्रीन पर दिखाई दे रही रकम की पुष्टि करें
- OTP या PIN किसी से भी साझा न करें