Govt Officers Mobile Rule: पंजाब सरकार ने उन आम शिकायतों को गंभीरता से लिया है जिनमें कहा गया था कि छुट्टी या ड्यूटी के बाद अधिकारी और कर्मचारी फोन नहीं उठाते या फ्लाइट मोड में डाल देते हैं. इससे आम जनता के जरूरी सरकारी काम अटक जाते हैं.
अब बंद नहीं कर सकेंगे मोबाइल फोन
सरकार ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि अधिकारी और कर्मचारी ड्यूटी समय के बाद सप्ताहांत और छुट्टी के दिन भी मोबाइल पर उपलब्ध रहें. यह आदेश विशेष सचिव (कार्मिक) के हस्ताक्षर से जारी किया गया है.
आदेश में स्पष्ट चेतावनी
आदेश में कहा गया है कि अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी फोन पर उपलब्ध नहीं होता, तो यह आवश्यक प्रशासनिक कार्यों और जनता को सेवाएं देने में बाधा बनता है. ऐसे में सभी वरिष्ठ अधिकारियों को कहा गया है कि अपने अधीनस्थ स्टाफ की 24×7 मोबाइल उपलब्धता सुनिश्चित करें.
कई अफसर ड्यूटी के बाद unreachable
सरकार ने पाया कि ड्यूटी के बाद कई अधिकारी फोन बंद, कवरेज से बाहर या कॉल डाइवर्ट कर देते हैं. जिससे आपातकालीन फाइलों की मंजूरी में देरी होती है. ऐसे में समयबद्ध फैसलों में बाधा आती है, जो अब स्वीकार नहीं किया जाएगा.
पहले भी आया था ऐसा आदेश, फोन भत्ता बना विवाद
पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2017 में ऐसा ही आदेश जारी किया था. उस समय सरकार ने फोन बिल की प्रतिपूर्ति की बात कही थी ताकि कर्मचारी 24 घंटे उपलब्ध रह सकें. लेकिन फोन भत्ते को लेकर सरकार और कर्मचारियों के बीच विवाद भी हुए.
मोबाइल भत्ता योजना की पुरानी कहानी
पंजाब सरकार ने 2012 में कर्मचारियों को फोन भत्ता देना शुरू किया था. लेकिन 2020 में इसे तर्कसंगत बनाने के लिए आधा कर दिया गया. इस कदम से सरकार को करीब 40 करोड़ रुपये की सालाना बचत हुई.
कितनी होती है मोबाइल भत्ते की राशि?
सरकार पहले मोबाइल भत्ते पर सालाना ₹101.2 करोड़ रुपये खर्च कर रही थी. कटौती के बाद अब:
- ग्रुप C और D: ₹250 से घटाकर ₹150 प्रति माह कर दिया गया है.
- ग्रुप A: ₹500 से घटाकर ₹250
- ग्रुप B: ₹300 से घटाकर ₹175