Indian Railways AC: भारत में हर दिन लाखों लोग ट्रेन से सफर करते हैं और रेलवे अलग-अलग तरह के कोचों में यात्रियों को बेहतरीन सुविधाएं प्रदान करता है. खासतौर पर एसी कोचों में यात्रा करना आरामदायक अनुभव देता है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इन कोचों में कितनी टन क्षमता के एसी लगाए जाते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.
फर्स्ट एसी कोच में कितने टन का एसी होता है
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) द्वारा बनाए गए फर्स्ट एसी कोच में 6.7 टन की एक एसी यूनिट लगाई जाती है. चूंकि फर्स्ट एसी में यात्रियों की संख्या कम होती है. इसलिए एक ही एसी यूनिट पूरे कोच को ठंडक प्रदान करने के लिए पर्याप्त होती है.
सेकंड और थर्ड एसी कोच में एसी की व्यवस्था
सेकंड एसी कोच में दो 5.2 टन की एसी यूनिट्स लगाई जाती हैं, जो यात्रियों को बेहतर ठंडक का अनुभव कराती हैं. वहीं थर्ड एसी कोच में दो 7 टन की यूनिट्स का इस्तेमाल होता है ताकि बड़ी संख्या में यात्रियों को आरामदायक तापमान मिल सके.
एसी चेयर कार में कितनी टन क्षमता के एसी
एसी चेयर कार कोच में भी दो 6.6 टन की एसी यूनिट्स लगाई जाती हैं. इन कोचों का डिजाइन खासतौर पर बैठने के लिए होता है. इसलिए लगातार ठंडक बनाए रखने के लिए उच्च क्षमता के एसी का इस्तेमाल किया जाता है.
आधुनिक एलएचबी कोचों की एसी क्षमता
अब रेलवे हाई स्पीड ट्रेनों के लिए एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुश) कोचों का निर्माण कर रहा है. एलएचबी के सेकंड एसी कोच में दो 7 टन की एसी यूनिट्स लगती हैं. यानी कुल 14 टन की ठंडक क्षमता होती है. जिससे यात्रियों को बेहतर कूलिंग मिलती है.
डबल डेकर कोच में क्यों लगते हैं भारी एसी
डबल डेकर एलएचबी कोचों में दो 10 टन की एसी यूनिट्स लगाई जाती हैं. चूंकि इन कोचों में यात्री दो मंजिलों पर बैठते हैं और संख्या भी ज्यादा होती है. इसलिए अधिक क्षमता के एसी जरूरी होते हैं ताकि सभी यात्रियों को एक समान ठंडक मिल सके.
पुराने और नए कोचों में कूलिंग का अंतर
पुराने जमाने के कोचों में एसी की ठंडक उतनी प्रभावी नहीं थी. जितनी अब नए एलएचबी कोचों में देखने को मिलती है. आज के नए कोच यात्रियों को स्थिर और बेहतर तापमान प्रदान करते हैं. जिससे सफर का अनुभव और आरामदायक हो गया है.
यात्रियों की संख्या के अनुसार तय होती है एसी क्षमता
रेलवे कोचों में एसी की क्षमता यात्रियों की संख्या पर आधारित होती है. फर्स्ट एसी में कम यात्री होते हैं. इसलिए 6.7 टन का एसी पर्याप्त होता है. सेकंड एसी और थर्ड एसी कोचों में ज्यादा यात्री होने के कारण दो-दो यूनिट्स लगाई जाती हैं.
पुराने समय में कैसे ठंडा रखा जाता था कोच
पहले के जमाने में जब आधुनिक एसी यूनिट्स नहीं होती थीं, तो कोच को ठंडा रखने के लिए एक अलग तरीका अपनाया जाता था. बोगियों के नीचे बर्फ की बड़ी-बड़ी सिल्लियां लगाई जाती थीं और ऊपर से पंखे चलाए जाते थे. ताकि यात्रियों को ठंडक मिलती रहे.