New Registry Rules 2025: केंद्र सरकार ने देशभर में संपत्ति के डिजिटल रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. इसके लिए 117 साल पुराने रजिस्ट्रेशन अधिनियम को खत्म कर नया विधेयक लाया जा रहा है. यह नया कानून संपत्ति दस्तावेजों के डिजिटल संरक्षण को सुनिश्चित करेगा और पंजीकरण प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन करने का प्रावधान रखेगा.
देशभर में लागू होगा एक समान रजिस्ट्रेशन कानून
भूमि संसाधन विभाग, जो कि ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन आता है. भूमि संसाधन विभाग ने इस विधेयक का मसौदा तैयार किया है और इसे जनता की राय के लिए सार्वजनिक किया है. वर्तमान में रजिस्ट्रेशन अधिनियम तो देशभर में लागू है. लेकिन राज्यों को इसमें संशोधन करने का अधिकार है. जिससे इसकी प्रक्रिया असमान हो जाती है. इसी असमानता को दूर करने के लिए केंद्र सरकार एक 統統िक कानून लाने की दिशा में आगे बढ़ रही है.
इन दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन होगा अनिवार्य
प्रस्तावित विधेयक के अंतर्गत अब निम्नलिखित दस्तावेजों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया जाएगा:
- Agreement to Sell (बिक्री समझौता)
- Power of Attorney (पॉवर ऑफ अटॉर्नी)
- Sale Certificate (बिक्री प्रमाणपत्र)
- Equitable Mortgage (समान बंधक)
इससे फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी की संभावनाओं पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी.
आधार आधारित सत्यापन व्यवस्था प्रस्तावित
सरकार ने रजिस्ट्री प्रक्रिया में आधार आधारित ई-केवाईसी प्रणाली को भी शामिल करने का प्रस्ताव रखा है. हालांकि यह नागरिक की सहमति पर आधारित होगा. जो लोग आधार नंबर नहीं देना चाहते. उनके लिए वैकल्पिक सत्यापन प्रणाली की भी व्यवस्था होगी.
इलेक्ट्रॉनिक सर्टिफिकेट और ई-डॉक्यूमेंट की सुविधा
विधेयक के तहत इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और सभी रिकॉर्ड का डिजिटल रूप में संरक्षण करने की व्यवस्था भी होगी. इससे दस्तावेजों की ई-प्रस्तुति और प्रोसेसिंग पूरी तरह ऑनलाइन हो सकेगी. जिससे प्रक्रिया तेज, पारदर्शी और भरोसेमंद बनेगी.
क्यों जरूरी है नया डिजिटल कानून?
भूमि संसाधन विभाग ने एक बयान में कहा, “तकनीकी विकास, बदलती सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों और दस्तावेजों पर बढ़ती निर्भरता को देखते हुए आधुनिक और भविष्य उन्मुख रजिस्ट्रेशन प्रणाली की जरूरत महसूस की गई है.” यही वजह है कि अब एक समान, पारदर्शी और डिजिटल प्रणाली लागू करने की दिशा में यह कदम उठाया गया है.
जनता से मांगे गए सुझाव
सरकार ने इस विधेयक के मसौदे को सार्वजनिक करते हुए आम नागरिकों, रियल एस्टेट डेवलपर्स और राज्यों से सुझाव मांगे हैं. यह सुझाव अंतिम विधेयक के निर्माण में मदद करेंगे ताकि सभी वर्गों की चिंता को ध्यान में रखा जा सके.