इन सरकारी स्कूलों में बच्चों की लगेगी ऑनलाइन हाजिरी, पेन ड्राइव में मिलेगा पढ़ाई का सिलेब्स Government School

Government School: बिहार सरकार अब सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के तरीकों को आधुनिक और तकनीकी बनाने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रही है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने हाल ही में ‘शिक्षा की बात, हर शनिवार’ कार्यक्रम के तहत कई अहम घोषणाएं कीं, जो राज्य के लाखों छात्रों और शिक्षकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी.

राज्य सरकार का लक्ष्य है कि अब बच्चों को सिर्फ किताबों तक सीमित न रखा जाए. बल्कि उन्हें डिजिटल पाठ्य सामग्री, कंप्यूटर की शिक्षा और ऑनलाइन उपस्थिति जैसी सुविधाएं देकर तकनीकी रूप से भी सक्षम बनाया जाए.

अब पेन ड्राइव में मिलेगी पढ़ाई की सामग्री

शिक्षा विभाग की नई योजना के तहत अब कक्षा 6वीं से 12वीं तक के छात्रों को उनकी पाठ्य सामग्री पेन ड्राइव में दी जाएगी. इसका उद्देश्य यह है कि छात्र कहीं भी कभी भी अपनी पढ़ाई को डिजिटल तरीके से देख सकें और समझ सकें.

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इसके साथ ही जरूरत के अनुसार विद्यालयों में कंप्यूटर भी उपलब्ध कराए जाएंगे और आईसीटी (Information & Communication Technology) लैब्स की स्थापना की जाएगी. इसका फायदा यह होगा कि छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा का व्यावहारिक ज्ञान मिलेगा और वह भविष्य में तकनीकी प्रतियोगिताओं के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो पाएंगे.

एक मई से छह जिलों के 30 स्कूलों में शुरू होगी ऑनलाइन हाजिरी

डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बताया कि एक मई 2025 से राज्य के छह जिलों पटना, नालंदा, वैशाली, जहानाबाद, सारण और भोजपुर के पांच-पांच सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन हाजिरी की शुरुआत की जाएगी.

इस योजना के तहत कक्षा 3 के बच्चों की उपस्थिति अब डिजिटल तरीके से दर्ज की जाएगी. इसके लिए संबंधित विद्यालयों को टैबलेट दिए जा रहे हैं. जिनके माध्यम से ‘ई-शिक्षा कोष’ पोर्टल पर बच्चों की हाजिरी बनाई जाएगी.

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हर दिन चेतना सत्र में बच्चों की फोटो होगी अपलोड

ऑनलाइन हाजिरी की प्रक्रिया को पारदर्शी और तकनीकी रूप से मजबूत बनाने के लिए तय किया गया है कि हर दिन चेतना सत्र के दौरान छात्रों की दो फोटो ली जाएंगी एक सामने से और एक पीछे से. इसके बाद ये दोनों फोटो पोर्टल पर अपलोड की जाएंगी.

इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि बच्चे स्कूल में मौजूद हैं और नियमित रूप से पढ़ाई में भाग ले रहे हैं. यह पूरी प्रक्रिया शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर होगी और फिर अन्य जिलों में भी लागू की जाएगी.

शिक्षक प्रशिक्षण और कक्षा में उसका पालन अब होगी सख्ती से निगरानी

अपर मुख्य सचिव ने एक और बड़ी बात कही शिक्षकों को जो प्रशिक्षण दिया जाता है, वह कक्षा में लागू नहीं हो पाता. उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है और अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि शिक्षक प्रशिक्षण के अनुसार ही पढ़ाएं.

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इसके लिए SCERT को निर्देश दिए गए हैं कि वे स्कूलों को टैग करें और शिक्षक जिस ट्रेनिंग से जुड़े हैं, उसकी मानिटरिंग की जाए. इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और बच्चों को सही मार्गदर्शन मिलेगा.

कक्षा में स्थानीय भाषा का उपयोग करने पर जोर

डॉ. सिद्धार्थ ने यह भी कहा कि छोटे बच्चों को जब उनकी स्थानीय भाषा में पढ़ाया जाता है, तो वे जल्दी समझ पाते हैं और उनके सीखने की गति तेज होती है. इसलिए अब शिक्षकों को कक्षा में स्थानीय भाषा का अधिक उपयोग करने की सलाह दी गई है.

बिहार जैसे विविध भाषाओं वाले राज्य में मां-बोली के उपयोग से शिक्षा और अधिक प्रभावी हो सकती है. इससे बच्चों और शिक्षकों के बीच संवाद बेहतर होगा और सीखने की प्रक्रिया भी सरल बन जाएगी.

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चेतना सत्र को बनाएं संवेदनशील और मूल्य आधारित शिक्षा का माध्यम

कार्यक्रम में डॉ. सिद्धार्थ ने चेतना सत्र को लेकर भी शिक्षकों से विशेष आग्रह किया. उन्होंने कहा कि शिक्षक समय से पहले स्कूल पहुंचे और चेतना सत्र को गंभीरता से लें. इस दौरान बच्चों से राष्ट्र प्रेम, सामाजिक मूल्यों, समसामयिक घटनाओं और मानवता जैसे विषयों पर बात की जाए.

ऐसे सत्रों का उद्देश्य केवल उपस्थिति दर्ज करना नहीं है. बल्कि बच्चों के व्यक्तित्व और सोच को विकसित करना है. ये मूल्य आधारित शिक्षा का एक प्रभावशाली माध्यम बन सकते हैं.

डिजिटल शिक्षा से जुड़े इन कदमों के होंगे दूरगामी लाभ

बिहार सरकार का यह डिजिटल एजुकेशन मॉडल न केवल छात्रों को तकनीक से जोड़ने का माध्यम बनेगा. बल्कि यह सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता को भी सुधारने में मदद करेगा.

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  • स्थानीय भाषा में पढ़ाई से समझने में आसानी और आत्मविश्वास बढ़ेगा.
  • बच्चों को डिजिटल कंटेंट मिलने से उनकी सीखने की क्षमता बढ़ेगी.
  • ICT लैब से कंप्यूटर शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा.
  • ऑनलाइन हाजिरी से पारदर्शिता और अनुशासन आएगा.

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