Schools Notification: पंजाब सरकार ने राज्य में छोटे बच्चों के संपूर्ण विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक अहम कदम उठाया है. अब प्रदेश में कार्यरत सभी प्राइवेट स्कूल, संस्थाएं और प्ले-वे स्कूल, जो अर्ली चाइल्ड केयर एंड एजुकेशन (ECCE) के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. उनका सरकारी पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है.
यह कदम सामाजिक सुरक्षा और स्त्री एवं बाल विकास विभाग द्वारा उठाया गया है, जिसका उद्देश्य 3 से 6 वर्ष के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा, पोषण और सुरक्षा मुहैया कराना है.
बिना रजिस्ट्रेशन के काम करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई
इस संबंध में जानकारी देते हुए मीना देवी, जो विभाग की अधिकारी हैं. मीना देवी ने बताया कि राज्यभर में अब सभी निजी स्कूलों, शिक्षण संस्थाओं और प्ले-वे स्कूलों की जांच की जाएगी.
यदि कोई संस्था बिना पंजीकरण के काम करती पाई जाती है या सरकार द्वारा निर्धारित मानकों और नियमों का उल्लंघन करती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. आवश्यकता पड़ने पर ऐसी संस्थाओं को बंद भी किया जा सकता है.
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के लिए तय किए गए दिशा-निर्देश
पंजीकरण प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए सहायक कमिश्नर गुरसिरमनजीत कौर ने जानकारी दी कि सभी इच्छुक संस्थाएं या स्कूल अपने जिले के डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ऑफिसर (DPO) या ब्लॉक के चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर (CDPO) के संपर्क में आ सकते हैं.
रजिस्ट्रेशन के लिए एप्लीकेशन फॉर्म नंबर-1 को भरकर संबंधित कार्यालय में जमा करवाना होगा. इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि हर संस्थान बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा से जुड़ी सरकारी नीतियों के अनुरूप कार्य कर रहा है.
क्यों जरूरी है ECCE क्षेत्र का पंजीकरण?
ECCE (Early Childhood Care and Education) बच्चों की बुनियादी शिक्षा और विकास का आधार होता है. यह वह उम्र होती है जब बच्चा सामाजिक, मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से विकसित होता है.
यदि इस उम्र में सही दिशा और गुणवत्ता वाली शिक्षा न मिले, तो आगे चलकर बच्चे की सीखने की क्षमता पर असर पड़ सकता है. यही कारण है कि सरकार ने ECCE क्षेत्र को नियमित करने का निर्णय लिया है ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण सेवा मिल सके.
पंजाब सरकार का उद्देश्य
सरकार का साफ उद्देश्य है कि बच्चों को एक सुरक्षित, शिक्षापरक और पोषणयुक्त वातावरण मिले. इसके लिए न केवल शिक्षा का स्तर तय किया गया है. बल्कि संस्था के भौतिक संसाधनों, स्टाफ योग्यता और पोषण व्यवस्था जैसे मापदंडों को भी जांचा जाएगा.
इससे उन माता-पिता को भी राहत मिलेगी जो अपने बच्चों को प्ले-वे स्कूलों में भेजते हैं, क्योंकि उन्हें यह भरोसा मिलेगा कि संस्था सरकार द्वारा पंजीकृत और नियंत्रित है.
संस्थाओं के लिए जरूरी दस्तावेज और शर्तें
जो संस्थाएं पंजीकरण करवाना चाहती हैं. उन्हें कुछ जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता होगी. जैसे:
- संस्था का रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र (यदि पहले से पंजीकृत है)
- संस्था का संचालन स्थान और भवन की स्थिति से संबंधित विवरण
- स्टाफ की योग्यता और अनुभव के प्रमाण
- बच्चों के लिए सुरक्षा एवं स्वच्छता की व्यवस्था
- शिक्षा सामग्री और पोषण व्यवस्था की जानकारी
इन सभी जानकारियों के आधार पर ही संस्था को रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी जाएगी.
अभिभावकों को भी मिलेंगे लाभ (Benefits to Parents)
इस नीति के लागू होने के बाद, अभिभावकों को बड़ी राहत मिलेगी. अब वे किसी भी ECCE संस्था में अपने बच्चे का दाखिला कराने से पहले यह जान सकेंगे कि वह संस्था सरकारी मापदंडों पर खरी उतरती है या नहीं.
सरकारी पंजीकरण से न केवल संस्था की विश्वसनीयता बढ़ेगी, बल्कि अभिभावक भी अपने बच्चों को एक बेहतर शैक्षणिक और पोषण वातावरण देने में सक्षम होंगे.
नियम तोड़ने पर होगी सख्ती से कार्रवाई
सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस नियम का उल्लंघन करने पर कोई भी रियायत नहीं दी जाएगी. जो भी संस्थान बिना पंजीकरण के कार्य करते पाए जाएंगे. उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और यदि आवश्यक हुआ तो उन्हें बंद भी किया जा सकता है.
इसका मकसद नकारात्मक सोच और लापरवाही से काम कर रहे संस्थाओं पर नियंत्रण पाना है, ताकि केवल योग्य और जिम्मेदार संस्थान ही बच्चों के साथ काम कर सकें.