New Railway Line: देश की राजधानी के नजदीक बसे दो प्रमुख राज्यों हरियाणा और उत्तर प्रदेश को अब हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के जरिए आपस में जोड़ा जाएगा. यह कॉरिडोर न सिर्फ यात्रियों की यात्रा को आसान बनाएगा. बल्कि लॉजिस्टिक्स सेक्टर में भी बड़ा बदलाव लेकर आएगा. केंद्र सरकार के रेलवे मंत्रालय और दोनों राज्यों के मिलकर किए गए प्रयासों के बाद अब इस योजना को हरी झंडी मिल गई है. लखनऊ में हरियाणा और यूपी के अधिकारियों के बीच मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में EORC (Eastern Orbital Rail Corridor) प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी गई है.
135 किलोमीटर लंबा होगा रेल कॉरिडोर
इस हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की कुल लंबाई 135 किलोमीटर होगी. जिसमें से हरियाणा में 48 किलोमीटर और उत्तर प्रदेश में 87 किलोमीटर ट्रैक बिछाया जाएगा. इस रूट को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह शहरी क्षेत्रों की भीड़भाड़ से बाहर रहेगा. ताकि ट्रैफिक का दबाव कम किया जा सके और निर्माण में भी परेशानी ना हो.
शहरों के बीच से नहीं, बाहर से गुजरेगी रेलवे लाइन
पहले इस कॉरिडोर को गाजियाबाद शहर के अंदर से निकालने की योजना थी. लेकिन अब इसे ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (Eastern Peripheral Expressway) के बाहर बनाने का फैसला लिया गया है. इसका उद्देश्य है शहरी इलाकों पर दबाव ना डालते हुए तेज़ और सीधी रेल कनेक्टिविटी देना. इससे शहरी यातायात भी बाधित नहीं होगा और निर्माण कार्य भी तेजी से हो सकेगा.
रूट में ये जिले होंगे शामिल
यह रेल रूट पलवल से सोनीपत तक जाएगा और बीच में गाजियाबाद, बागपत, गौतमबुद्धनगर (नोएडा), फरीदाबाद और सोनीपत जैसे प्रमुख जिलों को कवर करेगा. इस पूरे कॉरिडोर पर कुल 15 रेलवे स्टेशन प्रस्तावित किए गए हैं. इनमें हरियाणा और उत्तर प्रदेश के 6-6 स्टेशन दोनों राज्यों के हिस्से में होंगे. जबकि बाकी 3 स्टेशन इंटरचेंज के रूप में कार्य करेंगे.
हरियाणा के ये स्टेशन होंगे शामिल
हरियाणा के जिन स्टेशनों को इस योजना में शामिल किया गया है, उनमें शामिल हैं:
- मल्हा मजारा
- जाथेरी
- भैएरा बाकीपुर
- छांयसा
- जवान
- फतेहपुर बिलौच
इन स्टेशनों के जरिए हरियाणा के फरीदाबाद, पलवल और सोनीपत जैसे महत्वपूर्ण इलाकों को यूपी के शहरों से सीधा जोड़ा जाएगा.
उत्तर प्रदेश के इन क्षेत्रों को मिलेगा लाभ
उत्तर प्रदेश के हिस्से में आने वाले स्टेशनों से नोएडा, गाजियाबाद और बागपत जैसे क्षेत्रों की जनता को सीधी रेल सुविधा मिलेगी. इससे दिल्ली की ओर जाने वाले यात्रियों और व्यापारिक गतिविधियों को तेज़ रफ्तार कनेक्टिविटी मिलेगी. जिससे यात्रा समय और खर्च दोनों में कमी आएगी.
लॉजिस्टिक्स और ट्रैफिक पर होगा असर
यह हाई स्पीड रेलवे कॉरिडोर न सिर्फ यात्रियों के लिए फायदेमंद होगा बल्कि माल ढुलाई के क्षेत्र में भी एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगा. अभी ट्रक और अन्य भारी वाहनों के जरिए जो सामान दिल्ली होते हुए यूपी और हरियाणा में पहुंचता है, वो इस तेज़ रूट से आसानी से रेल के माध्यम से कम समय में और कम लागत में पहुंचाया जा सकेगा. इससे सड़क ट्रैफिक भी कम होगा और लॉजिस्टिक्स का दबाव घटेगा.
पर्यावरण और विकास दोनों की संतुलित योजना
इस रेल कॉरिडोर को इस तरह प्लान किया गया है कि शहरी आबादी पर दबाव ना पड़े, हरियाली को नुकसान ना पहुंचे और निर्माण प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल हो. इसके साथ ही ये रूट दिल्ली NCR के विकास में एक नया अध्याय जोड़ेगा. जहां छोटे शहरों और कस्बों को भी रेल नेटवर्क से जोड़ा जा सकेगा.
यात्रियों को मिलेंगी ये सुविधाएं
प्रस्तावित स्टेशनों पर यात्रियों के लिए आधुनिक सुविधाएं भी दी जाएंगी, जैसे:
- स्वचालित टिकट मशीन
- एस्केलेटर और लिफ्ट
- स्वच्छ वेटिंग रूम
- CCTV सुरक्षा और डिजिटल डिस्प्ले
- स्मार्ट कार्ड आधारित एंट्री
इससे हर उम्र के यात्री बिना किसी परेशानी के सफर कर पाएंगे.
भविष्य में बड़े नेटवर्क का हिस्सा बन सकता है ये प्रोजेक्ट
EORC प्रोजेक्ट भविष्य में दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) या दिल्ली-हावड़ा जैसे प्रमुख रेल नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है. इससे न केवल उत्तर भारत में बल्कि पूरे देश में रेलवे कनेक्टिविटी का विस्तार होगा.