AC Gas Refill: गर्मियां शुरू होते ही घरों और ऑफिसों में एयर कंडीशनर (AC) का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ने लगता है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि AC चालू तो हो जाता है. लेकिन कूलिंग वैसी नहीं मिलती जैसी पहले मिलती थी. ऐसे में लोग अक्सर सोचते हैं कि उनका AC खराब हो गया है. जबकि इसके पीछे कई तकनीकी कारण हो सकते हैं. अगर समय पर सही जानकारी हो, तो आप न केवल समस्या का हल निकाल सकते हैं. बल्कि बिना जरूरत के ज्यादा खर्च करने से भी बच सकते हैं.
कूलिंग कम होने के मुख्य कारण
AC की कूलिंग कम होने के कई कारण हो सकते हैं. सबसे सामान्य कारणों में ये शामिल हैं:
- एयर फिल्टर का गंदा होना – अगर आपके AC का फिल्टर लंबे समय से साफ नहीं हुआ है, तो यह हवा के बहाव को रोक देता है. जिससे कूलिंग पर असर पड़ता है.
- टाइम पर सर्विस न कराना – AC की नियमित सर्विसिंग बहुत जरूरी होती है. अगर समय पर सर्विस नहीं कराई गई, तो धूल-मिट्टी इकाइयों में जमा हो जाती है और कूलिंग कम हो जाती है.
- कॉम्प्रेसर या मोटर में खराबी – ये AC की मुख्य तकनीकी इकाइयां होती हैं. अगर इनमें कोई खराबी आती है, तो कूलिंग बिल्कुल बंद हो सकती है.
अगर सब कुछ सही है, फिर भी कूलिंग कम क्यों?
अगर ऊपर दिए गए सभी पहलू सही हैं. यानी फिल्टर साफ हैं, मोटर और कॉम्प्रेसर ठीक काम कर रहे हैं. सर्विस समय पर हुई है और फिर भी कूलिंग सही नहीं हो रही, तो सबसे बड़ी संभावना होती है कि आपके AC की गैस लीक हो गई है. गैस का काम ही AC में रेफ्रिजरेशन यानी ठंडक बनाना होता है. अगर यह कम हो जाए या लीक हो जाए, तो AC सिर्फ पंखे की तरह काम करेगा.
गैस लीक की पहचान और तकनीशियन की भूमिका
गैस लीक की स्थिति में सबसे पहले एक योग्य टेक्नीशियन को बुलाना चाहिए. लेकिन ध्यान रखें कि कई बार टेक्नीशियन ग्राहकों को गैस लीक के नाम पर गुमराह करके ज्यादा पैसे वसूल लेते हैं. इसलिए जरूरी है कि आपको गैस रिफिल की प्रक्रिया और खर्च की जानकारी पहले से हो. एक प्रोफेशनल टेक्नीशियन पहले उस पॉइंट को ढूंढता है जहां से गैस लीक हो रही है. फिर उस हिस्से की मरम्मत करता है और उसके बाद गैस को दोबारा भरा जाता है.
AC में कौन सी गैस होती है?
भारत में इस्तेमाल होने वाले एयर कंडीशनरों में मुख्यतः तीन प्रकार की गैसों का इस्तेमाल होता है:
- R22 गैस – पुरानी तकनीक वाले AC में पाई जाती है. लेकिन अब इसका इस्तेमाल कम किया जा रहा है. क्योंकि यह पर्यावरण के लिए नुकसानदायक मानी जाती है.
- R410A गैस – यह पहले की तुलना में ज्यादा सुरक्षित और एनर्जी एफिशिएंट है. लेकिन इसमें भी ग्लोबल वार्मिंग पोटेंशियल अधिक होता है.
- R32 गैस – यह सबसे आधुनिक और पर्यावरण के लिए बेहतर मानी जाती है. नई टेक्नोलॉजी वाले AC में अब अधिकतर यही गैस भरी जाती है. यह न केवल कम ऊर्जा की खपत करती है. बल्कि पर्यावरण पर भी इसका कम प्रभाव पड़ता है.
गैस रिफिल करवाने में कितना आता है खर्च?
AC में गैस भरवाने का खर्च गैस के प्रकार और क्वांटिटी पर निर्भर करता है. आम तौर पर 1.5 टन स्प्लिट AC में 1.5 से 2 किलोग्राम तक गैस की जरूरत होती है. आइए एक नजर डालते हैं औसत खर्च पर:
गैस का प्रकार | प्रति किलोग्राम अनुमानित कीमत | कुल लागत (1.5-2 किलोग्राम के लिए) |
---|---|---|
R22 | ₹600 – ₹800 | ₹1,200 – ₹1,600 |
R410A | ₹800 – ₹1,000 | ₹1,500 – ₹2,000 |
R32 | ₹1,000 – ₹1,200 | ₹1,800 – ₹2,500 |
हालांकि यह कीमत आपके शहर, टेक्नीशियन की फीस और AC की कंडीशन के हिसाब से थोड़ी बहुत कम-ज्यादा हो सकती है.
गैस रिफिल से पहले ये बातें जरूर समझ लें
- लीक को ठीक किए बिना गैस भरवाना बेकार है. क्योंकि गैस दोबारा लीक हो जाएगी और फिर से खर्च करना पड़ेगा.
- सर्टिफाइड टेक्नीशियन से ही काम कराएं. फर्जी टेक्नीशियन गलत गैस भरकर आपके AC को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
- इनवॉइस और गैस की डिटेल्स जरूर लें. ताकि बाद में शिकायत की जा सके.
गर्मियों में AC की देखभाल के लिए टिप्स
- बिजली वोल्टेज फ्लक्चुएशन से बचाने के लिए स्टेबलाइज़र का इस्तेमाल करें.
- हर महीने एयर फिल्टर की सफाई करें.
- साल में कम से कम एक बार प्रोफेशनल सर्विसिंग करवाएं.
- AC को हमेशा Recommended Temperature (24–26°C) पर चलाएं.
- इस्तेमाल के बाद AC को ऑफ करने से पहले Fan Mode पर 10 मिनट चलाएं, ताकि अंदर जमी नमी सूख जाए.