Train Coach AC Ton: मई का महीना अपने चरम पर है और देश के कई हिस्सों में तापमान 45 से 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. ऐसे में लोग गर्मी से राहत पाने के लिए AC का सहारा लेते हैं, खासकर जब उन्हें यात्रा करनी हो. यही कारण है कि इस मौसम में ज्यादातर यात्री ट्रेन के AC कोच में सफर करना पसंद करते हैं. क्योंकि ये डिब्बे पूरी तरह ठंडे और आरामदायक होते हैं.
एसी कोच में सफर क्यों होता है खास?
ट्रेन में सफर को आरामदायक और भरोसेमंद माना जाता है. लेकिन जब बात गर्मियों की हो, तो AC कोच सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं. यह कोच न केवल साफ-सुथरे होते हैं बल्कि यात्रियों को तकिया, चादर और ठंडा माहौल भी मिलता है. जिससे यात्रा का अनुभव काफी बेहतर होता है.
कोच में एसी की भूमिका और तकनीक
ट्रेन के कोच को ठंडा रखने में एयर कंडीशनिंग सिस्टम की भूमिका बेहद अहम होती है. ये AC ऐसे डिज़ाइन किए जाते हैं कि पूरे डिब्बे का तापमान संतुलित और ठंडा बना रहे. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन कोचों में कितने टन के AC लगाए जाते हैं? चलिए अब इस रहस्य से भी पर्दा उठाते हैं.
ट्रेन में कितने प्रकार के AC कोच होते हैं?
भारतीय रेल में आमतौर पर तीन श्रेणियों के AC कोच होते हैं – प्रथम श्रेणी AC (1AC), द्वितीय श्रेणी AC (2AC) और तृतीय श्रेणी AC (3AC). इनमें लगे एसी की क्षमता कई चीजों पर निर्भर करती है जैसे डिब्बे का आकार, यात्रियों की संख्या और मौसम की स्थिति. इस कारण हर कोच में लगे AC की टन क्षमता अलग-अलग हो सकती है.
कितने टन का होता है ट्रेन कोच में लगा AC?
आमतौर पर एक ट्रेन कोच में 8 से 15 टन क्षमता तक के AC लगाए जाते हैं. यह AC सिस्टम डिब्बे के साइज और खपत के हिसाब से डिजाइन किया जाता है. हाई स्पीड और प्रीमियम ट्रेनों में थोड़ी ज्यादा क्षमता वाले AC इस्तेमाल किए जाते हैं. ताकि पूरे सफर में ठंडक बनी रहे.
कैसे काम करता है ट्रेन का भारी-भरकम AC?
ट्रेन में लगे ये AC सामान्य घरेलू AC की तुलना में कई गुना ज्यादा क्षमता वाले होते हैं. ये विशाल कंप्रेसरों की मदद से कूलेंट को संपीड़ित (compress) करते हैं और फिर उसे पूरे कोच में फैलाकर ठंडक पहुंचाते हैं. कोच का आकार बड़ा होने के कारण इन्हें लगातार और अधिक ऊर्जा के साथ काम करना होता है.