Roads In Factories: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारत के सड़क निर्माण क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी बदलाव की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि अब देश में सड़कें पारंपरिक तरीके से निर्माण स्थल पर तैयार करने की बजाय फैक्ट्री में बनाई जाएंगी. जिससे न केवल समय की बचत होगी बल्कि लागत में कमी और गुणवत्ता में सुधार भी होगा. यह घोषणा उन्होंने हाल ही में उत्तर प्रदेश में एक कार्यक्रम के दौरान की. जहां उन्होंने मलेशिया की प्री-कास्ट तकनीक का जिक्र किया और इसके फायदे गिनाए.
क्या है यह प्री-कास्ट तकनीक?
नितिन गडकरी ने बताया कि इस नई तकनीक के तहत सड़क निर्माण के कुछ हिस्से, जैसे डिवाइडर, नालियां और कंक्रीट स्ट्रक्चर, फैक्ट्री में तैयार किए जाएंगे और फिर उन्हें साइट पर लाकर स्थापित कर दिया जाएगा.
वहीं केवल कंक्रीट का मिश्रण (asphalt या concrete road topping) ही निर्माण स्थल पर तैयार होगा. यह मलेशिया की अत्याधुनिक तकनीक पहले से ही सिंगापुर, चेन्नई मेट्रो और कई अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में सफलता के साथ इस्तेमाल हो चुकी है.
लागत में होगी बड़ी बचत
गडकरी ने बताया कि इस तकनीक के उपयोग से निर्माण में लगने वाला समय कम हो जाएगा. साथ ही तीन पिलर की जगह दो पिलर में ही 120 मीटर की दूरी कवर की जा सकती है. इससे एक पिलर की लागत की सीधी बचत होती है. उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल और तेजी से बढ़ते देश के लिए यह तकनीक बहुत जरूरी और उपयोगी साबित हो सकती है.
सड़क सुरक्षा को बनाया जाएगा और मजबूत
सड़क निर्माण के साथ-साथ गडकरी ने सड़क सुरक्षा पर भी विशेष जोर दिया. उन्होंने बताया कि अब डिवाइडर की ऊंचाई बढ़ाकर 3 फीट की जाएगी ताकि कोई भी व्यक्ति सड़क पार न कर सके. इसके अलावा, दोनों ओर मजबूत दीवारों का निर्माण भी अनिवार्य किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह बदलाव सड़क पर होने वाले दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने और यात्रियों को सुरक्षित सफर का अनुभव देने के लिए जरूरी हैं.
प्री-कास्ट नालियां होंगी अनिवार्य
सड़क किनारे बनने वाली ड्रेनेज व्यवस्था को दुरुस्त और टिकाऊ बनाने के लिए गडकरी ने प्री-कास्ट नालियों को अनिवार्य करने की बात कही. इससे बारिश या बाढ़ के समय पानी की निकासी आसान होगी और सड़कों को नुकसान नहीं पहुंचेगा. ये नालियां फैक्ट्री में बनकर साइट पर इंस्टॉल की जाएंगी जिससे स्थायित्व और कार्यक्षमता बढ़ेगी.
उत्तर प्रदेश में जल्द लागू होगी योजना
नितिन गडकरी ने कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके सलाहकार अवनीश अवस्थी से आग्रह किया कि वे इस तकनीक को जल्द से जल्द राज्य में लागू करें. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अगर यह तकनीक लागू होती है, तो यह रोड इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है.
लक्ष्य: 2047 तक अमेरिका से बेहतर सड़कें
गडकरी ने यह भी दावा किया कि यदि भारत इस दिशा में तेजी से काम करता है और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करता है, तो वर्ष 2047 तक भारत की सड़कें अमेरिका से बेहतर होंगी. उनका यह बयान न केवल एक लक्ष्य को दर्शाता है. बल्कि यह भी संकेत देता है कि केंद्र सरकार बुनियादी ढांचे को गति और गुणवत्ता के साथ विकसित करने को लेकर बेहद गंभीर है.
प्रशासनिक सुधारों की भी उठाई आवाज
गडकरी ने सड़क परियोजनाओं में देरी को लेकर नौकरशाही की धीमी कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि मंत्रालयों में फाइलें तब तक नहीं बढ़तीं जब तक सख्त निर्देश या शिकायत न आए. उन्होंने अधिकारियों को तेज निर्णय लेने और अनावश्यक देरी से बचने की सलाह दी. साथ ही ठेकेदारों की बैंक गारंटी वापसी में लगने वाले समय और भूमि अधिग्रहण से जुड़े लंबित मामलों पर भी चिंता जताई.
AIMC सिस्टम से आएगा निर्माण में पारदर्शिता
गडकरी ने बताया कि मंत्रालय अब Automated & Intelligent Machine-Assisted Construction (AIMC) सिस्टम पर भी कार्य कर रहा है. यह सिस्टम निर्माण के हर स्तर पर रियल-टाइम डेटा प्रदान करेगा. जिससे निर्माण प्रक्रिया पारदर्शी, गुणवत्तापूर्ण और तेज़ हो सकेगी. AIMC तकनीक से मानव-निर्भरता कम होगी. जिससे भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी.
सुरक्षित और विश्वस्तरीय सड़कें गडकरी का लक्ष्य
गडकरी का स्पष्ट विजन है कि भारत को दुनिया की सबसे अच्छी और सुरक्षित सड़क नेटवर्क वाली राष्ट्रों की सूची में लाना है. उनकी यह पहल भारत को न सिर्फ सड़क निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी. बल्कि यह देश की आर्थिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.