छोटे बच्चों के कान छिदवाने की सही उम्र, इन 5 बातों का रखे खास ध्यान Ear Piercing

Ear Piercing: कान छिदवाना (Ear Piercing) भारतीय संस्कृति और परंपरा का अहम हिस्सा रहा है. बच्चों के लिए यह सिर्फ एक फैशन ट्रेंड नहीं. बल्कि एक पारंपरिक संस्कार भी है. अधिकतर मां-बाप शिशु अवस्था में ही बच्चों के कान छिदवा देते हैं. लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर कई बार लापरवाही गंभीर संक्रमण और दर्द का कारण बन सकती है. जानिए कि बच्चों के कान कब छिदवाने चाहिए. कैसे छिदवाने चाहिए और क्या सावधानियां बरतनी ज़रूरी हैं.

बच्चों के कान छिदवाने की सही उम्र क्या है?

प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप गुप्ता के अनुसार कान छिदवाने की आदर्श उम्र 6 महीने के बाद की होती है. हालांकि यदि माता-पिता चाहें तो बच्चे की कम से कम 3.5 महीने की उम्र में भी कान छिदवाए जा सकते हैं. लेकिन एक शर्त पर— बच्चे को तीनों DTP वैक्सीन की डोज़ लग चुकी होनी चाहिए. इससे पहले अगर कान छिदवाए जाएं तो शिशु के संक्रमण की आशंका ज्यादा रहती है. क्योंकि उसकी इम्यूनिटी सिस्टम पूरी तरह मजबूत नहीं होती.

कान छिदवाने के लिए कहां और किससे संपर्क करें?

डॉ. गुप्ता की सलाह है कि कान छिदवाने का कार्य किसी प्रमाणित डॉक्टर या प्रशिक्षित विशेषज्ञ से ही करवाना चाहिए. पारंपरिक या लोकल ज्वेलर्स से कान छिदवाने से बचें. क्योंकि उनके उपकरण स्टरलाइज नहीं होते. इससे संक्रमण का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है. गलत स्थान या तकनीक से छेद करने पर बच्चे को लंबे समय तक दर्द, सूजन और टेढ़े छेद की समस्या हो सकती है.

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कान छिदवाने से पहले क्या करना चाहिए?

छोटे बच्चों के लिए कान छिदवाना एक डरावना और दर्दनाक अनुभव हो सकता है. इस दर्द को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं:

  • नमिंग क्रीम: कान पर कोई मेडिकल ग्रेड की सुन्न करने वाली क्रीम लगाई जा सकती है, जिससे बच्चा दर्द महसूस नहीं करता.
  • बर्फ की सिकाई: कान छिदवाने से कुछ मिनट पहले बर्फ से हल्के हाथों से मालिश की जा सकती है, ताकि वह हिस्सा सुन्न हो जाए.

इन तरीकों से बच्चे को दर्द और घबराहट से राहत मिलती है.

कान छिदवाने के बाद कैसे करें सही देखभाल?

कान छिदवाने के बाद की देखभाल उतनी ही जरूरी है जितनी छिदवाने की प्रक्रिया. नीचे दी गई बातें ज़रूर ध्यान रखें:

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  1. हाइपोएलर्जेनिक बाली पहनाएं

बच्चे के कान में जो स्टड या बाली पहनाई जाए, वह गोल्ड, सिल्वर या सर्जिकल स्टील की होनी चाहिए. इससे एलर्जी या इन्फेक्शन की संभावना कम होती है.

  1. कम से कम 6 हफ्ते तक बाली न निकालें

6 हफ्तों तक उसी बाली को कान में रखें, ताकि छेद बंद न हो और त्वचा पूरी तरह से भर सके.

  1. दिन में दो बार एंटीसेप्टिक से साफ करें

छेद वाली जगह को दिन में दो बार एंटीसेप्टिक सॉल्यूशन या स्प्रे से साफ करें. इससे संक्रमण से बचाव होता है.

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  1. बच्चे के हाथ साफ रखें

बच्चे अक्सर कान को छूते हैं, जिससे बैक्टीरिया अंदर जा सकते हैं. इसलिए बच्चे के हाथ हमेशा साफ रखें.

  1. संक्रमण के लक्षणों पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें

अगर लालिमा, सूजन, मवाद या अत्यधिक दर्द दिखे, तो देर न करें— तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.

कान छिदवाना है परंपरा, लेकिन सावधानी ज़रूरी

कान छिदवाना एक परंपरा है. लेकिन अगर सही तरीके से न किया जाए तो यह बच्चे की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. इसलिए कान छिदवाने से पहले और बाद में इन सभी महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है. अगर आप ये सभी सावधानियां अपनाते हैं तो आपका बच्चा बिना किसी परेशानी के यह प्रक्रिया पूरी कर सकता है.

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(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारियां और सूचनाएं इंटरनेट से ली गई हैं। sanjyog.in इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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