Crops Consolidation: हरियाणा सरकार ने प्रदेश के उन गांवों के किसानों को बड़ी राहत दी है. जहां अब तक चकबंदी (भूमि पुनर्व्यवस्था) की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है. इन गांवों के किसान ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकरण नहीं कर पा रहे थे. जिससे उन्हें सरकारी मंडियों में फसल बेचने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था.
मुख्यमंत्री सैनी ने अधिकारियों को दिए अहम निर्देश
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस समस्या को गंभीरता से लिया और तुरंत उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि अब ऐसे गांवों में रहने वाले किसानों की फसलें ऑफलाइन माध्यम से खरीदी जाएंगी. यानी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की बाध्यता को ऐसे मामलों में खत्म कर दिया गया है.
मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल बना था बड़ी अड़चन
राज्य सरकार द्वारा ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल की शुरुआत किसानों की सुविधा के लिए की गई थी ताकि फसल की जानकारी डिजिटल रूप में सरकार के पास पहुंच सके. लेकिन जिन गांवों में अभी तक चकबंदी नहीं हुई है. वहां जमीन का रिकॉर्ड अपडेट नहीं है. जिससे पोर्टल पर किसान अपना ब्यौरा दर्ज नहीं कर पा रहे थे. इसके कारण ऐसे किसान सरकारी खरीद से वंचित रह जाते थे.
अब ऑफलाइन तरीके से होगी फसल की खरीद
मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर कहा है कि अब ऐसे किसानों से ऑफलाइन तरीके से फसल खरीदी जाएगी. इसके लिए संबंधित जिलों के कृषि विभाग और मंडी समितियों को आवश्यक आदेश जारी कर दिए गए हैं. किसान अपनी फसल की बिक्री के लिए सीधे मंडी में पहुंच सकते हैं और आवश्यक दस्तावेज देकर अपनी उपज बेच सकते हैं.
किसानों को नहीं होगी कोई परेशानी: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बयान जारी कर कहा कि सरकार का मकसद किसानों को राहत देना है, न कि उन्हें परेशान करना. उन्होंने कहा, “जो गांव चकबंदी प्रक्रिया से बाहर हैं. वहां के किसानों को पोर्टल की अनिवार्यता से राहत दी जाएगी. कोई भी किसान सरकारी खरीद से वंचित नहीं रहेगा. जिला प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि वे हर किसान की मदद करें.”
सरपंच और कृषि अधिकारियों को सौंपा गया जिम्मा
इन गांवों में फसल खरीद की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ग्राम सरपंचों और स्थानीय कृषि अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. वे यह सुनिश्चित करेंगे कि हर योग्य किसान की फसल का मूल्य समय पर मिले और किसी प्रकार की देरी न हो.
फसल का उचित मूल्य और तौल की पारदर्शिता सुनिश्चित
राज्य सरकार ने यह भी तय किया है कि ऑफलाइन खरीद प्रक्रिया में मूल्य निर्धारण और तौल की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी. मंडी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि किसान से ली गई फसल का पूरा विवरण रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए और तौल के समय किसान की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए.
किसानों की पुरानी मांग हुई पूरी
गौरतलब है कि चकबंदी न होने वाले गांवों के किसान पिछले कई महीनों से यह मांग कर रहे थे कि उनकी भी फसलें सरकारी दर पर खरीदी जाएं. उन्होंने कई बार तहसील, उपमंडल और जिला स्तर पर ज्ञापन दिए थे. अब सरकार के इस फैसले से उनकी मांग पूरी हो गई है.
सरकार के इस कदम की हो रही सराहना
किसान संगठनों और ग्रामीण जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री के इस निर्णय की सराहना की है. उन्होंने कहा कि यह फैसला सरकार की किसान हितैषी सोच को दर्शाता है. इससे उन हजारों किसानों को राहत मिलेगी जो तकनीकी कारणों से अब तक सरकारी योजनाओं से वंचित थे.
क्या है चकबंदी और क्यों होती है जरूरी?
चकबंदी का मतलब होता है बिखरी हुई जमीन को व्यवस्थित करना ताकि किसान को एक साथ बड़ी और नियमित जमीन का टुकड़ा मिल सके. यह प्रक्रिया गांवों की खेती योग्य भूमि के नक्शे और रिकॉर्ड को अपडेट करने के लिए की जाती है. जिन गांवों में यह प्रक्रिया नहीं हुई है. वहां जमीन के रिकॉर्ड अधूरे होते हैं और किसान डिजिटली रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाते.