Maglev Train: टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हमेशा अग्रणी रहा जापान अब ट्रांसपोर्ट सिस्टम को नई ऊंचाई पर ले गया है. जापान ने दुनिया को दिखा दिया है कि ट्रेनें अब सिर्फ जमीन पर नहीं बल्कि हवा में भी दौड़ सकती हैं. यह उपलब्धि संभव हो सकी है मैग्लेव टेक्नोलॉजी (Magnetic Levitation) की मदद से, जो आने वाले समय में दुनिया भर के ट्रैवल सिस्टम को पूरी तरह बदल सकती है.
यहां ट्रेनें पटरियों पर नहीं, हवा में चलती हैं
आज तक हम यही जानते थे कि ट्रेनें लोहे की पटरियों पर पहियों के सहारे दौड़ती हैं, लेकिन जापान और चीन जैसे देश इस परंपरा को तोड़ चुके हैं. यहां अब ट्रेनें हवा में उड़ती हुई नज़र आती हैं, जो न केवल तेज चलती हैं. बल्कि सफर को ज्यादा आरामदायक और सुरक्षित बनाती हैं.
जापान की मैग्लेव ट्रेन: तकनीक और रफ्तार का अद्भुत मेल
जापान की SCmaglev ट्रेन इस उन्नत प्रणाली का बेहतरीन उदाहरण है. यह ट्रेन मैग्लेव तकनीक पर आधारित है. जिसमें ट्रैक और ट्रेन के बीच चुंबकीय बल पैदा किया जाता है. जैसे ही ट्रेन गति पकड़ती है. यह अपने ट्रैक से 1 से 6 इंच ऊपर उठ जाती है और 600 किमी/घंटा तक की रफ्तार से दौड़ने लगती है.
क्या होती है मैग्लेव तकनीक और कैसे काम करती है?
Magnetic Levitation (Maglev) एक ऐसी अत्याधुनिक प्रणाली है जिसमें ट्रेन को ऊपर उठाने और आगे बढ़ाने के लिए शक्तिशाली मैगनेट्स का इस्तेमाल किया जाता है. घर्षण रहित होने की वजह से ट्रेन न ही शोर करती है और न ही ट्रैक के साथ टकराती है. जिससे रफ्तार कई गुना बढ़ जाती है.
इस ट्रेन में पहिए तक नहीं होते!
मैग्लेव ट्रेन की खास बात यह है कि इसमें कोई पहिया नहीं होता. जब ट्रेन स्टार्ट होती है, तो वह ट्रैक से धीरे-धीरे ऊपर उठती है और हवा में तैरते हुए सफर करती है. इस दौरान ट्रेन की गति इतनी ज्यादा होती है कि वह हवाई जहाज को टक्कर देती नज़र आती है.
कम लागत, ज्यादा फायदा
जापान के अधिकारियों के मुताबिक इस ट्रेन की ऑपरेशनल कॉस्ट पारंपरिक ट्रेनों से कम है. चूंकि इसमें घर्षण न के बराबर होता है. इंजन पर अधिक दबाव नहीं पड़ता और मरम्मत की लागत भी काफी कम होती है. इसी वजह से इसे लॉन्ग टर्म में किफायती विकल्प माना जा रहा है.
अब चीन भी इस रेस में शामिल
जापान के बाद चीन ने भी मैग्लेव ट्रेनों की दिशा में तेज़ी से काम किया है. वहां भी अब कई हाई-स्पीड मैग्लेव ट्रेनें चल रही हैं. जो देश के भीतर लंबी दूरी की यात्रा को मिनटों का खेल बना रही हैं.
क्या भारत भी ला सकता है ये क्रांतिकारी ट्रेन?
भारत भी जापान के सहयोग से मैग्लेव ट्रेन टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है. अगर यह तकनीक भारत में आ गई, तो दिल्ली से चंडीगढ़ का सफर महज 30 मिनट में तय किया जा सकेगा. रिपोर्ट्स के अनुसार भारत सरकार इस पर विचार कर रही है और भविष्य में देश के भीतर हाई-स्पीड एयर ट्रेनें देखी जा सकती हैं.
भविष्य में ट्रेनें बनेंगी हवा में उड़ने वाली मशीन
जिस तरह तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है, वो दिन दूर नहीं जब ट्रेनें जमीन की बजाय हवा में उड़ती नज़र आएंगी. मैग्लेव जैसी तकनीक दुनिया की यात्रा प्रणाली को पूरी तरह बदल सकती है और भारत भी इस दौड़ में तेजी से कदम बढ़ा रहा है.