Outsourced Employee Permanent: मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हाल ही में आउटसोर्सिंग एजेंसियों द्वारा श्रमिकों को कम वेतन दिए जाने का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. इस मामले में महापौर डॉ. शोभा सिकरवार के हस्तक्षेप के बाद अब अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (SC-ST संगठन) ने भी अपनी आवाज बुलंद की है.
महापौर ने उठाया वेतन भुगतान का मुद्दा
कुछ दिन पहले महापौर डॉ. शोभा सिकरवार ने निगम आयुक्त संघ प्रिय को पत्र लिखकर शिकायत की थी कि आउटसोर्स एजेंसी श्रमिकों को तय मानदेय से कम भुगतान कर रही है. महापौर ने पत्र में साफ तौर पर एजेंसी की जांच कराने और श्रमिकों को उचित वेतन दिलाने की मांग की थी.
SC-ST अधिकारी संगठन ने सौंपा ज्ञापन
अब इस मुद्दे पर अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ भी सक्रिय हो गया है. संगठन के प्रतिनिधियों ने राज्य सरकार के प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट को एक ज्ञापन सौंपते हुए कई महत्वपूर्ण मांगें रखीं.
निःशुल्क कोचिंग में लाइब्रेरी की मांग
इंजीनियर सूर्यवंशी ने जानकारी दी कि संगठन द्वारा 27-ए रेसकोर्स रोड स्थित अजाक्स कार्यालय में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए नि:शुल्क कोचिंग चलाई जा रही है. उन्होंने मांग की कि इस कोचिंग सेंटर में शासन द्वारा पुस्तकालय (लाइब्रेरी) की व्यवस्था करवाई जाए ताकि छात्रों को बेहतर अध्ययन सामग्री मिल सके.
आउटसोर्स कर्मचारियों को मिले स्थायित्व
ज्ञापन में संगठन ने यह भी मांग की कि ठेका पद्धति (आउटसोर्सिंग) में कार्यरत कर्मचारियों को स्थायी नियुक्ति दी जाए. संगठन का तर्क है कि ये कर्मचारी लंबे समय से कार्य कर रहे हैं. लेकिन न तो इन्हें स्थायीत्व मिला है और न ही सामाजिक सुरक्षा.
विषम परिस्थितियों में मिले आरक्षण का लाभ
इसके साथ ही ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि विषम परिस्थितियों में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के कर्मचारियों को विशेष आरक्षण का प्रावधान किया जाए. ताकि उनके साथ कोई अन्याय न हो और वे सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आ सकें.
ज्ञापन सौंपने वालों में कौन-कौन रहे शामिल?
इस ज्ञापन को सौंपने के दौरान संगठन के कई प्रमुख पदाधिकारी मौजूद थे. इनमें शामिल थे:
- विजय पिपरोलिया (जिलाध्यक्ष)
- अतर सिंह जाटव (कार्यवाहक जिलाध्यक्ष)
- एनडी मौर्य (वरिष्ठ उपाध्यक्ष)
- वीरेंद्र जयंत (उपाध्यक्ष)
- राजेंद्र पक्षवार (जिला सचिव)
- मनीराम काटोरिया (कोषाध्यक्ष)
- प्रदीप पलिया, बलवीर अटल (संयुक्त सचिव)
- रमेश सोलंकी
श्रमिकों के हक की लड़ाई अब तेज
यह मामला अब सिर्फ आउटसोर्स वेतन तक सीमित नहीं रहा. बल्कि इससे जुड़े कई सामाजिक और प्रशासनिक पहलू सामने आ गए हैं. एक ओर जहां महापौर स्तर पर जांच की मांग की जा रही है. वहीं दूसरी ओर सामाजिक संगठनों द्वारा स्थायीकरण और आरक्षण की मांग ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है.
सरकार की अगली प्रतिक्रिया पर टिकी निगाहें
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि प्रदेश सरकार और नगर निगम प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं. क्या श्रमिकों को उनका हक मिलेगा? क्या आउटसोर्स व्यवस्था की समीक्षा की जाएगी? — यह आने वाला समय बताएगा.