Excise Department New Plan: शहर में शराब की बिक्री को लेकर एक अनोखी स्थिति पैदा हो गई है. आबकारी विभाग ने तीन ठेकेदारों को शराब बिक्री का ठेका तो दे दिया है, लेकिन इन ठेकेदारों को आबादी वाले क्षेत्रों में किराए पर दुकानें नहीं मिल पा रही हैं. स्थानीय लोगों के विरोध के चलते शराब की दुकानों को व्यापारिक स्थान नहीं मिल रहे. जिससे न केवल बिक्री ठप है, बल्कि सरकारी राजस्व पर भी असर पड़ रहा है.
तीन प्रमुख क्षेत्रों में हो रहा विरोध
विजय नगर सेक्टर-9, जागृति विहार और भोवापुर जैसे क्षेत्रों में स्थानीय निवासियों द्वारा शराब की दुकानों का विरोध किया जा रहा है. लोगों का आरोप है कि दुकानों को रिहायशी इलाकों में खोलने की अनुमति दी गई है, जो समाजिक माहौल के खिलाफ है. इसी वजह से मकान मालिक अपनी दुकानें किराए पर देने से कतरा रहे हैं.
राजस्व वसूली पर असर
शराब की बिक्री बंद होने से राज्य सरकार को मिलने वाला राजस्व भी प्रभावित हो रहा है. इस समस्या से निपटने के लिए आबकारी विभाग ने एक नया प्रस्ताव तैयार किया है. जिसके तहत अब नगर निगम की जमीन पर कंटेनर रखकर शराब की बिक्री की जाएगी.
कंटेनर में खुलेगी शराब की दुकानें
विभाग की योजना के मुताबिक नगर निगम की खाली पड़ी जमीनों को किराए पर लेकर वहां कंटेनर रखे जाएंगे. जिनमें अस्थायी रूप से शराब की दुकानें खोली जाएंगी. यह व्यवस्था तब तक जारी रहेगी जब तक कि स्थायी दुकानें किराए पर उपलब्ध नहीं हो जातीं या स्थानीय विरोध शांत नहीं हो जाता.
नगर निगम से हो रही है पत्राचार
आबकारी विभाग और नगर निगम के बीच पत्राचार चल रहा है. अगर नगर निगम जमीन किराए पर देने के लिए तैयार हो जाता है, तो जल्द ही कंटेनर आधारित शराब बिक्री की व्यवस्था शुरू की जा सकती है. इससे न केवल शराब की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित होगी बल्कि ठेकेदारों को व्यापार करने में राहत मिलेगी और राज्य को मिलने वाला टैक्स भी प्रभावित नहीं होगा.
रिहायशी इलाकों में दुकानें खोलने पर क्यों है विरोध?
स्थानीय लोगों का कहना है कि रिहायशी क्षेत्रों में शराब की दुकानें खुलने से सामाजिक वातावरण खराब होता है. युवाओं पर गलत असर पड़ता है और अपराध की संभावना भी बढ़ती है. इसी कारण लोग ना सिर्फ दुकानों का विरोध कर रहे हैं. बल्कि जमीन मालिकों को भी किराया देने से मना कर रहे हैं.