Tariff Hike: भारतीय मोबाइल उपभोक्ताओं के लिए एक बार फिर से खर्च बढ़ने की तैयारी हो रही है. एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, देश की बड़ी टेलीकॉम कंपनियां – Bharti Airtel, Reliance Jio और Vodafone Idea (Vi) – वर्ष 2025 के अंत तक मोबाइल टैरिफ में बढ़ोतरी कर सकती हैं. इस बढ़ोतरी की वजह कंपनियों की रेवेन्यू बढ़ाने की कोशिश और 5G नेटवर्क के विस्तार की लागत को माना जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह बढ़ोतरी भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री के लिए “टैरिफ रिपेयर स्ट्रैटेजी” का हिस्सा है. जिसका मकसद मुनाफा बढ़ाना और उद्योग में स्थायित्व लाना है.
2025 के अंत तक 10-20% की टैरिफ वृद्धि की संभावना
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म Bernstein के एक एनालिसिस के अनुसार, भारतीय टेलीकॉम कंपनियां नवंबर-दिसंबर 2025 तक 10 से 20 प्रतिशत तक टैरिफ हाइक कर सकती हैं. यह पिछले छह वर्षों में चौथी बार ऐसा होगा जब टैरिफ में इतनी बड़ी वृद्धि की जाएगी.
गौरतलब है कि जुलाई 2024 में ही कंपनियों ने 20-25% तक की टैरिफ बढ़ोतरी की थी, जिसे 5G तकनीक के विस्तार और पूंजीगत आवश्यकताओं को पूरा करने का कारण बताया गया था. अब एक और बढ़ोतरी की संभावना सामने आई है.
रेवेन्यू और मुनाफा बढ़ाने की योजना में जुटीं कंपनियां
अब टेलीकॉम कंपनियां केवल नए ग्राहकों को जोड़ने पर ध्यान नहीं दे रहीं, बल्कि वे अपने मौजूदा ग्राहकों से “एवरेज रेवेन्यू पर यूजर” (ARPU) बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही हैं. इसका मतलब है कि आने वाले समय में ग्राहकों को पहले से ज्यादा भुगतान करना पड़ सकता है. भले ही वह मौजूदा सेवाओं का ही इस्तेमाल क्यों न कर रहे हों.
Bernstein ने भविष्यवाणी की है कि 2025 से 2027 तक Airtel और Jio की आय में ‘मिड टू हाई’ स्तर की ग्रोथ देखने को मिल सकती है. इसका कारण उनके मजबूत नेटवर्क, ग्राहक आधार और टैरिफ बढ़ाने की क्षमता को बताया गया है.
ट्राई द्वारा टैरिफ नियंत्रण के न होने से खुली छूट
टेलीकॉम सेक्टर में टैरिफ बढ़ाने को लेकर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) की कोई सीधी भूमिका नहीं होती. यह एक “फ्री प्राइस मार्केट” है. यानी कंपनियां अपने हिसाब से प्लान की कीमत तय कर सकती हैं. ऐसे में अगर सभी प्रमुख कंपनियां मिलकर टैरिफ बढ़ाती हैं, तो ग्राहकों के पास विकल्प सीमित रह जाते हैं.
Vi को राहत लेकिन अब भी संकट से बाहर नहीं
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि Vodafone Idea (Vi) अब भी वित्तीय संकट से जूझ रही है. हालांकि सरकार द्वारा कंपनी के स्पेक्ट्रम बकाया को इक्विटी में बदलने की अनुमति देने के बाद सरकार की हिस्सेदारी 22.6% से बढ़कर 48.99% हो गई है. इससे कंपनी को थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन प्रतिस्पर्धा में अब भी यह पीछे है. विशेषज्ञ मानते हैं कि Vi की स्थिति अगर नहीं सुधरती है, तो भारतीय टेलीकॉम बाजार तीन की जगह दो बड़े खिलाड़ियों (Airtel और Jio) के ही कब्जे में आ सकता है.
सरकार की भूमिका और बाजार का भविष्य
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार ने Vi में हिस्सेदारी बढ़ाकर यह संकेत दिया है कि वह तीन-खिलाड़ियों वाला टेलीकॉम बाजार संरक्षित रखना चाहती है. इससे प्रतिस्पर्धा बनी रहेगी और ग्राहकों को विकल्प मिलते रहेंगे. साथ ही यह कदम भविष्य में टैरिफ हाइक की स्थिरता और अनुशासन बनाए रखने में मदद कर सकता है.
2026 से 2033 तक सालाना टैरिफ बढ़ोतरी की संभावना
Bernstein ने रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया है कि 2026 से 2033 तक हर साल टैरिफ में बढ़ोतरी हो सकती है. हालांकि यह 2019 से 2025 के बीच की बढ़ोतरी की तुलना में कम मात्रा की होगी, लेकिन यह नियमित अंतराल पर होने वाली वृद्धि होगी. जिससे कंपनियों को 10% कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) पाने में मदद मिल सकती है. इसका सीधा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा, क्योंकि समय के साथ सभी सेवाओं के रेट धीरे-धीरे बढ़ते रहेंगे.
ग्राहकों के लिए क्या है इसका मतलब?
- Vi ग्राहकों के लिए अनिश्चितता: अगर Vi नहीं संभली, तो इसका असर सीधे उनकी सेवा गुणवत्ता पर पड़ सकता है.
- महंगे होंगे मोबाइल रिचार्ज: 2025 के अंत में 10-20% तक टैरिफ बढ़ सकता है.
- कम लाभ, ज्यादा खर्च: मौजूदा प्लान में बिना नई सुविधाओं के ही ज्यादा पैसे देने पड़ सकते हैं.
- कंपनियों की पकड़ मजबूत: Airtel और Jio की बाजार हिस्सेदारी और मजबूत होगी, जिससे प्रतिस्पर्धा कम हो सकती है.