Premium Petrol Benefits: जब भी आप पेट्रोल पंप पर गाड़ी भरवाने जाते हैं, तो अक्सर एक सवाल पूछा जाता है – “सर, नॉर्मल पेट्रोल या एक्स्ट्रा माइल?” यह सवाल कई लोगों को उलझन में डाल देता है. क्योंकि प्रीमियम पेट्रोल की कीमत तो ज्यादा होती है. लेकिन क्या इसके फायदे भी उतने ही ज़्यादा होते हैं? आइए जानते हैं कि प्रीमियम पेट्रोल आखिर है क्या किसके लिए फायदेमंद है और क्या वाकई इससे आपकी गाड़ी ‘एक्स्ट्रा माइल’ चलती है या नहीं.
क्या होता है प्रीमियम पेट्रोल?
प्रीमियम पेट्रोल, जिसे हाई-ऑक्टेन फ्यूल भी कहा जाता है. प्रीमियम पेट्रोल में नॉर्मल पेट्रोल की तुलना में विशेष एडिटिव्स (additives) मिलाए जाते हैं. ये एडिटिव्स इंजन की परफॉर्मेंस बढ़ाते हैं और उसमें जमा कार्बन डिपॉजिट को साफ करने का काम करते हैं. इससे इंजन स्मूद तरीके से चलता है और उसकी उम्र भी बढ़ती है.
ऑक्टेन रेटिंग का मतलब क्या है?
नॉर्मल पेट्रोल में ऑक्टेन लेवल लगभग 87 होता है. जबकि प्रीमियम पेट्रोल में यह 91 से 94 के बीच होता है. ऑक्टेन का सीधा संबंध इंजन की नॉकिंग (खराबी से चलना) से होता है. जितना ज्यादा ऑक्टेन, उतना इंजन के लिए बेहतर. इसका मतलब अगर आप प्रीमियम पेट्रोल डालते हैं, तो आपकी गाड़ी का इंजन कम नुकसान झेलेगा और अधिक बेहतर माइलेज देगा.
किन गाड़ियों के लिए जरूरी है प्रीमियम पेट्रोल?
सभी गाड़ियों के लिए प्रीमियम पेट्रोल जरूरी नहीं होता. अगर आपके पास कोई हाई परफॉर्मेंस या लग्जरी गाड़ी है, तो प्रीमियम पेट्रोल से इंजन को फायदा मिलेगा. पुरानी गाड़ियों में भी इसका उपयोग इंजन की उम्र बढ़ाने में मदद करता है. लेकिन अगर आपकी गाड़ी 25 लाख रुपये से कम की है और सामान्य इंजन है, तो प्रीमियम पेट्रोल की जरूरत नहीं. नई और स्टैंडर्ड गाड़ियों में नॉर्मल पेट्रोल ही बेहतर और किफायती विकल्प होता है.
क्या इससे वाकई मिलती है ‘एक्स्ट्रा माइल’?
प्रीमियम पेट्रोल का नाम सुनते ही लोग सोचते हैं कि गाड़ी कुछ किलोमीटर ज्यादा चलेगी. लेकिन हर गाड़ी की जरूरत और तकनीक अलग होती है. प्रीमियम पेट्रोल इंजन को साफ जरूर रखता है, पर माइलेज में चमत्कारी फर्क नहीं आता जब तक गाड़ी हाई परफॉर्मेंस न हो.
सच्चाई या मार्केटिंग ट्रिक?
पेट्रोल पंप पर प्रीमियम पेट्रोल को एक्स्ट्रा माइल, सुपर फ्यूल जैसे नामों से बेचना एक मार्केटिंग रणनीति हो सकती है. कई बार कर्मचारी बिना सलाह दिए सीधे प्रीमियम भर देते हैं, जिससे यूजर को बेवजह पैसे खर्च करने पड़ते हैं. इसलिए जरूरी है कि ग्राहक खुद अपनी गाड़ी की जरूरत को समझें और सही जानकारी के आधार पर निर्णय लें.