Property Rules: आज के समय में संयुक्त परिवारों की परंपरा कमजोर पड़ रही है और छोटे परिवारों का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इसी कारण पैतृक संपत्ति (Ancestral Property Disputes) को लेकर परिवारों में विवाद की घटनाएं भी बढ़ी हैं. कई बार उत्तराधिकारी अपने वैध हक से वंचित रह जाते हैं. ऐसे मामलों को बातचीत से सुलझाया जा सकता है. लेकिन जरूरत पड़ने पर कानून का सहारा लेना भी जरूरी हो जाता है.
पैतृक संपत्ति किसे कहते हैं?
किसी भी संपत्ति को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है – स्व-अर्जित संपत्ति और पैतृक संपत्ति.
- स्व-अर्जित संपत्ति वह होती है जिसे व्यक्ति ने खुद की मेहनत से कमाया या खरीदा हो.
- पैतृक संपत्ति वह है जो बिना बंटवारे के पीढ़ी दर पीढ़ी चली आती है. अगर आपके दादा या पिता से कोई संपत्ति बिना विभाजन के चली आ रही है, तो उसमें आपका जन्म से ही अधिकार होता है.
पैतृक संपत्ति में किसका कितना अधिकार होता है?
पैतृक संपत्ति में जन्म के साथ ही उत्तराधिकारियों का हक स्वतः बन जाता है.
- यह संपत्ति चार पीढ़ियों तक अविभाजित रहनी चाहिए.
- बेटे और बेटी दोनों का बराबर का अधिकार होता है.
- संपत्ति को बेचने या बांटने के लिए सभी हिस्सेदारों की सहमति जरूरी होती है.
इसलिए, कोई भी व्यक्ति अपने अधिकार से वंचित नहीं रह सकता जब तक कि वह स्वयं अपने हक का परित्याग न करे.
अगर पैतृक संपत्ति में हिस्सा न मिले तो क्या करें?
अगर दादा, पिता या भाई पैतृक संपत्ति में आपको आपका हिस्सा देने से मना करते हैं तो आप:
- सबसे पहले एक कानूनी नोटिस भेज सकते हैं.
- अगर समाधान न निकले तो सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर कर सकते हैं.
- कोर्ट से संपत्ति की बिक्री पर रोक लगाने की भी मांग कर सकते हैं.
अगर मामला विचाराधीन रहने के दौरान संपत्ति बेच दी जाती है, तो आप खरीदार को भी पक्षकार बनाकर अपना दावा कायम रख सकते हैं.
बेटियों का भी है बराबर का हक
हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के तहत बेटियों को भी बेटों के बराबर पैतृक संपत्ति में अधिकार मिला है.
- अब बेटी शादीशुदा हो या अविवाहित, उसे अपने पैतृक हिस्से से वंचित नहीं किया जा सकता.
- बेटियां भी संपत्ति के बंटवारे में बराबर की हिस्सेदार हैं.
इसलिए अगर किसी बेटी को उसके हक से वंचित किया जा रहा है तो वह भी कानून का सहारा लेकर न्याय प्राप्त कर सकती है.
अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना जरूरी
संपत्ति से जुड़े अधिकारों की जानकारी न होना अक्सर बड़े नुकसान का कारण बन सकता है.
- अगर आपको आपका पैतृक हक नहीं मिल रहा है तो समय रहते सही कदम उठाएं.
- बिना जानकारी के अधिकारों से वंचित रहना आपके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है.
इसलिए अपने हक के प्रति सतर्क रहें और जरूरत पड़ने पर कानूनी सलाह जरूर लें.