Best CIBIL Score: जब कोई व्यक्ति बैंक या फाइनेंशियल संस्था से लोन के लिए आवेदन करता है, तो सबसे पहले उसकी ऋण चुकाने की क्षमता को परखा जाता है. यह परख सिबिल स्कोर के माध्यम से की जाती है, जो व्यक्ति के क्रेडिट इतिहास और भुगतान अनुशासन को दर्शाता है. अच्छा स्कोर होने पर न सिर्फ लोन की मंजूरी जल्दी होती है. बल्कि ब्याज दरों पर भी मोलभाव किया जा सकता है.
सिबिल स्कोर से मिलते हैं अतिरिक्त फायदे
बेहतर सिबिल स्कोर केवल लोन तक सीमित नहीं होता. बल्कि इससे क्रेडिट कार्ड से जुड़े ऑफर, लिमिट बढ़ाने और अन्य फाइनेंशियल सुविधाओं का लाभ भी लिया जा सकता है. कई बैंक ऐसे ग्राहकों को स्पेशल रेट ऑफ इंटरेस्ट या प्रोसेसिंग फी में छूट जैसी सुविधाएं भी देते हैं.
सिबिल स्कोर कितनी बार चेक करना चाहिए?
IIFL Finance के अनुसार एक व्यक्ति को साल में कम से कम दो से तीन बार अपना सिबिल स्कोर जरूर चेक करना चाहिए. यह काम आप आसानी से CIBIL की वेबसाइट या कुछ UPI ऐप्स के माध्यम से कर सकते हैं. इससे आप समय रहते अपने स्कोर को सुधारने की दिशा में कदम उठा सकते हैं.
300 से 549 स्कोर
अगर आपका सिबिल स्कोर 300 से 549 के बीच है, तो इसे लो स्कोर रेंज माना जाता है. इस रेंज में आमतौर पर लोन मंजूरी मिलना मुश्किल होता है और क्रेडिट कार्ड के लिए भी रुकावट आ सकती है. यह दर्शाता है कि आपने संभवतः EMI या बिल समय पर नहीं चुकाया है.
550 से 649 स्कोर
इस रेंज को बैंक और वित्तीय संस्थाएं औसत श्रेणी में रखती हैं. हालांकि इस स्कोर पर लोन मिल सकता है. लेकिन आमतौर पर ब्याज दरें ज्यादा होती हैं और बैंक के साथ मोलभाव मुश्किल हो जाता है. क्रेडिट कार्ड से मिलने वाले लाभ भी सीमित होते हैं.
650 से 749 स्कोर
अगर आपका स्कोर 650 से 749 के बीच है, तो यह अच्छे स्कोर की श्रेणी में आता है. इसका मतलब है कि आपने अपने भुगतान समय पर किए हैं. इस रेंज में लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है. लेकिन स्कोर को और बेहतर बनाना ज्यादा फायदे दिला सकता है.
750 से 900 स्कोर सबसे मजबूत स्थिति
इस रेंज को उत्तम क्रेडिट स्कोर माना जाता है. इस श्रेणी में आने वाले लोगों को लोन तुरंत मिल जाता है, और वे बैंक से कम ब्याज दर की मांग भी कर सकते हैं. साथ ही ऐसे ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड पर ज्यादा ऑफर्स, लिमिट और कैशबैक जैसे फायदे भी मिलते हैं.