Bank Defaulter Rules: हाल के वर्षों में कई बैंकों के वित्तीय संकट में आने के बाद ग्राहकों के मन में यह सवाल उठने लगा है कि अगर उनका बैंक डूब गया तो उनकी जमा रकम का क्या होगा। इसी चिंता को दूर करने के लिए Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation (DICGC) के तहत एक योजना चलाई जाती है, जो ग्राहकों की जमा पूंजी को 5 लाख रुपये तक सुरक्षित करती है।
सरकार बढ़ा सकती है बीमा कवर की लिमिट
अब एक बड़ी खबर सामने आई है। सरकार DICGC डिपॉजिट इंश्योरेंस लिमिट को 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने पर विचार कर रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार अगले 6 महीने में इस प्रस्ताव को लागू कर सकती है। इससे उन ग्राहकों को राहत मिलेगी जिनके अकाउंट में 5 लाख से ज्यादा की जमा पूंजी रहती है।
फिलहाल क्या है नियम ?
वर्तमान नियम के अनुसार, अगर कोई बैंक बंद हो जाता है, तो ग्राहकों को 5 लाख रुपये तक की राशि ही सुरक्षित मिलती है। यदि खाते में इससे ज्यादा राशि जमा हो, तो शेष रकम खतरे में पड़ सकती है।
DICGC इंश्योरेंस में मिलने वाली राशि में:
- मुख्य रकम (Principal)
- ब्याज (Interest) शामिल होते हैं।
किन खातों पर मिलता है डिपॉजिट इंश्योरेंस ?
DICGC बीमा कवर देश के लगभग सभी कमर्शियल बैंक और सहकारी बैंकों पर लागू होता है। इसके अंतर्गत ये सभी खाते आते हैं:
- सेविंग्स अकाउंट (Savings Account)
- करंट अकाउंट (Current Account)
- फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit)
- रिकरिंग डिपॉजिट (Recurring Deposit)
नया नियम कब तक हो सकता है लागू ?
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, 2025 के अंत से पहले यह नया बीमा कवर लागू किया जा सकता है। हालांकि अभी इसकी सीमा (limit) को लेकर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि 10 लाख रुपये तक की जमा को बीमित करने की तैयारी लगभग तय है।
ग्राहकों को कैसे मिलेगा फायदा ?
यदि बीमा कवर की सीमा बढ़ती है तो:
- ज्यादा राशि बैंक में जमा करना सुरक्षित होगा।
- बैंक डूबने की स्थिति में नुकसान की आशंका घटेगी।
- ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के खाताधारकों को सुरक्षा मिलेगी।
बैंकिंग सिस्टम में आएगा विश्वास
बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस लिमिट को बढ़ाने का सीधा असर देश की बैंकिंग व्यवस्था पर होगा। इससे आम आदमी का बैंकों में विश्वास और मजबूत होगा और वे बड़ी मात्रा में रकम जमा करने से नहीं घबराएंगे।