Govt New Orders: पंजाब सरकार के आदेशों के तहत लुधियाना जिले में बुधवार को डीसी हिमांशु जैन द्वारा तहसीलों और उप-तहसीलों में नवनियुक्त नायब तहसीलदारों को रजिस्ट्रेशन (पंजीकरण) की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. सरकार का मकसद था कि नायब तहसीलदार रोटेशन के आधार पर रजिस्ट्रेशन कार्य संभालें ताकि कामकाज में पारदर्शिता और ताजगी बनी रहे. लेकिन इस व्यवस्था को लागू करने के कुछ ही समय बाद मुश्किलें सामने आने लगीं. क्योंकि अधिकांश नवनियुक्त नायब तहसीलदार अभी प्रशिक्षण (Training Period) में हैं और उन्होंने इस अतिरिक्त जिम्मेदारी को संभालने से इंकार कर दिया.
ट्रेनिंग पीरियड में होने के कारण असमर्थता
नायब तहसीलदारों ने साफ कहा कि वे फिलहाल अपने प्रशिक्षण के दौर में हैं और पूरी तरह से अनुभवी नहीं हैं. ऐसे में उन पर रजिस्ट्रेशन जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया की जिम्मेदारी डालना उचित नहीं है. रजिस्ट्रेशन से जुड़े दस्तावेजों और प्रक्रियाओं में जरा सी भी चूक बड़ी प्रशासनिक गड़बड़ियों का कारण बन सकती है. जिसे लेकर नायब तहसीलदारों ने सावधानी बरतते हुए यह जिम्मेदारी उठाने से मना कर दिया.
डीसी हिमांशु जैन ने लिया त्वरित फैसला
स्थिति की गंभीरता को समझते हुए डीसी हिमांशु जैन ने गुरुवार को एक अहम फैसला लिया. उन्होंने तुरंत आदेश जारी कर रजिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी फिर से उन्हीं अधिकारियों को सौंप दी जो पहले से इस काम को कुशलता से निभा रहे थे. इन अधिकारियों में कानूनगो और सुपरिंटेंडेंट रैंक के कर्मचारी शामिल हैं. जो पिछले कई महीनों से जिले में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को सुचारू रूप से चला रहे थे. इस कदम से कामकाज में कोई रुकावट नहीं आई और लोगों को रजिस्ट्रेशन जैसी जरूरी सेवाएं समय पर मिलती रहीं.
सरकार ने पहले क्यों बदली थी व्यवस्था?
पिछले कुछ महीनों से पंजाब सरकार कानूनगो या सुपरिंटेंडेंट रैंक के अधिकारियों से रजिस्ट्रेशन का कार्य करवा रही थी. सरकार का मकसद था कि तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की नियुक्ति के बाद यह जिम्मेदारी उन्हें दी जाए ताकि प्रशासनिक ढांचा अधिक प्रभावी और जवाबदेह बने. लेकिन नए नियुक्त अधिकारियों के पास अनुभव की कमी और प्रशिक्षण की बाध्यता के चलते यह बदलाव फिलहाल स्थगित करना पड़ा.
रजिस्ट्रेशन कार्य में पारदर्शिता जरूरी
रजिस्ट्रेशन विभाग से जुड़ा कार्य बेहद संवेदनशील होता है. प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन, विक्रय विलेख (Sale Deed), विरासत हस्तांतरण (Mutation) और अन्य कानूनी दस्तावेजों की वैधता रजिस्ट्रेशन पर निर्भर करती है. इसलिए सरकार और प्रशासन दोनों चाहते हैं कि यह कार्य अनुभवी, दक्ष और जिम्मेदार अधिकारियों के हाथ में रहे ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता, भ्रष्टाचार या तकनीकी त्रुटि से बचा जा सके.
जनता को मिली राहत
डीसी हिमांशु जैन के इस त्वरित फैसले से आम जनता को राहत मिली है. पहले से तैनात अधिकारियों के अनुभव और कार्यशैली के चलते रजिस्ट्रेशन का काम अबाध रूप से जारी है. नागरिकों को दस्तावेजों की रजिस्ट्री में देरी का सामना नहीं करना पड़ा और कामकाज में निरंतरता बनी रही. लोगों ने भी प्रशासन के इस संवेदनशील निर्णय का स्वागत किया और विश्वास जताया कि भविष्य में भी इसी तरह जिम्मेदार अधिकारियों से ही महत्वपूर्ण कार्य कराए जाएंगे.
क्या आगे होगा?
हालांकि फिलहाल पुराने अधिकारियों के हाथ में जिम्मेदारी वापस सौंप दी गई है. लेकिन दीर्घकालिक रूप से सरकार का लक्ष्य है कि प्रशिक्षित नायब तहसीलदारों को पूरी तरह सक्षम बनाकर रजिस्ट्रेशन कार्य का भार सौंपा जाए. इसके लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जा सकते हैं और उन्हें धीरे-धीरे जिम्मेदारियों से परिचित कराया जाएगा. जैसे ही वे पूरी तरह तैयार हो जाएंगे. रजिस्ट्रेशन जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को उनके सुपुर्द कर दिया जाएगा.
प्रशासन ने बनाए संतुलन के प्रयास
डीसी हिमांशु जैन का यह कदम एक बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे प्रशासनिक कार्यों में संतुलन बनाते हुए तत्कालिक समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है. न केवल ट्रेनिंग में लगे अधिकारियों का दबाव कम हुआ है. बल्कि जनता को भी जरूरी सेवाएं बिना किसी बाधा के मिल रही हैं. इससे प्रशासन की कार्यशैली और जनता के बीच विश्वास भी मजबूत हुआ है.