Inverter Electricity Consumed: भारत में जैसे ही गर्मियों की शुरुआत होती है तापमान तेजी से ऊपर जाने लगता है और साथ ही बिजली कटौती की समस्या भी बढ़ जाती है. तपती दोपहर में पंखा बंद हो जाना और गर्म रातों में बिजली चले जाना किसी सजा से कम नहीं लगता. ऐसे समय में अगर कोई चीज राहत दे सकती है तो वो है इन्वर्टर. इन्वर्टर की मदद से आप पंखा कूलर और जरूरी लाइट्स चला सकते हैं वो भी तब जब बिजली न हो.
बिजली बिल की चिंता में उलझे लोग
गर्मियों में इन्वर्टर खरीदने की सोच रहे कई लोग इस बात को लेकर चिंतित होते हैं कि इन्वर्टर से बिजली का बिल बढ़ जाएगा. लोगों के मन में ये सवाल अक्सर रहता है कि क्या इन्वर्टर खुद बिजली खपत करता है या सिर्फ बैकअप के समय ही काम करता है. आइए इस भ्रम को दूर करते हैं और समझते हैं इन्वर्टर की असली खपत कितनी होती है.
इन्वर्टर खुद बिजली खर्च नहीं करता
इन्वर्टर का मूल कार्य होता है – बैटरी में स्टोर Direct Current (DC) को घर के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग लायक Alternating Current (AC) में बदलना. यानी इन्वर्टर सिर्फ बिजली का रूप बदलता है वह खुद कोई यूनिट खर्च नहीं करता. जब तक बैटरी चार्ज हो रही होती है बिजली की खपत होती है – और वह बैटरी और चार्जर के जरिए होती है न कि खुद इन्वर्टर से.
UPS इन्वर्टर सिस्टम में क्या-क्या होता है?
अधिकतर घरों में जो इन्वर्टर सिस्टम लगाया जाता है वह UPS (Uninterrupted Power Supply) सिस्टम कहलाता है. इसमें मुख्य रूप से तीन चीजें होती हैं:
- इन्वर्टर: जो करंट को बदलता है
- बैटरी: जो बिजली स्टोर करती है
- चार्जर: जो बिजली देकर बैटरी को चार्ज करता है
जब बिजली जाती है तो बैटरी से बिजली निकलती है और इन्वर्टर उसे उपयोगी फॉर्म यानी AC में बदलकर पंखे लाइट आदि को चलाता है.
बिजली बचत के लिहाज से फायदेमंद हो सकता है इन्वर्टर
अगर आप बिजली की बचत करना चाहते हैं तो इन्वर्टर एक समझदारी भरा विकल्प हो सकता है. बाजार में मिलने वाले 1000W के इन्वर्टर की स्टैंडबाय बिजली खपत औसतन 10-20 वॉट प्रति घंटा होती है जो कि बहुत कम है. मतलब ये कि जब बैटरी चार्ज हो रही हो तब ही बिजली की खपत होती है और वह भी बहुत सीमित मात्रा में. सही इस्तेमाल और टाइमिंग के साथ इन्वर्टर से बिजली के बिल को ज्यादा बढ़ने नहीं दिया जा सकता.
कौन सा इन्वर्टर है आपके लिए सही?
बाजार में दो प्रमुख प्रकार के इन्वर्टर मिलते हैं:
मॉडिफाइड साइन वेव इन्वर्टर:
- सस्ते होते हैं
- कम बैटरी बैकअप देते हैं
- सामान्य उपयोग जैसे लाइट पंखे के लिए उपयुक्त
प्योर साइन वेव इन्वर्टर:
- महंगे होते हैं
- बेहतर बैटरी बैकअप देते हैं
- एसी कूलर फ्रिज जैसे उपकरणों के लिए बेस्ट
- बिजली की गुणवत्ता अच्छी बनाए रखते हैं
अगर आपके घर में हाई पावर वाले डिवाइसेज़ हैं तो प्योर साइन वेव इन्वर्टर सबसे अच्छा विकल्प रहेगा.
इन्वर्टर की बैटरी चार्जिंग कितनी बिजली लेती है?
इन्वर्टर की बैटरी आमतौर पर 12 वोल्ट और 150-200 Ah क्षमता वाली होती है. इसे पूरी तरह चार्ज करने में करीब 1.2 से 1.5 यूनिट बिजली लगती है. अगर दिन में 1 बार बैटरी फुल चार्ज होती है तो महीने में लगभग 36 से 45 यूनिट अतिरिक्त बिजली खर्च हो सकती है. हालांकि यह आंकड़ा आपके उपयोग पर भी निर्भर करता है – जैसे कितने पंखे बल्ब या कूलर आप चला रहे हैं.
इन्वर्टर खरीदते समय किन बातों का रखें ध्यान?
- आपके घर की जरूरत के अनुसार इन्वर्टर का आकार चुनें
- प्योर साइन वेव इन्वर्टर ही लें अगर बजट थोड़ा ज्यादा हो
- बैटरी की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए – ब्रांडेड बैटरी ही चुनें
- चार्जर तेज और सुरक्षित हो
- इन्वर्टर और बैटरी के लिए जगह हवादार होनी चाहिए ताकि गर्मी में भी सिस्टम सुरक्षित रहे
क्या इन्वर्टर से बिजली का बिल बहुत ज्यादा बढ़ता है?
साफ-साफ कहा जाए तो नहीं. अगर सही तरीके से इन्वर्टर का उपयोग किया जाए और बैटरी की जरूरत से ज्यादा चार्जिंग न हो तो बिल में मामूली ही बढ़ोतरी होती है. ये बढ़ोतरी उस असुविधा की तुलना में कुछ भी नहीं है जो बिजली कटौती से होती है. आप सोलर इन्वर्टर का विकल्प चुनकर बिल और भी कम कर सकते हैं.