40-45 डिग्री तापमान में मटके का पानी कैसे रहता है ठंडा, जाने मिट्टी के घड़े को बनाने की असली तकनीक Water Gets Cold In Matka

Water Gets Cold In Matka: देशभर में इस समय गर्मी का कहर जारी है. दिल्ली यूपी बिहार से लेकर दक्षिण भारत तक लोग भीषण तापमान से बेहाल हैं. ऐसे में शरीर को ठंडक पहुंचाने और गला तर रखने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय आज़मा रहे हैं. जहां कुछ लोग फ्रिज का ठंडा पानी पीना पसंद करते हैं वहीं आज भी कई लोग ऐसे हैं जो मटके के पानी को प्राथमिकता देते हैं.

इन लोगों का मानना है कि फ्रिज का ठंडा पानी गला खराब कर देता है जबकि मटके का पानी ना तो ज्यादा ठंडा होता है और ना ही नुकसान करता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मटका किसी बिजली या मशीन से नहीं चलता फिर भी उसका पानी कैसे ठंडा रहता है? इसका जवाब छुपा है विज्ञान की एक बेहद दिलचस्प प्रक्रिया में.

कैसे ठंडा होता है मटके का पानी?

मटके का पानी ठंडा होने के पीछे एक प्राकृतिक विज्ञान काम करता है जिसे हम वाष्पोत्सर्जन (Evaporation) या वाष्पीकरण कहते हैं. असल में मटका मिट्टी से बना होता है और उसकी दीवारों में छोटे-छोटे सूक्ष्म छिद्र (tiny pores) होते हैं.

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इन छिद्रों से पानी की सूक्ष्म बूंदें मटके की बाहरी सतह तक पहुंचती हैं. गर्म हवा के संपर्क में आते ही ये बूंदें भाप बनकर उड़ जाती हैं. इस प्रक्रिया में पानी अपनी ऊष्मा (heat) खोता है और बचा हुआ पानी ठंडा हो जाता है.

इसी प्रक्रिया को नेचुरल कूलिंग सिस्टम भी कहा जाता है जो बिना बिजली के मटके को एक प्राकृतिक “कूलर” बना देता है.

वाष्पीकरण कैसे करता है ठंडक का काम?

जब पानी भाप बनता है तो उसे ऊर्जा की जरूरत होती है. यह ऊर्जा वही पानी देता है जो मटके के अंदर मौजूद होता है. पानी के अणु जब ऊष्मा खींचकर उड़ते हैं तो वे आसपास के पानी का तापमान कम कर देते हैं.

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यह बिलकुल उसी तरह से है जैसे पसीना आने के बाद जब हवा लगती है तो शरीर को ठंडक मिलती है. दरअसल पसीने का वाष्पीकरण शरीर से ऊष्मा छीन लेता है. मटका भी यही काम करता है – यानी पानी को अपने आप ठंडा रखता है.

फ्रिज और मटके के पानी में क्या है फर्क?

फ्रिज का पानी बहुत तेजी से ठंडा होता है और कई बार यह जरूरत से ज्यादा ठंडा हो जाता है. गर्मी में जब हम एकदम ठंडा पानी पीते हैं तो गला सिकुड़ता है और इसके चलते गला खराब खांसी या जुकाम जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

इसके मुकाबले मटके का पानी नॉर्मल ठंडा होता है जो शरीर के लिए ज्यादा अनुकूल रहता है. यही कारण है कि डॉक्टर भी फ्रिज की जगह मटके का पानी पीने की सलाह देते हैं.

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मटके के पानी के फायदे

मिट्टी के मटके में रखा पानी न सिर्फ ठंडक देता है बल्कि इसके कई स्वास्थ्यवर्धक लाभ भी हैं:

  • गले को आराम – फ्रिज के पानी के विपरीत मटके का पानी गले को नुकसान नहीं पहुंचाता.
  • पेट की गर्मी कम करता है – मटके का पानी शरीर की आंतरिक गर्मी को नियंत्रित करता है.
  • एसिडिटी से राहत – गर्मियों में बढ़ी एसिडिटी को मटका पानी संतुलित करता है.
  • इम्युनिटी को मजबूत करता है – मिट्टी में मौजूद मिनरल्स शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाते हैं.
  • टेस्टोस्टेरॉन बढ़ाता है – कुछ शोध बताते हैं कि मटके का पानी पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को भी बढ़ावा देता है.
  • नेचुरल फ्लेवर – मटके का पानी पीने में मीठा लगता है क्योंकि मिट्टी का नेचुरल स्वाद इसमें घुलता है.

मटका इस्तेमाल करते वक्त बरतें ये सावधानियां

भले ही मटका सेहतमंद हो लेकिन इसके उपयोग में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

  • हर 2-3 दिन में पानी बदलें ताकि बैक्टीरिया न पनपे.
  • मटके को हफ्ते में एक बार धोना जरूरी है.
  • सीलन या फंगस नजर आए तो तुरंत मटका बदलें.
  • पानी को ढंक कर रखें ताकि धूल या कीड़े न गिरें.
  • मटके को छाया और हवादार जगह पर रखें इससे वाष्पीकरण बेहतर होगा.

कौन-कौन से विकल्प हैं मटके के अलावा?

अगर आपके पास मटका नहीं है तो आप इन विकल्पों का भी उपयोग कर सकते हैं:

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  • मिट्टी के घड़े के साथ तांबे या पीतल का बर्तन – ये भी पानी को ताजगी देते हैं और सेहत के लिए फायदेमंद हैं.
  • सुराही – पारंपरिक सुराही भी मिट्टी की होती है और पानी को ठंडा रखने में सक्षम होती है.
  • क्ले बॉटल (Clay Bottle) – आजकल बाजार में मिट्टी से बनी बोतलें भी आ रही हैं जो ऑफिस या सफर में साथ ले जा सकते हैं.

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